मोदी ने संविधान की उड़ाई धज्जियां, विपक्ष ने उधेड़ दी बखिया

पिछले दस सालों से भारत देश संविधान के मुताबिक नहीं चल रहा है.... दो हजार चौदह के बाद से देश मोदी और बीजेपी के इशारे पर चल रहा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः पिछले दस सालों से भारत देश संविधान के मुताबिक नहीं चल रहा है…. दो हजार चौदह के बाद से देश मोदी और बीजेपी के इशारे पर चल रहा है… सरकारी तंत्रों पर मोदी का नियंत्रण में हैं…. सभी सरकारी तंत्र जैसे ईडी, आईटी, सीबीआई और चुनाव आयोग पिछले दस सालों से मोदी के इशारे पर काम कर रहा है…. जैसे इन सभी तंत्रों का आका का आदेश मिलता है…… सभी तंत्र पूरे जोर-शोर के साथ अपने काम में लग जाते हैं और निर्दोश को दोशी शाबित करने… सरकार को गिराने और चुनी हुए मुख्यमंत्रियों को जेल में भेजने का खेल जारी हो जाता है…. वहीं चुनाव जीतने के लिए चुनाव आयोग को मोदी ने गुलाम बना लिया है…. और चुनाव आयुक्त मोदी के इशारे पर काम कर रहें हैं…. और विपक्ष के सवालों का जवाब शायराना अंदाज में देते हैं….. लोकतंत्र का सबसे निष्पक्ष विभाग ही….. जब सत्ताधीशों के इशारे पर काम करना शुरू कर देगी…. तो फिर देश में लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाता है….

हाल ही में हुए चुनावों में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है…. चुनाव खत्म होने पर मतदान प्रतिशत कम रहता है…. और दो चार घंटे बाद मतदान प्रतिशत सात से आठ फीसदी बढ़ जाता है…. जिससे साफ है कि चुनाव आयोग मोदी के इशारे पर काम कर रहा है…. आका की ओर से जितना आदेश दिया जाता है…. चुनाव आयुक्त उतना ही काम करते हैं…. और देश की जनता सहित विपक्ष को गुमराह करने का काम किया जा रहा है…. आपको बता दें कि मोदी संसद से कई दिनों तक गायब रहे और संविधान के पचहत्तर साल पूरा होने पर संसद में संविधान पर चर्चा करने के लिए आए और अपने भाषण में अतीत को ही पहले की तरह याद किया…… और देश में व्याप्त कमियों का नेहरू को जिम्मेदार ठहराया…. और इमरजेंसी का जिक्र किया… लेकिन अपने करीब दो घंटे के संबोधन में मोदी ने एक बार भी…. अपने दश सालों के कामों के बारे में जनता को एक बार भी नहीं बोला…. न ही अपने संबोधन में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार समेत महिला अपराधों से निपटने के लिए सरकार क्या काम कर रही है…. सरकार भविष्य को लेकर क्या प्लान है.,.. किस तरह से सरकार देश में व्याप्त समस्याओं के समाधान के लिए क्या कर रही है…. एक बार भी नहीं बोला… और अपनी नाकामी को छुपाने के लिए हमेशा के लिए पुरानी सरकारों को जिम्मेदार ठहराया….

आपको बता दें कि मोदी कब तक अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराते रहेंगे…. और खुद अपने कुछ चहेतों के लिए काम करते रहेंगे…. वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा को चार सौ से ज्यादा सीटें मिल जातीं…. तो वे मौजूदा संविधान को बदल देते… और उसकी जगह मोदी-शाह आदि द्वारा बनाया गया नया संविधान लागू कर देते…. लेकिन भारतीय मतदाताओं ने उनके इन मंसूबों पर ब्रेक लगा दिया…. संविधान निर्माण के पचहत्तरवें वर्ष की पृष्ठभूमि में संसद में संविधान पर बहस चल रही है…. संविधान निर्माताओं ने बहुत सोच-समझकर हमारे संविधान को आकार दिया है….. लेकिन आज हम संविधान पर सिर्फ चर्चा करते हैं…. क्या वाकई देश की सरकार संविधान के मुताबिक चल रही है… प्रियंका गांधी ने जब लोकसभा में संविधान पर टिप्पणी की तो हुक्मरानों की ओर से उन्हें इमरजेंसी की याद दिलाई गई…. लेकिन चतुर प्रियंका डगमगाई नहीं…. और उन्होंने कहा कि आपको भी इमरजेंसी से सीखना चाहिए…. वहीं अब तक की गई गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए….. अगर लोकतंत्र को बचाना है…. तो बैलट पेपर पर चुनाव कराएं…..

इस पर हुक्मरानों के मुंह सिल गए….. मूलत: मौजूदा भारतीय चुनाव प्रणाली हमारे संविधान के लिए सबसे बड़ा खतरा है….. देश की जनता को चुनाव और उसके बाद के नतीजों पर भरोसा नहीं है….. तो कौन सी विधानसभा और कौन सी संसद….. सारे घोड़े बारह टक्के…. हमारे संविधान के अनुच्छेद सैंतालीस में कहा गया है कि ‘इस संविधान के प्रारंभ होने से दस साल के भीतर, सरकार चौदह वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त….. और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी का निर्वहन करेगी……  संविधान लागू हुए पचहत्तर साल हो गए हैं…. नरेंद्र मोदी कहते हैं, नेहरू ने पैंसठ वर्षों तक कुछ नहीं किया….. लेकिन क्या उनके दस साल के कार्यकाल में जनता को वस्त्र, शिक्षा और रोजगार के मामले में उनका हक मिला…. जनता को अशिक्षित तो रखा ही गया…. बल्कि जनता को अंधभक्त भी बना दिया गया….

इसलिए हमारे लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाता…. जो लोग कहते थे कि आपातकाल के दौरान संविधान रौंदा गया….. वे आज सत्ता में हैं और इन लोगों ने संविधान के प्रावधानों के आधार पर सत्ता का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है…. इमरजेंसी के दौरान कर्ज न चुकाने वालों, कालाबाजारी करने वालों, गुंडों और स्मगलरस को ‘मीसा’ कानून के तहत जेल में डाल दिया गया था…. वहीं आज ऐसी प्रवृत्ति के तमाम ‘वतनदार’ संसद, विधानसभा और सरकार में हैं….. और उन्हें मोदीकृत संविधान का संरक्षण प्राप्त है….. ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की स्थिति के बारे में जवाहरलाल नेहरू ने जो कहा वह इमरजेंसी के दौरान कई नागरिकों ने देखा…. और अब मोदी युग में भी ऐसा ही हो रहा है…. पंडित नेहरू ने लिखा कि ‘हम सभी एक अत्यधिक शक्तिशाली दानव की चपेट में फंसे हैं…. और इस तरह की असहाय की भावना सभी जगह फैली हुई थी कि हम उससे निपटने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं…. हमारे शरीर की शक्ति छीन ली गई थी….

जिसके चलते हमारे मन मरणशील हो चुके थे…. उस समय भारत में केवल एक ही भावना व्याप्त थी वो डर की थी…. सर्वव्यापी जानलेवा…. सेना का डर, पुलिस का डर, जगह-जगह फैले गुप्तचरों का डर, सरकारी अधिकारियों का डर, दमनकारी और कारावास में सड़ा देने की अनुमति देने वाले कानूनों का डर…. ये ब्रिटिश राज के संविधान के खिलाफ थे….. भले ही भाजपा का यह कहना सच भी मान लें कि इमरजेंसी के दौरान लोगों में इस तरह का डर था….. लेकिन पिछले दस सालों में यहां कई गुना ज्यादा डर फैला है…. ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, पाले हुए गुंडों के गिरोह और पुलिस जैसे सरकार प्रायोजित तंत्र ने जो डर पैदा किया है…. उसके चलते देश में कई लोगों ने आत्महत्या कर ली…. और अदालतें उनकी जान बचाने में विफल रहीं…. इसका मतलब यह है कि देश में संविधान का अस्तित्व खत्म हो चुका है…. तो फिर संसद में किस संविधान पर चर्चा हो रही है….

आपको बता दें कि परभणी में संविधान के अपमान की वजह से ही दंगा भड़का….. पिछले दस वर्षों से संविधान के मूल्यों और मर्यादाओं को पैरों तले रौंद कर शासन चलाया जा रहा है…. यही संविधान का असली अपमान है…. और लोग धर्म की अफीम की गोली खाकर नशे में हैं….. संविधान समिति ने नौ दिसंबर उन्नीस सौ छियालीस को अपना कार्य शुरू कर दिया…. दुनिया के सबसे नए और सबसे बड़े लोकतंत्र के संवैधानिक स्वरूप पर विस्तार से बताते हुए….. संविधान समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा ने उस ऐतिहासिक दिन के उद्घाटन भाषण में जोसेफ स्टोरी के शब्दों का संबोधन किया….. और कहा कि इस इमारत का निर्माण उच्च कोटि के कुशल और समर्पित वास्तुकारों द्वारा किया गया है….. इस वास्तु की नींव मजबूत है….. इसके हॉल सुंदर और उपयोगी हैं…. इसकी पूरी संरचना बड़े ही जानकारी के साथ व्यवस्थित की गई है…. इसकी प्राचीर इतनी मजबूत है कि कोई भी बाहर से हमला नहीं कर सकता….

लेकिन अगर इस वास्तु के ‘चौकीदार’ यानी संरक्षक मूर्खता, भ्रष्टाचार, अस्थिरता करेंगे या इस पर ध्यान ही नहीं देंगे….. तो यह एक घंटे के भीतर ढह जाएगा….. जनता इस वास्तु की सच्ची रखवाली होती है…. गणतांत्रिक देश का निर्माण नागरिकों की सद्भावना, सेवाभावना और बौद्धिक क्षमता से होता है….. जब बुद्धिमान लोगों को पंचायत सभाओं से हटा दिया जाता है…. तब इस गणतंत्र का पतन होता है…. देश के प्रति ईमानदार और धैर्यवान लोग संसद में नहीं बचते…. जब यह गणतंत्र दूसरों के हाथों में चला जाए…. तब इसका विनाश कोई नहीं टाल सकता…. क्योंकि ये चरित्र भ्रष्ट लोग नागरिकों को धोखा देने के लिए भ्रष्ट हुक्मरानों की स्तुतियां गाने लगते हैं…. ये शब्द सचमुच दूरदर्शी साबित हुए….. चापलूस, कायर और स्वार्थी, अंधभक्त लोगों के मेले में भारतीय संविधान की नींव हिल गई है….. फिर भी संसद में संविधान पर चर्चा जारी है…..

बता दें कि संसद के दोनों सदनों में इन दिनों संविधान को लेकर सत्ता पक्ष…. और विपक्ष के बीच तीखी बहस चल रही है…. इसी मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता और सांसद संजय राऊत ने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला है…. और उन्होंने कहा कि मोदी देश को मिले सबसे झूठ बोलने वाले महान प्रधानमंत्री हैं…. संजय राऊत ने कहा कि इस देश में न्यायालय और चुनाव आयोग को संविधान ने जो अधिकार दिए हैं….. उन्हें मोदी सरकार ने नष्ट कर दिया है…. न्यायपालिका दबाव में है…. और उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग, जिसे निष्पक्ष चुनाव कराना चाहिए…. वह सत्ताधीशों के दबाव में काम कर रहा है…. यह सब संविधान के अनुसार नहीं हो रहा है….. नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के लोग जब संविधान पर बात करते हैं….. तो यह संविधान का अपमान होता है….. भाजपा को बताना चाहिए कि उन्होंने संविधान को मजबूत करने के लिए क्या किया है…..

 

 

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