4PM ने लॉन्च किया गुजरात चैनल
4PM का चौथा चैनल लॉन्च होने पर कई देशों के लोगों ने दी बधाई
- चैनल लॉन्च होते ही हजारों लोगों ने किया सबस्क्राइब
- साढ़े सोलह करोड़ व्यूज और पौने छह लाख सबस्क्राइबर के साथ 4PM की ख्याति लगातार बढ़ रही है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। 4PM न्यूज चैनल ने एक और मुकाम हासिल कर लिया है। चैनल ने गुजरात का अपना एडिशन शुरू कर दिया हेै। 4PM गुजरात के लॉन्च होते ही हजारों लोगों ने उसे सबस्क्राइब भी कर लिया है। इस तरह यूट्यूब की दुनिया में 4PM ने एक अलग पहचान हासिल कर ली है। 4PM का यह चौथा चैनल है। कुछ सालों पहले ही शुरू हुए 4pm news network यूट्यूब चैनल ने दुनिया भर में अपनी खास पहचान बनाई है। दुनिया के 135 से अधिक देशों में चैनल देखा जाता है। लगभग साढ़े सोलह करोड़ व्यूअर्स और पौने छह लाख सबस्क्राइबर के साथ चैनल की अपनी एक अलग पहचान है। 4PM पर रोज शाम को 6 बजे संपादक संजय शर्मा की डिबेट और रात के 8 बजे दिल्ली से लुटियंस अड्डा पर अभिषेक कुमार की डिबेट को लाखों लोग देखते हैं। देश के जानेमाने पत्रकार इस चैनल पर आयोजित परिचर्चा में भाग लेते है। 4PM ने यूपी का चैनल 4PM यूपी और बिहार का चैनल 4क्करू बिहार भी लॉन्च किया है। इसके बाद अगली कड़ी में 4PM गुजरात लॉन्च कर दिया। 4PM जल्द ही कुछ और राज्यों में भी विस्तार करने जा रहा है।
मोदी के काफिलें में ‘केजरीवाल जिंदाबाद’ के नारे ने गरमाईं गुजरात की राजनीति
- गुजरात चुनाव को लेकर भाजपा है बहुत परेशान
- आम आदमी पार्टी ने फंसा दिया पेंच
- सूरत में छह सीटों पर आप और भाजपा का कड़ा मुकाबला
- नाराजगी दूर करने के लिए सूरत में प्रधानमंत्री खुद मिल रहें हैं समूह में लोगों से
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। 27 सालों बाद पहली बार गुजरात का चुनाव फंसता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी ने जो पेंच फंसाया है उसमें गुजरात की राजनीति में खलबली मच गई है। भाजपा की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को संभालनी पड़ रही है। सबसे ज्यादा नाजुक हालात उसी सूरत में है जिसके दम पर भाजपा ने पिछली बार सरकार बनाई थी।
यह बात सर्वमान सत्य है कि जब-जब मुकाबला त्रिकोणीय हुआ है तब-तब भाजपा के लिए परेशानी पैदा हुई है। 1990 के त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 31 प्रतिशत वोट मिले थे और सबसे कम 33 सीटें मिली थी। भाजपा को 26 प्रतिशत वोट और 67 सीटें मिली थी। मगर आश्चर्यजनक रूप से जनता दल को सबसे कम वोट 25.5 मिले, मगर सबसे ज्यादा 70 सीटें मिल गयी थी। भाजपा की परेशानी का कारण यही है कि इस बार गुजरात में त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है और भाजपा 1990 के इस समीकरण को याद कर के परेशान है।
दरअसल, शुरूआती दौर में भाजपा खुश थी। उसे लगता था कि आम आदमी पार्टी ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के वोट काटेगी। मगर जब शहरी इलाके में आम आदमी पार्टी ने अपनेपैर पसारने शुरू किये तो भाजपा को पसीना आ गया। क्योंकि भाजपा का शहरी वोट बैंक मुफ्त बिजली और पानी के साथ-साथ स्कूल जैसे मुद्दों पर आम आदमी पार्टी के साथ खड़ा होता नजर आने लगा है। आज सूरत में जिस तरह मोदी के काफिले के बीच केजरीवाल जिंदाबाद के नारे लगे उसने भाजपा की चिंता और बढ़ा दी है। सूरत जैसे शहर में मोदी के सामने केजरीवाल जिंदाबाद के नारे लग सकते है, यह बात सपने में भी नहीं सोची जा सकती थी।
पहले चरण में ही साफ हो जाएगी गुजरात की तस्वीर
गुजरात में 1 दिसम्बर को पहले चरण का और 5 दिसम्बर को दूसरे चरण का मतदान है। पहले चरण मेंं सूरत आता है जो गुजरात की तस्वीर साफ करने को पर्याप्त है। पिछली बार यहां 16 में से 15 सीटें भाजपा ने जीतीं थी और इसी कारण भाजपा की सरकार बन पाई थी। मगर इस बार यहां खुद जिस तरह से प्रधानमंत्री और तमाम मंत्रियों को जूझना पड़ रहा है, उससे गुजरात से लेकर दिल्ली तक का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है।
मीडिया के सर्वे भी बता रहे एक महीने में नीचे आ गया भाजपा का ग्रॉफ
कुछ समय पहले भाजपा समर्पित टीवी चैनल भाजपा को 140 तक सीटें दे रहें थे मगर पिछले हफ्ते आये सर्वे में यह आंकड़ा 110 तक सिमट गया है। आम आदमी पार्टी खुद को राष्ट्रीय पार्टी बनाने और गुजरात में अपना परचम फहराने के लिए दिन रात जुट गई है। मीडिया के सर्वे में भी इस तरह भाजपा का ग्रॉफ गिरना एक बड़ी चिंता पैदा कर रहा है। जाहिर है गुजरात के लोगों का मूड लगातार बदल रहा है।