प्रह्लाद ‘चा’ ने दे दी पहचान : फैसल

  • 4 पीएम के संपादक संजय शर्मा से खुलकर बोले एक्टर
  • वेब सीरीज पंचायत के किरदार ने दी करियर को रफ्तार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। पंचायत के प्रह्लाद चा यानी फैसल मलिक। यह नाम पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। हो भी क्यों न, पंचायत के तीसरे सीजन में अपनी संजीदा अदाकारी से इन्होंने सबका दिल जीत लिया है। गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्म में चंद मिनट का रोल करने वाले फैसल मलिक आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में हंसते हुए कहा कि जब कोई उम्र में उनसे बड़ा चचा कहता है तो उसे बद्दुआ दे देते हैं। उन्होंने कहा वह डांस सीख रहे हैं ताकि चचा वाले किरदार से निकल कर अन्य रोल भी निभा सकें। हालांकि सफलता की सीढ़ी इन्होंने आसानी से नहीं चढ़ी है। इसके लिए इन्हें काफी स्ट्रगल भी करना पड़ा है। वह नवाबों के शहर लखनऊ में प्रतिष्ठित यूट्यूब चैनल 4 पीएम के 60 लाख सब्सक्राइबर पूरे होने के कार्यक्रम में शामिल हुए। चैनल के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने उनसे बातचीत की।
फैसल की झोली में पंचायत सीरीज गिरी, जिससे वे घर-घर में प्रह्लाद चा के नाम से फेमस हुए। उन्होंने बताया कि यह सीरीज कोविड के दौरान किया था। वह सीरीज की लोकप्रियता मोबाइल के मैसेज से जानते थे। फैसल ने कहा कि पहले सीजन में 7 हजार दूसरे में 14 हजार नोटिफिककेशन आए। उसके बाद जब वह बाहर निकलते थे तो उन्हें लोग प्रह्लाद चा के नाम से पुकारते थे। तब जाके लगा अब पहचान बनने लगी है। पंचायत के तीसरे सीजन में फैसल ने एक अलग छाप छोड़ी है। उन्होंने बताया सीरीज के रिलीज होते ही पहली रात को 23 हजार नोटिफिकेश आए। उन्होंने बताया कि चौथा सीजन भी आ सकता है। पिछले दो सीजन में मस्ती मजाक करने वाले प्रह्लाद चा का किरदार इस सीजन में रुला देने वाला है। फैसल ने बताया कि सीरीज के डायरेक्टर ने उन्हें ध्यान में रखकर ही प्रह्लाद चा का किरदार लिखा था।

गैंग्स ऑफ वासेपुर से मिली पहचान

फैसल ने एक्टिंग में जाने के बारे में बिल्कुल नहीं सोचा था, लेकिन एक इत्तफाक ने उनका परिचय एक्टिंग से करा दिया। फैसल कहते हैं, ‘मैं अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में लाइन प्रोड्यूसर था। इलाहाबाद में सिर्फ 4 दिन की शूटिंग के लिए बहुत मुश्किल से एक लोकेशन फाइनल हुई थी। फिल्म में इंस्पेक्टर गोपाल सिंह का किरदार जो शख्स निभा रहा था, वो शूटिंग के पहले दिन आया ही नहीं। तब मुझसे यह रोल करने के लिए कहा गया। पहले लगा कि 1-2 सीन का रोल होगा, इसलिए मैंने हामी भर दी। बाद में पता चला कि इस कैरेक्टर का लंबा स्क्रीन स्पेस है।

खाने में खूब मिर्ची भर देते थे और खूब पीते थे पानी ताकि पेट भर जाए

मूलत: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रहने वाले व लखनऊ से पढ़ाई करने वाले फैसल ने कहा कि मुंबई आने के बाद उन्हें रहने-खाने की सबसे ज्यादा दिक्कत हुई थी। खाने को पैसे नहीं होते थे। किसी तरह एक टाइम के खाने का जुगाड़ हो जाता था। खाने में खूब मिर्ची भर देते थे और कई गिलास पानी पी लेते थे, जिससे कि कम खाने में ही पेट भर जाए। फैसल ने बताया कि फिल्मों में आने से पहले कई अन्य काम किए जिसमें उन्होंने 20-20 घंटे समय दिया।

बचपन से ही फिल्म देखने का शौक था

फैसल मलिक ने कहा आम बच्चों की तरह मेरा बचपन भी सामान्य बीता। कभी नहीं सोचा था कि बड़ा होकर एक्टर ही बनूंगा। हां, फिल्में देखना बहुत पसंद था, लेकिन परिवार वालों को मेरी यह आदत बिल्कुल रास नहीं आती थी। इस कारण मैं छिप-छिप कर फिल्में देखता था। कई बार तो मेरी यह चोरी पकड़ी भी गई, मार भी बहुत पड़ी। कई दफा मार खाने के बाद भी फिल्में देखना बंद नहीं किया।

बच्चन साहब की तरह बनने का  होता था सपना

इस सफर के बारे में फैसल कहते हैं, ‘मैं 22 साल की उम्र में मुंबई आया। चूकि मै इलाहाबाद का रहने वाला हूं तो बच्चन साहब से प्रभावित था। शुरुआत में तो सबको लगता है कि मुंबई आने पर महानायक अमिताभ बच्चन ही बन जाएंगे। मुझे भी ऐसा लगता था हालांकि यहां रहने के बाद असलियत पता चलती है। जल्द ही एहसास हो गया कि ये आसान दिखने वाला काम बिल्कुल भी आसान नहीं है।

पैंट फटने की वजह से सांस रोककर डायलॉग बोले

वासेपुर से संबंधित एक दिलचस्प वाकया भी फैसल ने बताया । जो शख्स पहले यह रोल करने वाला था, वो मुझसे थोड़ा दुबला-पतला था। प्रोडक्शन टीम ने उसी के हिसाब से वर्दी सिलवाई थी। तुरंत दूसरी वर्दी की व्यवस्था करने में शूटिंग बहुत लेट हो जाती। मजबूरी वश मैंने किसी तरह वो वर्दी पहनी, लेकिन पैंट फट गई। उसे दोबारा सिला गया, जिसके बाद मेरा शॉट कम्प्लीट हुआ। उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने उस सीन में सांस रोककर डायलॉग बोले ताकि उनकी पैंट दुबारा न फट जाए। उन्होंने कहा कि वहीं सीन हिट हो गया। उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर में पुलिस ऑफिसर का रोल निभाया था। फैसल ने बताया कि फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद उनके पास सिर्फ पुलिस ऑफिसर के रोल आते थे। उन्होंने एक-दो ऑफर को स्वीकार भी कर लिया था, लेकिन खराब कहानी की वजह से अधिकतर को ठुकरा देते थे। इसके बाद फैसल को 2-3 फिल्म और 4-5 सीरीज में देखा गया।

पैसे के लिए पिंगपांग तक खेला

फैसल ने अपने फिल्मी दुनिया के शुरुआती संघर्ष की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि कैसे उनके चार मित्र साथ में रहते थे और खाने तक लिए पैसे नहीं होते थे वह पैसे के लिए कई जुगाड़ लगाते थे। उन्होंने बताया वह मुंबई में एक जगह जाते थे जहां जाइंट व्हील लगी थी जिसमें पिंगपांग का खेल होता था। उसमें सौ रुपये लागने पर और जीतने पर दौ या तीन सौ रुपये मिलते थे। उससे पहले हम यह कल्पना करते थे फ्राइड राइड खाएंगे और अगर ज्यादा पैसे जीतेंगे और कुछ ज्यादा चीजें मैन्यू में बढ़ा लेंगे। पर जैसे ही हारते थे तो फिर लगता था कि जो मिल जाए वहीं खा लिया। इसके लिए कभी-कभी हम चंदा तक मिलाते थे। खैर वो बातें आज जब सोचतें हैं तो हंसी आती है।

बिल्ली के चक्कर में पुलिस ने कराई उठक-बैठक

उन्होंने मुंबई में शुरुआती दिनों का एक किस्सा बताया जब वह मशहूद अभिनेत्री स्वरा भास्कर की बिल्डिंग में ऊपर रहते थे और उनकी एक बिल्ली खो गई थी। वह और उनके दोस्त उसको ढूंढने के लिए रात में ढाई बजे निकले तो म्याऊं-म्याऊं आवाज करके उसको पुकार रहे थे क्योंकि बिल्ली का नाम ही ये था। तभी किसी ने पुलिस को शिकायत कर दी । पुलिस आई और हम लोगों से उठक-बैठक कराई।

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