न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के गबन मामले में चौथा आरोपी गिरफ्तार
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नई दिल्ली। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के गबन मामले में वांछित एक व्यापारी के बेटे को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने 28 फरवरी को समाचार एजेंसी पीटीआई को यह जानकारी दी।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की तिजोरी से 122 करोड़ रुपये के गबन के मामले में वांछित आरोपी उन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई के बेटे मनोहर अरुणाचलम (33) को गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया। गौरतलब है कि मनोहर पर अपने पिता को भागने में मदद करने का आरोप है और उसे शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा। दूसरी ओर, मनोहर के पिता उन्नाथन अरुणाचलम पर मुख्य आरोपी और बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता से 40 करोड़ रुपये लेने का आरोप है। मनोहर ने कथित तौर पर 2019 में मेहता से 15 करोड़ रुपये लिए थे और अपने पिता को भागने और पुलिस की नजर से दूर रखने में मदद करने के लिए एक अन्य व्यक्ति से भी संपर्क किया था।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के गबन की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने धोखाधड़ी से प्रभावित बैंक का अलग-अलग समय पर ऑडिट करने वाली आधा दर्जन फर्मों के प्रतिनिधियों को तलब किया है। एक अधिकारी ने बताया कि ये वित्तीय सेवा फर्म 2019-2024 के दौरान वैधानिक, समवर्ती या आंतरिक ऑडिट में शामिल थीं, जिस अवधि में कथित गबन हुआ था। चूंकि ऋणदाता का प्रारंभिक ऑडिट मेसर्स संजय राणे एसोसिएट्स द्वारा किया गया था, इसलिए फर्म के एक भागीदार अभिजीत देशमुख से ईओडब्ल्यू पिछले चार दिनों से पूछताछ कर रहा है। अधिकारी ने बताया कि अब जांच एजेंसी ने चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म के एक अन्य भागीदार संजय राणे को अपना बयान दर्ज करने के लिए तलब किया है।
न्होंने बताया कि संजय राणे एसोसिएट्स के अलावा ईओडब्ल्यू ने मेसर्स यूजी देवी एंड कंपनी, मेसर्स गांधी एंड एसोसिएट्स एलएलपी, मेसर्स शिंदे-नायक एंड एसोसिएट्स, मेसर्स जैन त्रिपाठी एंड कंपनी और मेसर्स एसआई मोगुल एंड कंपनी को भी तलब किया है। अधिकारी ने बताया कि इन फर्मों के प्रतिनिधियों को बुधवार से ही बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है। उन्होंने कहा, अगर जरूरत पड़ी तो ईओडब्ल्यू बैंक के वित्तीय रिकॉर्ड की फोरेंसिक ऑडिट की मांग करेगा ताकि पता लगाया जा सके कि 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी कैसे की गई।
अधिकारी ने बताया कि बैंक के पूर्व सीईओ अभिमन्यु भोआन, जो कथित धोखाधड़ी के लिए अब तक गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में से एक हैं, ने बैंक की सभी ऑडिट रिपोर्ट और बैलेंस शीट पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि भोआन साजिश का हिस्सा थे क्योंकि उन्हें पता था कि बैंक की तिजोरियों में कितनी नकदी है।