क्या सच में नाराज हैं केशव मौर्य के समर्थक
मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज चल रही हैं पिछड़ी जातियां
- डिप्टी सीएम की उपेक्षा के चलते संगठन में भी ऊहापोह की स्थिति
- चुनाव से पहले की रैलियों में भीड़ न जुटने से चिंतित हैं भाजपा
लखनऊ। यूपी में 2022 के विधानासभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने में अब चंद महीने से भी कम का समय है। अगले माह से आचार संहिता लगनी तय है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी जातिगत समीकरणों को हर तरह से दुरुस्त कर लेना चाहती है। मगर भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई है क्योंकि केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री न बनाए जाने से पिछड़ी जातियां नाराज चल रही हैं। डिप्टी सीएम के समर्थकों में खासी नाराजगी हैं।
यही नहीं, डिप्टी सीएम की उपेक्षा के चलते संगठन में भी ऊहापोह की स्थिति हैं। हकीकत यह है कि चुनाव से पहले की रैलियों में भीड़ न जुटने से भाजपा टेंशन में है। मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, उन्हें मुख्यमंत्री न बनाए जाने पर पिछड़ी जातियां अब तक नाराज चल रही हैं। मौर्य अक्सर कहते भी हैं कि अपेक्षाओं को मैं गलत नहीं मानता। यूपी में सपा, बसपा और कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के लोगों को वह सम्मान नहीं दिया है जो भाजपा ने दिया है।
माना जाता है कि यूपी में ओबीसी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा 54 फीसदी है। वहीं 2017 में पार्टी के 312 विधायकों में से 101 पिछड़ी जाति के जीते थे। सरकार में ओबीसी नेताओं को पर्याप्त तवज्जो न दिए जाने और आरक्षण, जातिगत जनगणना जैसी मांगों पर पिछड़े वर्ग में खासी नाराजगी है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार पिछड़े वर्ग को लुभाने में जुट गयी है।
चर्चा में यह बयान- सीएम कौन बनेगा केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा
सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच दूरी की खबरें कोई नई नहीं हैं। मौर्य ने कुछ दिनों पहले कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद कौन सीएम बनेगा ये केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। इसके बाद बीजेपी के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच इस दूरी की चर्चा चुनाव से पहले और तेज हो गई है। मौर्य के समर्थक भी चाहते हैं कि इस बार सीएम पद का चेहरा केशव मौर्य को पहले से घोषित कर दिया जाए।
आखिर दिल्ली में पीएम मोदी से क्यों मिले डिप्टी सीएम
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पीएम मोदी के खास माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद भवन में जब से मुलाकात की है तब से सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि आखिर दिल्ली में पीएम मोदी से डिप्टी सीएम मिलने क्यों गए। हालांकि मुलाकात के बाद केशव मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री का गरीब कल्याण का एजेंडा है। गांव के विकास का एजेंडा है। उन्होंने कहा हम लोग चाहते हैं कि गरीबों का कल्याण हो, वे आगे बढ़ें।
2017 में मेहनत प्रदेशाध्यक्ष ने की और मुख्यमंत्री योगी को बना दिया गया। केशव खुलकर कहे भले ना, मगर वो ही नहीं, उनके समर्थक खासे नाराज हैं। 2022 में यही पिछड़ा व ओबीसी समाज भाजपा को नकार देगा।
शुचि विश्वास, प्रवक्ता कांग्रेस
पिछड़ा समाज शुरू से सपा के साथ हैं। 2017 में बहक गया था। 2022 में भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करेगा। सपा व गठबंधन को अपना अमूल्य वोट देगा ताकि अखिलेश यादव समाज का भला कर सके।
डॉ. आशुतोष, प्रवक्ता सपा
भाजपा ने कभी पिछड़ों को तवज्जों नहीं दिया। केंद्र में मंत्री बनाकर जो दांव खेला वह आगामी चुनाव में उल्टा पड़ेगा। डिप्टी सीएम का पद देकर केशव को चुप करा दिया गया। यह उपेक्षा 2022 के चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देगा।
रोहित अग्रवाल, प्रवक्ता आरएलडी
इस सरकार में पिछड़ों पर अत्याचार इतना बढ़ गया है कि वे खौलते दूध की तरह उबल रहे हैं। वे सिर्फ 2022 का इंतजार कर रहे हैं। बदलाव के लिए तैयार बैठे हैं। केशव के अपमान का बदला अगले चुनाव में पिछड़ा समाज लेगा।
रोहित श्रीवास्तव, प्रदेश उपाध्यक्ष आप
अब छड़ी चलाएंगे राजभर, पार्टी को मिला सिंबल
लखनऊ। यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्ïदेनजर अखिलेश यादव के साथ धुआंधार चुनाव प्रचार में जुटे ओमप्रकाश राजभर अपने राजनीतिक विरोधियों खासकर भाजपा पर जमकर जुबानी तीर छोड़ रहे हैं। अब वे इसके साथ छड़ी भी चलाएंगे। चुनाव आयोग ने उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को चुनाव चिन्ह छड़ी आवंटित कर दिया है। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने आज सुबह एक ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी है।
गौरतलब है कि इस चुनाव के लिए राजभर की पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ और अलग से वे लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। इन जनसभाओं में वे जमकर भाजपा और उसके नेताओं पर जुबानी हमले बोल रहे हैं। वाराणसी पहुंचे राजभर ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों का दुख-दर्द दिखाई नहीं दे रहा है।
उन्होंने कहा विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण होने से गरीबों का कोई भला नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि भाजपा वालों को सिर्फ मुसलमान, पाकिस्तान और कब्रिस्तान जैसी चीजें ही दिखाई देती हैं। जबकि गरीबों को रोटी, कपड़ा, मकान और शिक्षा चाहिए। इसके बाद ही वे भगवान की पूजा करेंगे। भूखे भजन न होय गोपाला…।
2022 में भाजपा का पतन तय
राजभर ने दावा किया कि 2022 में भाजपा का पतन तय है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में हमारी सरकार का बनना तय है। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद हम सबसे पहले जातीय जनगणना कराएंगे। साथ ही सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कराएंगे। छुट्टा पशुओं की समस्या को भी दूर करेंगे। घर-घर शिक्षा पहुंचाएंगे। साथ ही घरेलू बिजली को पांच साल के लिए मुफ्त कर देंगे। उन्होंने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का भी वादा किया।