फेफड़ों को स्वस्थ रखेंगे ये योगासन
- योगासन न केवल फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर में ऑक्सीजन का संचार भी बेहतर करते हैं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
फेफड़े हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं, क्योंकि फेफड़ों को स्वस्थ बॉडी की फंक्शनिंग को मेंटेन करने के लिए हमारे फेफड़े महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फेफड़ों के जरिए ही वातावरण में मौजूद हवा फिल्टर होकर ऑक्सीजन के रूप में खून के कतरे-कतरे तक पहुंती हैं और कार्बनडायऑक्साइड बॉडी से बाहर आती है। इसलिए फेफड़ों की सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि खराब फेफड़ों के कारण सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा, क्रोनिक डिजीज और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। योगासन फेफड़ों को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। ये आसन न केवल फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर में ऑक्सीजन का संचार भी बेहतर करते हैं। ऐसे में योगासन करने से फेफड़ों में जमती पॉल्यूशन की गंदगी को साफ करने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही ये योगासन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में भी आपकी मदद कर सकते हैं।
धनुरासन
इस आसन को फेफड़ोंं के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है। यह फेफड़ों के विस्तार को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है। साथ ही इस आसन से फेफड़ों में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है। धनुरासन के अभ्यास के लिए पेट के बल लेटकर, अपने पैरों को पीछे से पकड़ें और शरीर को धनुष की तरह खींचें। इस मुद्रा में कुछ सेकंड रहें और धीरे-धीरे छोड़ें। इस आसन के अभ्यास से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए इसको करते समय पैरों को पकड़ कर पेट के सहारे उसी स्थिति में अपने शरीर को दाएं-बाएं व ऊपर-नीचे कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अभ्यास के समय शरीर को चक्रासन की स्थिति में लाकर एक पैर को ऊपर उठाते हुए भी कर सकते हैं। इस आसन को अच्छी तरह से सीख कर ही करना चाहिए। इस आसन को खाली पेट करें। इस आसन को उच्च रक्तचाप, अल्सर तथा हार्निया वाले रोगियों को नहीं करना चाहिए। सका अभ्यास योग आसन के जानकार की देखरेख में करें। जिसे डिस्क (कमर दर्द) व रीढ़ की हड्डी में दर्द हो उसे इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। इसका अभ्यास योग आसन के जानकार की देखरेख में करें। जिसे डिस्क (कमर दर्द) व रीढ़ की हड्डी में दर्द हो उसे इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब होता है धौंकनी। धौंकनी के जरिए लोहार तेज हवा छोडक़र, लोहे को तपाता और उसकी अशुद्धियां दूर करता है। उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम शरीर के अंदर मौजूद सभी नकारात्मकता और अशुद्धता को खत्म करने के लिए धौंकनी का काम करता है। यह प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और ऑक्सीजन के प्रवाह में सुधार करता है। इस योग को करने से गले से संबंधित सभी तकलीफें खत्म हो जाती हैं। इन सब के अलावा भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ावा देकर कार्बनडाईऑक्साइड के स्तर को कम करने में भी मदद करता है। इस आसन के अभ्यास से फेफड़ों की सफाई होती है और बलगम जैसी समस्याएं दूर होती हैं। भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले किसी भी शांत वातावरण में सिद्धासन, वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इस दौरान अपनी गर्दन, शरीर और सिर को सीधा रखें। इसके बाद अपनी आंखें और मुंह बंद कर लें। धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी सांस को बलपूर्वक छोड़ दें।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति फेफड़ों के लिए एक अद्भुत योगासन है। यह फेफड़ों को शुद्ध करने के साथ ही उनमें जमे अवांछित तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा ये फेफड़ों और वायु मार्ग की सूजन को कम करने में भी असरदार है। कपालभाति करने के लिए सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बनाएं और इसे अपने दोनों घुटनों पर रखें। इस आसन के अभ्यास के लिए नाक से तेज सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें। इसे 10-15 मिनट तक करें। ऐसे में अस्थमा से पीडि़त लोगों को कपालभाति करने की सलाह दी जाती है। ये उन्हें वायु प्रदूषण से होने वाले जोखिमों से सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो सकता है।