भगवान बुद्ध के हैं ये प्रमुख मंदिर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भारत में भगवान बुद्ध के मंदिरों और स्तूपों की प्रमुखता बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृतियों को दर्शाती है। इन स्थलों पर जाकर न केवल धार्मिक अनुभव प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि यह स्थल बौद्ध कला, वास्तुकला और इतिहास के भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा शुद्धोधन के घर 563 ईसा पूर्व में हुआ था। इनकी माता जी का नाम महामाया था। इनके जन्म के महज 7 दिनों बाद इनकी माता जी पंचतत्व में विलीन हो गई थी। इसके बाद बुद्ध का पालन पोषण इनकी मौसी जी महाप्रजापती गौतमी ने किया। गौतम बुद्ध बाल्यावस्था से ही अध्यात्म प्रवृति के व्यक्ति थे। इस वजह से 30 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध सन्यासी बन गए। वर्षों की तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से लोग उन्हें भगवान् बुद्ध कहकर पुकारने लगे। वे 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए थे।
सांची स्तूप, मप्र
ये स्तूप बौद्ध धर्म के विकास और प्रसार का गवाह है। सांची स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए स्तूपों में से एक है, जो बौद्ध धर्म का प्रमुख प्रतीक है। यहां तोरण द्वार है, जो बुद्ध के जीवन और उपदेशों को चित्रित करता है। सांचू स्तूप की शानदार नक्काशी और मूर्तियां, जो बौद्ध संस्कृति और कला का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये जगह भी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
धौली गिरि स्तूप, ओडिशा
धौली गिरि स्तूप वह स्थान है जहां सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया था। ऐसे में ये स्थल अशोक के जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। यहां देखने को शांति स्तूप है, जो जापानी शैली में बना है और शांति का प्रतीक है। इसके अलावा यहां अशोक के शिलालेख, जो बौद्ध धर्म के प्रचार के बारे में बताते हैं। यह सूबा टूरिज्म के लिहाज से बेहद समृद्ध है। धौली गिरि हिल्स ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से महज 8 किमी की दूरी पर है। यह एक पहाड़ी की चोटी पर है। यह हिल स्टेशन दया नदी के किनारे है। बड़ी तादाद में टूरिस्ट इस जगह को देखने के लिए आते हैं। यह हिल्स इगतपुर, बसंतपुर और गोवर्धनपुर जैसे प्रमुख शहरों के नजदीक है। धौली गिरि हिल्स में आप शांति और सुकून के बीच पिकनिक मना सकते हैं।
सारनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश
सारनाथ वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। ये स्थल बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां धमेक स्तूप है, जो भगवान बुद्ध के पहले उपदेश का प्रतीक है। इसके अलावा सारनाथ संग्रहालय में भगवान बुद्ध से जुड़े प्राचीन अवशेष हैं। इसका इतिहास 2,500 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यह प्राचीन काल में शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र और बौद्ध भिक्षुओं के लिए एक प्रसिद्ध गंतव्य था। शासक सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने और सारनाथ में विभिन्न इमारतों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महाबोधि मंदिर, बिहार
भगवान बुद्ध का ये मंदिर उस स्थान पर स्थित है, जहां भगवान बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। यूनेस्को द्वारा यह स्थल विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। ये बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र स्थल है। यहां एक बोधि वृक्ष है, जिसे बुद्ध के ज्ञान की प्राप्ति से जोड़ा जाता है। इसके साथ-साथ यहां वज्रासन है, जहां भगवान बुद्ध ने ध्यान किया था। यह ऐतिहासिक मंदिर बौद्ध सर्किट मानव कल्याण की दिशा में भगवान बुद्ध के कार्यों की निशानी है। देश विदेश के लोग यहां हर साल आते हैं। यह पावन स्थल दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह गंगा नदी के मैदानी भाग में स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में बुद्ध की सोने की प्रतिमा लगी हुई है।