सीजेआई के घर पीएम की गणेश आरती पर भारी हंगामा

  • विपक्ष ने उठाए सवाल भाजपा का भी पलटवार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के यहां जाकर भगवान गणेश की आरती की। इस पर भारी विवाद खड़ा हो गया है। कुछ लोग इसे न्यायपालिका की पवित्रता पर दाग की तरह देख रहे हैं तो एक वर्ग विरोधियों की बौखलाहट देख खुशी का इजहार कर रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ देश के सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस हैं। यह न्यायपालिका का सर्वोच्च पद है।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कार्यपालिका के शीर्ष पदों में से एक पर विराजमान हैं। ऐसे में जब सीजेआई का न्योता पीएम को जाएगा तो उन्हें ठुकराने की कम ही गुंजाइश रहती है। संभवत: इसी वजह से प्रधानमंत्री ने सीजेआई के यहां जाना वाजिब समझा और गए भी। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए खुद इसकी जानकारी भी दी। उन्होंने एक एक्स पोस्ट में गणेश आरती की तस्वीर साझा की। पीएम ने लिखा, सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रूचूड़ जी के घर पर गणेश पूजा में शामिल हुआ। भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।

सीजेआई को राजनीति में घसीटना कांग्रेस का अहंकार : पात्रा

बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा नेता प्रतिपक्ष अहंकार में आ गए हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि अमेरिका में तो भारत को वह बदनाम करते ही हैं भारत में हर चीज में राजनीति करत हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का अहंकार इतना है कि वह सीजेआई की संस्था को राजनीति में घसीटते हैं। उन्हें गणेश उत्सव को भी राजनीति में घसीटने का अहंकार है। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर तीखे वार करते हुए उन्हें देशद्रोही तक कह दिया।

जजों की आचार संहिता का उल्लंघन : प्रशांत भूषण

सीजेआई के घर पीएम के जाने पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने हैरानी जताई है। उन्होंने एक्स पर लिखा, सीजेआई चंद्रचूड़ ने मोदी को निजी मुलाकात के लिए अपने आवास पर आने की अनुमति दी। इससे न्यायपालिका को बहुत बुरा संकेत मिलता है, जिस पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि सरकार संविधान के दायरे में काम करे। इसलिए कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक दूरी होनी चाहिए। उन्होंने जजों के लिए आचार संहिता का जिक्र कर कहते हैं कि इसका उल्लंघन हुआ है। उन्होंने लिखा, न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता एक न्यायाधीश को अपने पद की गरिमा के अनुरूप एक हद तक दूरी बरतनी चाहिए। वो ऐसा कोई कार्य या चूक नहीं करे जो उसके उच्च पद और उस पद के प्रति सार्वजनिक सम्मान के प्रतिकूल हो।

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