चुनाव से ठीक पहले सपा नेता इरफान सोलंकी को मिली जमानत, लेकिन सजा पर रोक नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इरफान सोलंकी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक से इंकार कर दिया है. इरफान सोलंकी को एक महिला के घर आगजनी करने के मामले में उन्हें दोषी ठहराकर सजा सुनाई गई थी. कोर्ट के फैसले से कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट का सस्पेंस खत्म हो गया है. इरफान कानपुर की सीसामऊ सीट से सपा के निवर्तमान विधायक हैं.
इस सीट पर भी 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की डिवीजन बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया है. विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी को सात साल की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने इस मामले में इरफान सोलंकी की सजा को बरकार रखा है. फिलहाल के लिए उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है.
सपा विधायक इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी सहित तीन अन्य आरोपियों ने नजीर फातिमा का प्लॉट हड़पने की लालच में उसके घर में आग लगा दी थी. इसी मामले में कानपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने इन्हें दोषी ठहराया और सात साल की सजा सुनाई. सात साल की सजा होने की वजह से इरफान सोलंकी की विधानसभा की सदस्यता निरस्त हो गई थी. इरफान सोलंकी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. दोषी करार दिए जाने और सजा के ऐलान के फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी.
अपील में अदालत का अंतिम फैसला आने तक ट्रायल कोर्ट के फैसले पर रोक लगाए जाने और जमानत के लिए उन्होंने गुहार लगाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट को 10 दिनों में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने को कहा था. इस मामले में यूपी सरकार की तरफ से भी हाईकोर्ट में गवर्नमेंट अपील दाखिल की गई थी. इरफान सोलंकी की अपील में जहां सजा को रद्द किए जाने के गुहार लगाई गई थी. वहीं यूपी सरकार की अपील में 7 साल की सजा को बढ़ाकर उम्र कैद में तब्दील किए जाने की मांग की गई थी. हालांकि, सरकार की अपील पर कोर्ट की सजा बढ़ाने का कोई फैसला नहीं दिया।