कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहें हैं ये अद्भुत संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त
4PM न्यूज़ नेटवर्क: सनातन धर्म के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व है, इस दिन किए गए धर्म के कार्य अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। इस दिन पूजापाठ के साथ दानपुण्य करने और गंगास्नान करने से आपके सभी कष्ट दूर होते हैं और कई जन्मों के पापों का अंत होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर अबकी बार दो बहुत ही शुभ संयोग बने हैं। इस शुभ योग में पूजा करने से आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी और साथ ही विशेष पुण्य की प्राप्ति होगी।
कार्तिक पूर्णिमा (15 नवंबर) के दिन मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर देव पृथ्वी पर गंगा स्नान करते हैं और शाम को नदी-सरोवर में दीपदान कर दिवाली मनाई जाती है। यही वजह है कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहते हैं। माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है, इसका असर जीवनभर रहता है।
जानिए देव दिवाली का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में नदी में वास करते हैं। माना जाता है कि कार्तिक मास पूर्णिमा तिथि के दिन काशी में गंगा स्नान कर दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके साथ ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन घर में सत्यनारायण कथा करने वालों को देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर करें दान
- कार्तिक पूर्णिमा पर अन्न, धन, वस्त्र, काले तिल, घी, दूध, दही, चावल आदि का दान करना चाहिए।
- मान्यता है इससे लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन बन रहा है दुर्लभ संयोग
- कार्तिक पूर्णिमा पर गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही इस दिन 30 साल बाद शश महापुरुष राजयोग बन रहा है।
- ऐसे में इस दिन दान-स्नान और लक्ष्मी पूजन करने वालों को 100 अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त हो सकता है।
- कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दिवाली पर 8 मुखी घी का दीपक शिव जी की पूजा में जलाएं।
- घर और आंगन में 11 या 21 दीपक जलाना चाहिए, साथ ही नदी में दीपदान भी करें।
कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त
- कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर होगी और समापन 16 नवंबर को सुबह 02 बजकर 58 मिनट पर होगा।
- इस दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 58 मिनट से सुबह 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
- भगवान सत्यनारायण की पूजा का समय सुबह 06 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।