मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह को हटाने की मांग, भाजपा के 19 विधायकों ने पीएम मोदी को लिखा लेटर

नई दिल्ली। मणिपुर में बीजेपी के 19 विधायकों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चि_ी लिखी है. इस चि_ी में विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह समेत सभी विधायकों के हस्ताक्षर हैं. इसमें कुकी, मैतेई और नागा विधायक भी शामिल हैं. मणिपुर में शांति बहाली के लिए सीएम को हटाने की मांग की गई है.
दरअसल, 15 अक्टूबर को दिल्ली में मणिपुर में शांति स्थापित करने को लेकर एक बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद विधायकों ने पीएम मोदी को लेटर लिखा है. इसमें कहा गया है कि राज्य में हिंसा रोकने का यही (सीएम को हटाना) एकमात्र रास्ता है. सिर्फ सुरक्षा बलों की तैनाती से कुछ नहीं होगा. यहां के लोग अब बीजेपी सरकार पर सवाल उठाने लगे हैं. जनता का भरोसा टूट रहा है. इसलिए इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
मणिपुर में शांति के लिए 15 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक हुई थी. इस बैठक में मैतेई, कुकी और नगा समुदायों के करीब 20 विधायकों ने हिस्सा लिया था. यह बैठक गृह मंत्रालय द्वारा मेइती और कुकी समुदायों के बीच मतभेदों को दूर करने, वहां जारी संघर्ष का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने और मतभेदों को समाप्त करने के प्रयास के तहत बुलाई गई थी.
3 मई 2023 के बाद यह पहली बार था जब मैतेई और कुकी विधायक एक छत के नीचे थे. बैठक में मैतेई समुदाय की ओर से विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह और विधायक थोंगम बसंतकुमार सिंह एवं तोंगब्राम रबिन्द्रो और कुकी समुदाय की ओर से लेतपाओ हाओकिप और नेमचा किपगेन (दोनों राज्य मंत्री) शामिल हुए थे.
वहीं, नगा समुदाय का प्रतिनिधित्व विधायक राम मुइवा, अवांगबो न्यूमई और एल. दिखो ने किया था. बैठक में गृह मंत्रालय के वार्ताकार ए. के. मिश्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शामिल नहीं हुए. करीब एक महीने पहले गृह मंत्री शाह ने कहा था कि मणिपुर में स्थिति को सुलझाने के लिए कुकी और मैतेई समुदायों के बीच बातचीत की जरूरत है और केंद्र दोनों समूहों के साथ चर्चा कर रहा है, जिसके बाद इन समूहों के नेताओं के बीच यह बैठक हुई थी.
मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की उसकी मांग के विरोध में राज्य के पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकता मार्च निकाले जाने के बाद पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा भडक़ गई थी. राज्य में तब से जारी हिंसा में कुकी और मैतेई समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं.

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