जैविक घड़ी का है जीवन में विशेष महत्व
- हमारे दैनिक कार्यों को करती है कंट्रोल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हमारे शरीर की कार्यप्रणाली एक जटिल और अद्भुत तंत्र है, जो समय-समय पर विभिन्न शारीरिक और मानसिक कार्यों को संचालित करता है। शरीर की इस समग्र और स्वचालित प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारी जैविक घड़ी जिसे सर्केडियन रिदम भी कहा जाता है। यह घड़ी हमारे शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं को 24 घंटे के दिन-रात के चक्र के अनुरूप नियंत्रित करती है, जैसे नींद, जागने की आदत, हार्मोनल उतार-चढ़ाव, शरीर का तापमान और भूख। यदि हम अपने शरीर की जैविक घड़ी के साथ तालमेल नहीं बैठाते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शरीर की जैविक घड़ी एक आंतरिक प्रणाली है, जो हमारे शरीर के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को सही समय पर नियंत्रित करती है। इसे सर्केडियन रिदम कहते हैं, जो दिन और रात के बदलावों के अनुसार अनुकूलित होता है। यह घड़ी न केवल नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करती है, बल्कि इसका असर हमारी हार्मोनल गतिविधियों, शारीरिक तापमान, भूख और ऊर्जा स्तर पर भी पड़ता है।
डिप्रेशन से है बचाती
नींद की कमी और जैविक घड़ी के असंतुलन से अवसाद का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि यह मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो मूड और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा जब शरीर को सही समय पर आराम नहीं मिलता, तो यह अधिक तनावग्रस्त हो जाता है और हमारी सोचने की क्षमता में कमी आती है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का असंतुलन मानसिक स्थिति को और बिगाड़ सकता है। यह घड़ी हमें डिप्रेशन से बचाती है।
समय से जगाने में सहायक
जैविक घड़ी हमें यह बताती है कि कब हमें सोने और जागने की जरूरत है। यह शरीर को रात को विश्राम करने और दिन में सक्रिय रहने के लिए तैयार करती है। इस घड़ी की बदौलत बेहतर नींद प्राप्त करते हैं और मानसिक तनाव से बचते हैं। इसके विपरीत, यदि हम इस घड़ी के साथ तालमेल नहीं रखते, तो इससे कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। क्योंकि जब हम अपनी जैविक घड़ी के खिलाफ जाते हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, अगर हम देर रात तक काम करते हैं या असमय सोते हैं, तो हमारे मस्तिष्क को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। इससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें, ताकि शरीर की जैविक घड़ी सही समय पर काम कर सके।
व्यायाम का समय होता है निश्चित
इन समस्याओं से बचने के लिए नियमित व्यायाम करें, लेकिन सोने से ठीक पहले भारी व्यायाम से बचें। व्यायाम से शरीर की ऊर्जा का सही उपयोग होता है और यह जैविक घड़ी के साथ तालमेल बनाए रखने में मदद करता है। वहीं विशेष रूप से शाम के समय कैफीन, चाय, कॉफी आदि से बचें, ताकि नींद पर असर न पड़े। सोने से पहले मोबाइल या अन्य स्क्रीन से दूरी बनाएं और कमरे को अंधेरा और शांत रखें, ताकि अच्छी नींद मिल सके।
कार्यक्षमता बढ़ाने में मदगार
जब हमारी जैविक घड़ी और दिनचर्या के बीच तालमेल होता है, तो हम अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं। शरीर को सही समय पर विश्राम मिलता है और यह दिन भर के कार्यों को बेहतर तरीके से करने के लिए तैयार रहता है। इसके विपरीत, यदि हम अपनी जैविक घड़ी के खिलाफ जाते हैं, तो यह थकान, चिड़चिड़ापन और कार्यक्षमता में गिरावट का कारण बन सकता है। जैविक घड़ी का असंतुलन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिससे हम जल्दी बीमार पड़ सकते हैं।
भोजन करने का देती है संकेत
जैविक घड़ी हमारे शरीर को यह संकेत देती है कि कब भोजन करना चाहिए और कब शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता है। शरीर की जैविक घड़ी के साथ तालमेल न बैठाने से शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा सर्केडियन रिदम के माध्यम से शरीर में मेलाटोनिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन नियंत्रित होते हैं। इसके अलावा असमय नींद और व्यस्त जीवनशैली के कारण हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
अनियमित जीवनशैली से बचें
आजकल की भागदौड़ भरी जि़ंदगी में कई लोग नियमित सोने और जागने की आदत नहीं बना पाते। देर रात तक काम करना, अत्यधिक स्क्रीन टाइम और समय पर भोजन न करना जैसी आदतें जैविक घड़ी को प्रभावित करती हैं। जिससे नींद में खलल आता है और शरीर की अन्य प्रक्रियाएंप्रभावित होती हैं। जिससे रक्त शर्करा और भोजन की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।