इंडिया गठबंधन ने हिलाईं भाजपा की चूलें
विपक्ष की रणनीति से घबराई बीजेपी
- लोस चुनाव में मिले झटके के बाद उतारा ‘सबका साथ-सबका विकासÓ का चोला
- फिर से हिंदू-मुसलमान की राजनीति पर लौटी भाजपा
- मोदी-योगी के बांटने वाले नारों में दिख रहा हार का डर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश में जारी चुनावी माहौल में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा राजनीतिक बयानबाजी और एक-दूसरे पर सियासी हमले लगातार जारी हैं। इस दौरान नेताओं द्वारा तरह-तरह के चुनावी नारे भी दिए जा रहे हैं, जिसके जरिए वो जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। अब किसके नारों से जनता खुश होती है और किसके वादों पर जनता विश्वास करती है, ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा। लेकिन जिस तरह से भाजपा ने एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे और बटेंगे तो कटेंगे, जैसे नारे दिए हैं, उससे स्पष्ट है कि भाजपा एक बार फिर अब सिर्फ हिंदू-मुसलमान करने पर उतारू है।
शायद बीजेपी को ये पता है कि सिर्फ ये ही एक हथियार है जिसकी दम पर वो जनता को बांट सकती है और वोट जुटा सकती है। भाजपा का ये हाल लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन के बाद हुआ है। जिससे ये साबित होता है कि इंडिया गठबंधन ने भाजपा की चूलें हिला दीं, उसी का नतीजा है कि कभी सबका साथ सबका विकास की बातें करने वाली बीजेपी फिर से हिंदू-मुसलमान की अपनी पुरानी राजनीति पर वापस लौट आई है। क्योंकि लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन ने जिस तरह से बीजेपी को कमजोर किया है, उसके बाद से बीजेपी और पीएम मोदी को ये एहसास हो गया कि हिंदू-मुसलमान करके ही वो जनता के बीच में बने रह सकते हैं।
लोकसभा चुनावों में बहुमत से दूर रह गई थी बीजेपी
राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने जिस तरह से जाति जनगणना और संविधान का मुद्दा उठाया और उसको लेकर भाजपा को घेरना शुरू किया। इसने जनता को काफी प्रभावित किया। जिसका असर हमें 2024 के लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिला। जहां अबकी बार 400 पार का लक्ष्य लेकर चलने वाली भाजपा 250 सीटों तक भी नहीं पहुंच पाई। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा को हैरान कर दिया। क्योंकि चुनाव से पहले जिस तरह से इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी मची हुई थी, उसको देखकर भाजपा को ये लग रहा था कि विपक्ष एकजुट नहीं है और इसका फायदा हमें मिलेगा। लेकिन जब नतीजे सामने आए तो बीजेपी के दिग्गजों के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई। इन लोकसभा नतीजों को देखकर भाजपा को ये एहसास हो गया कि उनके पास इंडिया गठबंधन का मुकाबला करने के लिए कोई मुद््दा या विषय नहीं है। इसलिए उन्होंने फिर से समाज को बांटने का काम करना शुरू कर दिया और हिंदू-मुसलमान की खुली राजनीति करने लगी।
राहुल का पीएम मोदी को चैलेंज
बीजेपी को चैलेंज करते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कह रहे हैं कि मैं मोदी जी से साफ कहना चाहता हूं आप देश भर में जातिगत जनगणना को रोक नहीं सकते। हम संसद में जातिगत जनगणना को पास करके दिखाएंगे और आरक्षण पर से 50 फीसदी की दीवार को तोड़ देंगे। नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन में भी राहुल ने कहा था कि ये प्रक्रिया देश में होगी और ये दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के साथ हुए अन्याय को सामने लाएगी। जाति जनगणना का सही अर्थ न्याय है। कांग्रेस पार्टी आरक्षण सीमा की 50 फीसदी की दीवार को भी गिरा देगी।
राहुल ने महाराष्ट्र में भी उठाया जाति जनगणना का मुद््दा
बीजेपी सतर्क तो हरियाणा विधानसभा चुनाव से ही हो गई थी, लेकिन ज्यादा अलर्ट झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर नजर आ रही है, क्योंकि राहुल गांधी लगातार जातीय जनगणना का मुद््दा जोर-शोर से उठा रहे हैं। हाल ही में राहुल ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि मोदी जी, आज से तेलंगाना में जातिगत सर्वे शुरू हो गया है। इससे मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल हम प्रदेश के हर वर्ग के विकास के लिए नीतियां बनाने में करेंगे। जल्द ही ये महाराष्ट्र में भी होगा। राहुल गांधी के इस पोस्ट से ये साफ है कि अगर महाराष्ट्र चुनाव में महाविकास आघाड़ी की जीत हुई और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी, तो महाराष्ट्र में भी जाति जनगणना होगी और राहुल को ये पूरी उम्मीद है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने जा रहा है। राहुल गांधी ने इसी बीच ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी देश में जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है।
जाति जनगणना के मुद्दे ने बीजेपी को पीछे धकेला
भाजपा को बैकफुट पर भेजने का काम राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मुद्दे को उठाकर किया। जिसके चलते इंडिया गठबंधन जनता से आसानी से जुडऩे लगा, जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को होने लगा। 2023 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार जातीय राजनीति पर जोर देखा गया था। चुनावों से पहले ही बिहार से जातिगत गणना की मांग उठी थी और चुनाव कैंपेन के दौरान राहुल गांधी कांग्रेस की तकरीबन हर रैली में जोर शोर से उठाते रहे। लेकिन कांग्रेस को तेलंगाना छोड़कर किसी भी राज्य में कामयाबी नहीं मिल पाई थी। उस वक्त बीजेपी को ये नहीं लगा कि जातीय राजनीति कोई खास असर दिखा सकती है। विचार विमर्श के लिए बीजेपी ने ओबीसी नेताओं की कुछ बैठकें भी बुलाई और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक सभाओं में कहा भी कि बीजेपी को जातीय जनगणना से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सही वक्त पर फैसला लिया जाएगा। लेकिन लोकसभा नतीजों ने भाजपा को हैरान कर दिया। जिसके बाद बीजेपी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया।
पीडीए बना भाजपा के लिए चुनौती
संविधान और जाति जनगणना के मुद्दे के साथ-साथ ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले ने भी भाजपा की चूलें हिलाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। पिछड़ा, दलित, अगड़ा या अल्पसंख्यक के अपने पीडीए फॉर्मूले के जरिए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को बैकफुट पर ला रखा है। इस फॉर्मूले ने लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की ताकत को और भी मजबूत बनाया। जिसका नतीजा रहा कि यूपी में भाजपा व एनडीए को इंडिया गठबंधन के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनावों के बाद से यूपी मे बीजेपी के अंदर लगातार कलह भी जारी है और समाजवादी पार्टी विपक्ष में होने के बाद भी सत्ताधारी दल पर भारी पड़ती दिख रही है। वजह ये ही है कि अखिलेश अपने पीडीए फॉर्मूले के जरिए आए दिन अलग-अलग मुद््दों पर सरकार को घेर रहे हैं। यही वजह है कि जब सीएम योगी ने बंटोगे तो कटोगे जैसा नारा दिया तो सपा-कांग्रेस ने इस पर एकसुर में पलटवार करना शुरू कर दिया।
फिर से हिंदुत्व की राजनीति का राग अलापने लगी बीजेपी
यही वजह है कि केंद्र की सत्ता में आने के बाद से भले ही चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी को वोट दिलाने के लिए लोगों को श्मशान और कब्रिस्तान जैसी बहसों में उलझाते रहे हों, लेकिन बाकी दिनों में ज्यादा जोर सबका साथ सबका विकास पर ही देखने को मिलता रहा था। हालांकि, ये सिर्फ नारों और वादों तक ही सीमित था। लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन रहा और राहुल गांधी व अखिलेश यादव ने संविधान और जाति जनगणना के मुद्दे पर जनता को प्रभावित करना शुरू कर दिया। भाजपा ने तुरंत ही अपना स्टैंड बदल दिया। जनहित की भलाई का चोंगा ओढ़े रखने वाली बीजेपी खुलकर अपने असली रंग में आ गई और सरेआम हिंदू-मुसलमान करने लगी। जिसका ही नतीजा प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के ये नए नारे हैं। जिनका भाव सबका साथ सबका विकास के भाव से बिल्कुल अलग है। एक हैं, तो सेफ हैं, दरअसल, योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे जैसी ही ध्वनि पेश करता है। ये दोनों ही स्लोगन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से हिंदुत्व और हिंदुओं की एकजुटता पर जब तब जोर देने वाली बातों को लगातार प्रमोट करने की की रणनीति का हिस्सा लगता है।