Sambhal Masjid News : मौलाना कारी इसहाक गोरा का बड़ा बयान, कहा- जुमा मस्जिद कहना गलत है
मशहूर आलिम और इस्लामी तालीमात के जानकारी मौलाना कारी इसहाक गोरा ने एक अहम बयान जारी करते हुए कहा है कि 'जुमा मस्जिद' कहनान केवल लफ़्जी तौर पर ग़लत है, बल्कि इसका कोई शरई आधार भी नहीं है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः संभल की जामा मस्जिद को जुमा मस्जिद कहे जाने पर धर्म गुरुओं की प्रतिक्रियाए आनी शुरू हो गई है . मशहूर आलिम और इस्लामी तालीमात के जानकारी मौलाना कारी इसहाक गोरा ने एक अहम बयान जारी करते हुए कहा है कि ‘जुमा मस्जिद’ कहना न केवल लफ़्जी तौर पर ग़लत है, बल्कि इसका कोई शरई आधार भी नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सही शब्द ‘जामा मस्जिद’ है, जिसका इस्तेमाल ही दीनी लिहाज से दुरुस्त है.
मौलाना ने बताया कि अरबी भाषा में ‘अल-जामेअ’ शब्द का मतलब होता है ‘इकट्ठा करने वाला’ या ‘एकत्र करने वाली जगह’. इसी से’जामा मस्जिद’ शब्द बना है, जिसका मतलब है वह मस्जिद जहाँ नमाज-ए-जुमा, ईद की नमाज और दूसरी बड़ी इबादतें सामूहिक रूप से अदा की जाती हैं. उन्होंने कहा कि यह केवल इबादतगाह नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज के इत्तिहाद और तहजीब का भी प्रतीक होती है. उन्होंने कहा कि आम भाषा में लोग अनजाने में ‘जुमा मस्जिद’ कह देते हैं, लेकिन यह न सही शब्द है और न इसका कोई दीनी आधार है. ‘जुमा’ तो हफ़्ते का एक दिन है, लेकिन ‘जामा’ एक ऐसी मस्जिद को कहते हैं जहाँ बड़ी तादाद में लोग जुमा की नमाज और दूसरी बड़ी इबादतों के लिए जमा होते हैं.
मुस्लिमों से की ये अपील
कारी इसहाक गोरा ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि दीनी अल्फ़ाज और नामों के इस्तेमाल में संजीदगी जरूरी है. उन्होंने कहा कि ‘हमारी दीनी तालीम, तहजीब और पहचान तभी बाकी रहेगी जब हम सही लफ़्जों और सही इस्तिलाहात का इस्तेमाल करेंगे.’
उन्होंने कहा कि समाज को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सही दीनी लफ़्ज सिखाए ताकि आने वाली नस्लें भी अपनी असल पहचान और जबान से जुड़ी रहें.
गौरतलब है कि भारत में कई शहरों में ‘जामा मस्जिद’ के नाम से ऐतिहासिक मस्जिदें मौजूद हैं. दिल्ली की जामा मस्जिद, जो मुग़ल बादशाह शाहजहां द्वारा 1656 में बनवाई गई थी, देश की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक मानी जाती है. ऐसे में ‘जामा मस्जिद’ शब्द का इस्तेमाल न केवल ऐतिहासिक, बल्कि भाषाई रूप से भी सही माना जाता है.



