ये तारीख साबित होगी बिहार की राजनीति में अहम
नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में 5 जुलाई काफी अहम होने जा रहा है। बिहार की सरगर्मी के बीच राजद अपनी स्थापना के 25 साल पूरे होने पर बड़े आयोजन की तैयारी कर रहा है। जिसे पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दिल्ली से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करने जा रहे हैं। तेजस्वी यादव जिनके नेतृत्व में राजद तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से 5 जुलाई के आयोजन को सफल बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि राजद ने अपनी स्थापना के बाद से सत्ता के लिए अपने संकल्प और न ही अपने सिद्धांतों और विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया।
तेजस्वी यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों की नीति पर चल रही पार्टी लालू प्रसाद को प्रताडि़त करने के बावजूद कभी झुकी नहीं । यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। जाहिर है तेजस्वी यादव कड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि न केवल पार्टी और महागठबंधन पूरी तरह एकजुट रहे, बल्कि आने वाले समय में बन रहे राजनीतिक हालात को देखते हुए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी है कि बिहार की राजनीति में कुछ भी हो सकता है। सत्ता भी महागठबंधन के हाथ में आ सकती है और संभव है कि 5 जुलाई के बाद तेजस्वी यादव इस अभियान को और आक्रामक तरीके से लीड करेंगे, जिसका संकेत उनके लगातार बयानों से मिल रहा है।
राजद के स्थापना दिवस के 25 साल पूरे होने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता श्याम रजक का कहना है कि पांच जुलाई से पार्टी नेता और कार्यकर्ता बिहार और देश में अराजक माहौल और महंगाई के खिलाफ लड़ाई शुरू कर देंगे। दूसरी ओर, 5 जुलाई एलजेपी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है । 5 जुलाई को बहुत कुछ देखा जा सकता है। चिराग पासवान पार्टी पर अपनी पकड़ दिखाने के लिए आशीर्वाद यात्रा के बहाने बिहार की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। चिराग की कोशिश है कि आशीर्वाद यात्रा के बहाने सहानुभूति जुटाने की कोशिश की जाए और जमीन पर अपनी ताकत का आकलन भी किया जाए।
दूसरी ओर एलजेपी के पारस गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को भी अपनी शक्ति का एहसास कराने के लिए पटना में पांच जुलाई को बड़ा आयोजन करने की तैयारी है। पारस इस आयोजन के माध्यम से एलजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह संदेश भेजने की कोशिश करेंगे कि पार्टी उनके नेतृत्व में ही तरक्की कर सकती है। हालांकि एनडीए की निगाहें 5 जुलाई की राजनीतिक उठापटक पर भी टिकी हैं कि क्या राजद स्थापना दिवस के बाद कुछ रणनीति की घोषणा करता है। इसके साथ ही एनडीए की निगाहें चिराग और पारस के दमखम की परीक्षा पर भी टिकी हैं।