विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर याद आया 4PM

- सोशल मीडिया पर उठी 4PM चैनल की बहाली की मांग
- #रिस्टोर 4PM, अनब्लॉक 4PM के नारों से गूंज रहा है सोशल मीडिया
- पक्ष में लोगों के वीडियो की बाढ़ सी आयी
- आप नेता संजय सिंह समेत जाने माने पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट ने की चैनल को बहाल करने की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। हर वर्ष 3 मई को मनाया जाने वाला विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस आज भी मनाया गया। लेकिन कागजों और सरकारी कार्यक्रमों में। हाल की घटनाएं और आकंड़े यह बताने के लिए काफी है कि यदि इस देश में कोई स्वतंत्र होकर पत्रकारिता करेगा तो उस पर सरकारी कार्रवाई तय है। जैसा की 4पीएम के साथ हुआ।
एक बेबाक चैनल, एक निषपक्ष पत्रकार के तीखे सवालों से सरकार बैचेन हुई और उसका गला घोट दिया गया। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सभी को न्याय की उम्मीद है। 4पीएम के पक्ष में सिर्फ देश ही नहीं बल्कि सरहदों के दूसरी ओर से भी आवाजे बुलंद होने लगी है। खुद एलन मास्क का ग्रोक चीख कर बता रहा है कि सरकार मानहानि, राजद्रोह, और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे आरोपों का उपयोग आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ करती है।
मीडिया की रक्षा जरूरी
आप सांसद संजय सिंह ने कहा है कि इन घटनाओं से स्पष्ट है कि भारत में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर दबाव बढ़ रहा है। स्वतंत्र रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को कानूनी कार्रवाइयों, सेंसरशिप और अन्य प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरा है, क्योंकि स्वतंत्र मीडिया ही जनता की आवाज़ बनता है और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करता है। उन्होंन कहा कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर, यह आवश्यक है कि हम भारत में मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं। सरकार को चाहिए कि वह पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, सेंसरशिप को समाप्त करे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे। केवल तभी हम एक सशक्त और लोकतांत्रिक समाज की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
हाल की घटनाएं और सरकारी कार्रवाइयां
- 4 पीएम यूट्यूब चैनल का बंद होना:- सरकार द्वारा बिना पूर्व सूचना के 4पीएम जैसे यूट्यूब चैनलों को बंद कर दिया गया जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता पर सवाल उठे।
- राफेल सैटर का ओसीआई रद्द:- अमेरिकी पत्रकार राफेल सैटर का ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया स्टेटस रद्द कर दिया गया क्योंकि उन्होंने एक भारतीय साइबर सुरक्षा कंपनी एपिन और उसके सह-संस्थापक रजत खरे की आलोचना की थी। सैटर ने दावा किया था कि एपिन भाड़े पर हैकिंग नेटवर्क के रूप में कार्य कर रही है जो वैश्विक स्तर पर राजनेताओं, सैन्य अधिकारियों और व्यवसायिक नेताओं को निशाना बना रही है।
- सोशल मीडिया पर सेंसरशिप:- एलन मस्क की कंपनी एक्स ने भारत सरकार के खिलाफ सेंसरशिप के आरोप में मुकदमा दायर किया है जिसमें सरकार पर सेंसरशिप पोर्टल के माध्यम से सामग्री हटाने का आरोप लगाया गया।
चैनल का बंद किया जाना लोकतंत्र पर हमला
वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क के समर्थन में खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने मीडिया की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। उमाकांत लखेड़ा ने 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क के संपादक संजय शर्मा के साथ एक परिचर्चा में भी भाग लिया जहां उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालात और मीडिया की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। परिचर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया पर बहुआयामी हमला जारी है और एक संगठित प्रयास हो रहा है कि मीडिया को समाज के लिए खतरनाक बताया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों को डराने और चुप कराने की कोशिशें लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती हैं। उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए लीगल सेल बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि पत्रकारों को कानूनी मदद मिल सके और वे स्वतंत्र रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
4PM सभी का चैनल है
जाकिर अली त्यागी कहते हैं कि हाल ही में सरकार ने 1 करोड़ सब्सक्राइबर वाले यूट्यूब चैनल 4पीएम पर रोक लगा दी है। चैनल को बंद कर दिया है, मैं देश के लोगों को बता देना चाहता हूं कि 4पीएम आपका अपना चैनल है जो गरीबो, शोषितों और वंचितों के लिए रिपोर्टिंग करता रहा है। यह चैनल एडिटर संजय शर्मा का नहीं बल्कि हम सबका चैनल है इसलिए चैनल की लड़ाई आप लड़े देश के नागरिक को इस चैनल के लिए आवाज उठानी चाहिए वरना वो समय दूर नही जब आपकी आवाज़ों को भी सरकार आसानी से बंद कर देगी।
चिंताजनक है स्थिति
भारत में इस वर्ष प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक रही है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित वल्र्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2025 में भारत की रैंकिंग 151वीं रही, जो 2023 में 161वीं थी। यह सुधार सकारात्मक संकेत है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि भारत अभी भी प्रेस स्वतंत्रता के मामले में कई देशों से पीछे है।




