प्रयागराज की चार सीटों पर बसपा उतारेगी ब्राह्मण प्रत्याशी
लखनऊ। पिछले चुनावों में जातीय दांव से बाजी जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी का भरोसा इसी फार्मूले पर अब भी टिका है। चुनावी बिसात पर जातिगत गोटियां बिठाने में भाजपा और सपा के भी रणनीतिकार पीछे नहीं हैं, लेकिन बसपा ने इस बार ब्राह्मणों के लिए दिलों के दरवाजे खोल दिए हैं। प्रयागराज में इस बार के विधानसभा चुनाव में बसपा ने जिले की 12 सीटों में से चार पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारने की तैयारी की है। जिले में विधानसभावार प्रभारियों की नियुक्ति से साफ हो गया है कि मिशन-2022 में बसपा की नजर ब्राह्मïणों पर टिकी है।
बसपा विधानसभा का प्रभारी उसी को बना रही है, जिसे टिकट दिया जाना है। ब्राह्मण, मुस्लिम, दलित गठजोड़ से 2007 में सत्ता में आने वाली बसपा इस बार भाजपा से ब्राह्मणों की नाराजगी का पूरा फायदा उठाना चाहती है। इसके लिए ब्राह्मïणों को उम्मीदवारी में अधिक तरजीह दी जा रही है। पार्टी कैडर के साथ हाल के दिनों में हुई बैठकों और बुद्धिजीवी सम्मेलनों से भी साफ संकेत मिले हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती खास तौर पर सोशल इंजीनियरिंग का दांव पूरी ताकत से 2022 के विधानसभा चुनाव में भी चलना चाहती हैं।
दरअसल, वर्ष 2012 में सत्ता गंवाने के बाद से अब तक हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बसपा का जनाधार खिसकता ही रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तो पार्टी सियासी पिच पर जीरो पर आउट हो गई। भाजपा के बढ़ते प्रभाव से पार्टी की घटती ताकत का ही नतीजा रहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में मायावती ने अपनी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी तक से गठबंधन करने में परहेज नहीं किया।
इस बार ब्राह्मण मतदाताओं की भाजपा से बढ़ती नाराजगी का फायदा उठाने के लिए बसपा कोई चूक नहीं करना चाहती। पिछले महीने प्रयागराज आए बसपा महासचिव ने न सिर्फ ब्राह्मण सम्मेलन कर बिरादरी को एकजुट करने की कोशिश की, बल्कि संस्कृत और वेद पढ़ाने वाले शिक्षकों के संगठनों के साथ बैठकें तक देव भाषा को बढ़ाने की रणनीति बनाकर ब्राह्मणों का दिल जीतने की कोशिश की थी।