यूपी फतह को तैयार हो रहा एक और मोर्चा
लखनऊ। कभी योगी सरकार का हिस्सा रहे राजभर आज सूबे में एक अलग मोर्चे के गठन में जुटे हुए हैं। इसके लिए वह तमाम छोटी पार्टियों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं और अपने फ्रंट में आने का निमंत्रण भी दे रहे हैं। उनका दावा तो यहां तक है कि शिवपाल सिंह यादव भी जल्द ही उनकी ब्रिगेड का हिस्सा बनेंगे।
एसबीएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर इन दिनों जन भागीदारी मोर्चा को मजबूत करने में व्यस्त हैं। इसी क्रम में वह अलग-अलग क्षेत्रीय दलों के नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें अपने मोर्चे में शामिल होने के लिए बुला रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान राजभर ने दावा किया है कि जुलाई के दूसरे सप्ताह में शिवपाल यादव के उनके मोर्चा में शामिल होने की औपचारिक घोषणा हो जाएगी। राजभर ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद से आधे घंटे तक दूरभाष पर बातचीत की और उनके मोर्चे में शामिल होने को लेकर चर्चा की। राजभर ने बताया कि बुधवार को उनकी मुलाकात शिवपाल यादव से हुई, जिसमें उनके मोर्चे में शामिल होने की चर्चा हुई थी। राजभर के मुताबिक शिवपाल यादव ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वह मोर्चे के साथ रहेंगे। राजभर ने यह भी बताया कि 20जुलाई तक शिवपाल यादव के मोर्चा में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी ।
राजभर ने आगे बताया कि शुक्रवार को उन्होंने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद से आधे घंटे तक बातचीत की। निषाद ने भी मोर्चा में शामिल होने के संकेत दिए हैं। हाल ही में अखिलेश यादव ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाने की बात कही थी । राजभर के मुताबिक जो भी बड़ी पार्टी सत्ता में आती है, वह अपने छोटे घटकों को तरजीह नहीं देती। राजभर के मुताबिक भाजपा के साथ रहते हुए वह इसका शिकार हुए और अब संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल जैसी पार्टियों के नेता इसका शिकार हैं।
लोकसभा चुनाव हुए दो साल बीत चुके हैं। संजय और अनुप्रिया की मांगें अब तक नहीं मानी गई हैं। राजभर ने दावा किया कि अब बड़ी पार्टियों के वोट बैंक उनके पास नहीं हैं। उसके पास कोई वोट नहीं बचा है । यह बात सपा, बसपा और कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं द्वारा छोटे दलों के साथ समझौते करने को लेकर दिए गए बयानों से स्पष्ट है। हालांकि सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ उनके मोर्चे के साथ समझौता कर चुनाव लडऩे को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। राजभर ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव खत्म होने के बाद वह गठबंधन के लिए नए विकल्पों पर विचार करेंगे। राजभर को भरोसा है कि शिवपाल और अखिलेश भले ही एक-दूसरे से समझौता न करें, लेकिन अगर वे मोर्चे में शामिल होने की बात करते हैं तो फिर दोनों बातचीत के लिए आगे आएंगे क्योंकि वहां व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होगा। पार्टी को केंद्र में रखते हुए आगे की बातचीत की जाएगी ।