यूपी भाजपा को मिशन मोड में लाने की तैयारी
लखनऊ। ऊपर शांत दिख रही भाजपा में अंदर गहन मंथन का दौर चल रहा है। और जो निष्कर्ष सामने आ रहे उनको देखकर शीर्ष नेतृत्व खुद ही एक्शन मोड में आ गया है। हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब यूपी भाजपा में उत्पन्न हालातों को काबू में करने के लिए संघ को दखल देना पड़ा है। मामला चाहे नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव का हो या कार्यकर्ताओं की अनदेखी का, पश्चिम बंगाल में शिकस्त खा चुके भाजपा के रणनीतिकार यूपी में कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं।
अब जब यूपी में विधानसभा चुनाव में चंद माह का वक्त ही शेष बचा है ऐसे समय में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यूपी में पार्टी के सारे नटबोल्ट टाइट करने में जुट गया है। ऊपर से लेकर निचले कार्यकर्ता तक को साधने की कोशिश हो रही है। इतना ही नहीं जिन नेताओं को पिछले चार सालों से यूपी की सियासत में हाशिए पर डाल दिया गया था उनको भी पूरी तरजीह दी जाने लगी है। दरअसल पश्चिम बंगाल में मिली शिकस्त ने शीर्ष नेतृत्व को जमीनी कार्यकर्ताओं की ओर देखने पर मजबूर किया है। सिर्फ दलबदुओं के सहारे और कुछ बड़े चेहरों के दम पर यूपी की सत्ता फिर से हासिल करने का ख्वाब भाजपा को छोडऩा होगा। इसलिए पार्टी नए रोडमैप के साथ मैदान में है।
भारतीय जनता पार्टी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तेजी से तैयारी शुरू कर दी है। मातृ संगठन आरएसएस के सुझावों के बाद भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के मनमुटाव को दूर करने की कवायद में जुटी है। मुख्यमंत्री योगी के केशव के घर भोज के लिए जाने से पार्टी की ओर से साफ संदेश जा रहा है कि 2022 में एकता का संदेश लोगों के बीच जाना चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर या अन्य कारणों से नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का खाका तैयार किया जा रहा है।
नौकरशाही से लेकर ऐसे तमाम छोटे-बड़े काम, जिसके लिए कार्यकर्ताओं को काफी मेहनत का सामना करना पड़ता है। इसे देखते हुए पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को भी इस काम में शामिल करेगी। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि जून की शुरुआत में जब केंद्रीय संगठन मंत्री आए थे। इसके बाद से ही सांसदों और विधायकों से कहा गया कि वे अपने 100 ऐसे कार्यकर्ताओं की सूची बनाएं जो किसी कारणवश नाराज हैं, उन्हें मना लें। उनकी समस्या को सुना जाए इसके सासथ ही जितनी जल्दी हो सके इसका निस्तारण भी करवाया जाए। इस कारण कुछ लोगों को निगम आयोग में और मोर्चों में भी समायोजित किया गया है।
संघ और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि अब कमियां गिनाने का समय नहीं है। यूपी में फिर से भारी बहुमत हासिल करने के लिए पार्टी के लिए सभी का साथ होना जरूरी है । इस वजह से पार्टी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी, रामपतिराम त्रिपाठी, विनय कटियार जैसे नेताओं के अनुभव भी लेना चाहती है। उन्हें बैठक में बुलाया गया और उनके विचार सुने गए। भाजपा के विशेषज्ञ प्रसून पांडेय का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अब गंभीर है।
कोरोना की दूसरी लहर में कार्यकर्ताओं के घर से कोई न कोई इस बीमारी के कारण उनका साथ छोड़ गया है। इसके पीछे अव्यवस्था है। इसको लेकर उनमें कुछ नाराजगी है। यहां तक कि चार साल से नौकरशाही के प्रभुत्व के कारण कुछ कामगारों का काम भी नहीं हो सका, इसको लेकर नाराजगी भी है। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं फिर से सहेजने का काम कर रही है। भाजपा को कार्यकर्ताओं के अनुभव और उनके समीकरण से ही अपने मिशन में भाजपा को सफलता मिलेगी। देखने वाली बात यह होगी जो रोडमैप जारी किया गया है उसका निर्वाहन कितनी ईमानदारी के साथ होता है। ये तो तय है कि अगर अब भी वक्त रहते डैमेज कंट्रोल नहीं किया गया तो बहुत देर हो जाएगी।