यूपी उपचुनाव में निषाद पार्टी खाली हाथ, संजय निषाद बोले- संत कबीरनगर वाली गलती दोहरा रही बीजेपी

लखनऊ। उपचुनाव को लेकर डॉक्टर संजय निषाद के की स्थिति फिर पहले जैसी हो गई है। हालांकि उन्होंने बीजेपी के सामने समर्पण तो कर दिया है लेकिन दबी आवाज में परिणाम को लेकर भी संशय खड़ा कर रहे हैं. उपचुनाव में दो सीट को लेकर पिछले चार दिन से लखनऊ -दिल्ली एक करने वाले संजय निषाद को बीजेपी ने बिल्कुल भाव नहीं दिया. उनकी कोई बात नहीं सुनी गई और उनके सारे प्रस्ताव खारिज कर दिए गए.
डॉक्टर संजय निषाद शनिवार से ही दिल्ली में बीजेपी के बड़े नेताओं के चक्कर लगा रहे थे लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला. जेपी नड्डा और सुनील बंसल से मुलाकात कर संजय निषाद ने दो प्रस्ताव रखे. मझवां और कटेहरी विधानसभा सीटों पर कैंडिडेट आपका सिंबल मेरा या फिर सिंबल आपका कैंडिडेट मेरा. ये दोनों प्रस्ताव बीजेपी आलाकमान ने ठुकरा दिया है. संजय निषाद समझ गए कि प्रदेश संगठन के प्रस्ताव पर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मुहर लगा चुका है और निषाद पार्टी के लिए बीजेपी उम्मीदवारों का समर्थन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता बचा ही नहीं है. संजय निषाद ने भारी मन से कहा कि निषाद पार्टी कोई कैंडिडेट नहीं उतारेगी बल्कि गठबंधन धर्म निभाएगी.
सीटों पर बात नहीं बनने की सूरत में डॉक्टर संजय निषाद ने पैंतरा बदलते हुए निषाद समाज के हितों पर बात शुरू कर दी. निषाद समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने और निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को समायोजित करने उनके हितों का ख़्याल रखने का प्रस्ताव डॉक्टर संजय निषाद ने रखा.
जेपी नड्डा ने कहा कि उनके प्रस्ताव पर दीपावली बाद विचार किया जाएगा. फिलहाल उपचुनाव में एनडीए के सहयोगी के तौर पर बीजेपी उम्मीदवार को मजबूत करिए.एनडीए की मजबूती में ही बीजेपी और निषाद पार्टी सबका हित है. डॉक्टर संजय निषाद समझ गए कि संत कबीर नगर की हार ने उनकी सियासी ताकत को कम कर दिया है और इसी आधार पर उनके साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है.
डॉक्टर संजय निषाद से जब एक न्यूज चैनल ने जानना चाहा कि बीजेपी नेतृत्व उनके प्रस्ताव को लेकर क्या दृष्टि रखती है तो उन्होंने भारी आवाज में कहा, ‘बीजेपी संत कबीर नगर वाली गलती दोहरा रही है . अब हमारे लोग किस मुंह से वोट मांगने के लिए निकलेंगे. गठबंधन धर्म का पालन तो हम करेंगे ही लेकिन निराश हो चुके पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा करना आसान नहीं है. संजय निषाद ने ये जरूर उम्मीद जताई कि दिवाली बाद दिल्ली की तर्ज पर यूपी में भी निषाद समाज को एससी में शामिल करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.’

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