यूपीए सरकार की कूटनीति की वजह से पकड़ा गया राणा: चिदंबरम

- पूर्व गृहमंत्री बोले- प्रत्यर्पण का मोदी सरकार ले रही क्रेडिट
- 2014 में सरकार बदलने के बाद भी यूपीए सरकार की नीतियों पर चली कार्यवाही
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर बयान देते हुए कहा है कि मुझे खुशी है कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक राणा को भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया, लेकिन पूरी कहानी बताना जरूरी है, जबकि मोदी सरकार इस घटनाक्रम का श्रेय लेने के लिए होड़ में लगी है, सच्चाई उनके दावों से कोसों दूर है। उन्होंने कहा कि यह प्रत्यर्पण डेढ़ दशक की कठिन, परिश्रमी और रणनीतिक कूटनीति का परिणाम है, जिसकी शुरुआत, अगुवाई और निरंतरता यूपीए सरकार ने अमेरिका के साथ समन्वय से सुनिश्चित की।
पी चिदंबरम ने कहा कि इस दिशा में पहली बड़ी कार्रवाई 11 नवंबर 2009 को हुई, जब एनआईए ने नई दिल्ली में डेविड कोलमैन हेडली (अमेरिकी नागरिक), तहव्वुर राणा (कनाडाई नागरिक) और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया।
उसी महीने कनाडा के विदेश मंत्री ने भारत के साथ खुफिया सहयोग की पुष्टि की जो की यूपीए सरकार की कुशल विदेश नीति का सीधा परिणाम था। चिदंबरम ने कहा कि 2014 में सरकार बदलने के बाद भी, जो प्रक्रिया चल रही थी, वह यूपीए सरकार के समय शुरु हुई संस्थागत पहल की वजह से जीवित रही। 2015 में हेडली ने सरकारी गवाह बनने की पेशकश की। 2016 में मुंबई की अदालत ने उन्हें क्षमादान दिया, जिससे ज़बीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुदाल के खिलाफ केस मजबूत हुआ। दिसंबर 2018 में एनआईए की टीम प्रत्यर्पण से जुड़ी कानूनी बाधाएं सुलझाने अमेरिका गई और जनवरी 2019 में बताया गया कि राणा को अमेरिका में अपनी सजा पूरी करनी होगी। राणा की रिहाई की तारीख 2023 निर्धारित की गई, जिसमें पहले से की गई कैद की अवधि भी जोड़ी गई थी। यह मजबूत नेता की त्वरित कार्रवाई नहीं थी, बल्कि वर्षों की मेहनत से आगे बढ़ रही न्याय की प्रक्रिया थी। चिदंबरम ने कहा कि कानूनी अड़चनों के बावजूद, यूपीए सरकार ने संस्थागत कूटनीति और विधिक प्रक्रियाओं के माध्यम से लगातार प्रयास जारी रखा। 2011 के अंत से पहले, एनआईए की एक तीन सदस्यीय टीम अमेरिका गई और हेडली से पूछताछ की। परस्पर कानूनी सहायता संधि के तहत अमेरिका ने जांच के अहम सबूत भारत को सौंपे, जो दिसंबर 2011 में दायर एनआईए की चार्जशीट का हिस्सा बने।
‘यूपीए सरकार ने प्रत्यर्पण पर बनाए रखा दवाब’
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, एफबीआई ने 2009 में राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया, जब वह कोपेनहेगन में एक नाकाम आतंकी हमले की साजिश में लश्कर-ए-तैयबा की मदद कर रहा था. हालांकि जून 2011 में अमेरिकी अदालत ने उन्हें 26/11 हमले में सीधे शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन अन्य आतंकी साजिशों में दोषी पाकर उन्हें 14 साल की सजा सुनाई। यूपीए सरकार ने इस निर्णय पर सार्वजनिक रूप से निराशा जताई और कूट-नीतिक दबाव बनाए रखा।
राणा का प्रत्यर्पण नए भारत का संकल्प : पूनावाला
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह सभी सुरक्षा, आतंकवाद निरोधक, अभियोजन और खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ी जीत है। पूनावाला ने आगे कहा कि प्रत्यर्पण इस बात का संकल्प है कि भारत आतंकी हमलों पर चुप नहीं रहेगा बल्कि कड़ा जवाब देगा। उन्होंने कहा कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण, न केवल 138 भारतीय पीडि़तों के लिए बल्कि कई अन्य देशों के पीड़ितों के लिए भी न्याय और समाधान सुनिश्चित करने और उसके करीब पहुंचने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। शहजाद पूनावाला ने दावा किया कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण कोई आम प्रत्यर्पण नहीं है, ये नए भारत के संकल्प का प्रतिबिंब है। जिसे 2019 में पीएम नरेन्द्र मोदी जी ने परिभाषित करते हुए कहा था? कि अगर कोई भारत की अखंडता, एकता, सुरक्षा, अस्मिता या किसी भी निर्दोष भारतवासी पर हमला करने की जुर्रत करेगा, तो भारत ऐसे आतंकी को पाताल से भी खोज कर न्याय के पथ पर लाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि आज तहव्वुर राणा जब भारत लाया जा रहा, तो ये एक चेतावनी भी है। हर एक उस आतंकी के लिए, आतंकी साजिशकर्ता के लिए कि चाहे आप दुनिया के किसी कोने में छिप कर क्यों न बैठे हो, भारत आपको चुन चुन कर ढूंढेगा और न्याय के पथ पर लाएगा। भाजपा नेता ने कहा कि घरेलू आतंकवाद के कई मामलों में हमारी एजेंसियों ने अपराधियों को सजा दिलाने में सफलता प्राप्त की है।



