जयंत चौधरी को BJP के साथ आना पड़ा भारी, सत्ता की चाह में वोट बैंक में दरार
सत्ता की चाहत में जयंत के कोर वोट-बैंक में दरार... बीजेपी से गठबंधन करना पड़ा भारी... तमाम बड़े नेताओं ने छोड़ा साथ... आरएलडी का बिखर रहा कुनबा...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः इस समय उत्तर प्रदेश की सिसासत में गजब का तूफान मचा हुआ है…. सभी दलों में अपने वर्चस्व को लेकर सियासी जंग छिड़ी हुई है….. बीजेपी के साथ जुड़ी पार्टियां अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है….. क्योंकि बीजेपी के साथ आने के कारण कोर वोट बैंक ने भी अपनी पार्टी से दूरी बना ली है….. जिसको लेकर पार्टियों में हलचल बढ़ गई है….. बीजेपी की साथी पार्टी रालोद की मुश्किले लगातार बढ़ रही है….. उनके साथी उनका साथ छोड़कर पार्टी को अलविदा कह रहे है…. हम इस खबर में जानेंगे कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले रालोद का कुनबा क्यों बिखर रहा है….. क्या रालोद के कोर वोटरों में शामिल जाट-मुस्लिम साथ छोड़ रहे है….. बीजेपी से गठबंधन का रालोद को फायदा या नुकसान हुआ है…..
राष्ट्रीय लोकदल की कमान तीसरी पीढ़ी के जयंत चौधरी के हाथों में है…… वर्तमान में रालोद के 2 सांसद लोकसभा में हैं……. खुद जयंत राज्यसभा में सांसद एवं केंद्र में मंत्री हैं…… यूपी विधानसभा में पार्टी के 9 विधायक हैं…… पार्टी के एक विधायक को यूपी मंत्रिमंडल में भी जगह मिली हुई है……. वहीं विधान परिषद में भी पार्टी के एक सदस्य हैं……. सांसद- विधायकों की संख्या के लिहाज से रालोद प्रदेश की चौथी बड़ी पार्टी है…… हालांकि रालोद में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है…… बीजेपी से गठबंधन और हाल ही में लोकसभा से पास किए गए वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम नेताओं में नाराजगी है…… पिछले 1 साल में पार्टी के 7 बड़े चेहरे पार्टी को अलविदा कर चुके हैं…….
आपको बता दें कि रालोद के प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने न सिर्फ पार्टी छोड़ी…… बल्कि जयंत पर ‘भटक जाने’ और मुसलमानों से विश्वासघात का सीधा आरोप लगाया……. मेरठ से ताल्लुक रखने वाले रिजवी ने कहा कि जयंत चौधरी ने उस समुदाय को धोखा दिया……. जिसने उन्हें आंखों का तारा बना रखा था…… वक्फ बिल पर समर्थन से हम आहत हैं….. बता दें कि शाहजेब वही नेता हैं……. जिन्होंने 2020 में एक आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने वाले युवक के सिर पर 51 लाख का इनाम घोषित कर दिया था…… अब वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से जुड़ गए हैं……. शाहजेब ने इस्तीफा देते समय जयंत चौधरी पर सियासी हमला बोला था…… और शाहजेब ने कहा था कि उनके सभी विधायक वहां से जीते हैं……… जहां मुस्लिमों का अच्छा खासा वोट बैंक है…… 2027 के चुनाव में ही सब कुछ पता चल जाएगा……. मुसलमानों को इन्हें एहसास कराना चाहिए कि हमने आप पर भरोसा किया……. लेकिन आप हमें छोड़कर चले गए…….
वहीं हापुड़ के जिला महासचिव भी वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन करने के बाद पार्टी से अलग हो गए…… और उन्होंने जयंत चौधरी के रुख पर नाराजगी जताते हुए कहा कि रालोद से भारी मन से इस्तीफा देने का निर्णय लिया……. यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था…… लेकिन पार्टी के नेतृत्व, नीतियों और आपने जिस तरह से मुसलमानों व अन्य वंचित समुदायों की उपेक्षा की……… उसके बाद यह मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया था……. रालोद पार्टी का दावा था कि वह सभी समुदायों को साथ लेकर चलेगी…….. लेकिन आज पार्टी सत्ता के मोह में सब कुछ भूल चुकी है…… रालोद के रूहेलखंड प्रांत के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष रहे शमशाद अंसारी ने सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दिया था……… वे भी वक्फ विधेयक के समर्थन से नाराज थे……. और उन्होंने इस्तीफा देते वक्त कहा था कि जयंत चौधरी की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के कारण बड़ी संख्या में लोग रालोद से जुड़े थे…… लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी के रुख से मुस्लिम समाज खुद को ठगा महसूस कर रहा है…….
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से गठबंधन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने इस्तीफा दे दिया था…… और उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि मैं जयंत चौधरी जी और RLD में अपने साथियों का आभारी हूं…….. आज जब भारत का संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है……. तो खामोश रहना पाप है……. मैं जयंत जी का आभारी हूं…….. पर भारी मन से RLD से दूरी बनाने के लिए मजबूर हूं…… भारत की एकता, अखंडता विकास और भाईचारा सर्वप्रिय है……… इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी और धर्म है…… शाहिद जयंत के पिता अजीत सिंह के करीबी थे……. वे रालोद में 6 साल रहे….. जबकि पार्टी के युवा शाखा के प्रदेश प्रवक्ता रोहित जाखड़ ने भाजपा के पूर्व सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बेटे को लोकसभा में केसरगंज से टिकट मिलने से नाराज होकर इस्तीफा दिया था……. तब खिलाड़ियों ने ब्रजभूषण के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा था…… और उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा था कि भाजपा बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ कर रही है……. वे राष्ट्रीय लोकदल की नीतियों से आहत हैं…….
रालोद के राष्ट्रीय कैंपेन इंचार्ज प्रशांत कनौजिया ने भी लोकसभा 2024 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘तानाशाह’ बताते हुए पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे…… और उन्होंने तब सोशल मीडिया पर इस्तीफे की कॉपी पोस्ट करते हुए लिखा था कि मुझे नरेंद्र मोदी में श्रद्धेय चौधरी चरण सिंह नहीं……. बल्कि एक क्रूर तानाशाह नजर आता है….. 700 किसानों की शहादत के लिए जिम्मेदार…… लखीमपुर खीरी में गाड़ी से कुचलने वाले……. और महिला पहलवानों को प्रताड़ित करने वालों का साथ दिया तो मानवता के साथ देश के साथ गद्दारी होगी….. और उन्होंने जयंत चौधरी को कम उम्र में बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए धन्यवाद दिया था….. वहीं रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे भूपेंद्र चौधरी ने भी मुस्लिम समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था…… और उन्होंने इस्तीफे में लिखा था कि मुस्लिमों के कारण रालोद में जान पड़ी थी……. लेकिन भाजपा से गठबंधन कर उन्हें धोखा दिया गया……
आपको बता दें कि रालोद को 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में कुल 8 सीटें मिलीं…… जबकि उसने 33 सीटों पर सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था……. रालोद-सपा गठबंधन ने पश्चिमी यूपी की शामली…… मुरादाबाद सीटों पर सौ फीसदी और मेरठ-मुजफ्फरनगर बेल्ट में शानदार प्रदर्शन किया था….. वहीं पश्चिमी यूपी के 24 जिलों में 126 सीटें हैं……. 2017 में बीजेपी की 100 सीटें आई थीं……. 2022 में बीजेपी की 85 सीटें आईं……. हालांकि जो लोग सपा-रालोद गठबंधन के लिए 100 फीसदी सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे थे……. उन्हें परिणाम से झटका लगा…… रालोद-सपा गठबंधन को 41 सीटें ही मिलीं…….. इसमें रालोद की सिर्फ 8 सीटें थीं……. रालोद ने बाद में एक सीट उपचुनाव में जीता था……
वहीं अब रालोद का सपा से गठबंधन टूट चुका है……. बीजेपी के साथ गठबंधन में रालोद ने अपने कोटे की दोनों लोकसभा सीटें जीत ली हैं……. लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक के बाद मुस्लिम वोटरों में काफी नाराजगी है……. ऐसे में 2027 में रालोद के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं….. पश्चिमी यूपी में 26.21 फीसदी आबादी मुसलमानों की है……. कई जिलों में मुस्लिम आबादी 30 से 50 फीसदी तक है…… इसमें मुरादाबाद में 50.8 फीसदी, रामपुर में 50.6 फीसदी, बिजनौर में 43.0 फीसदी सहारनपुर में 42.0 फीसदी, मुजफ्फरनगर में 41.3 फीसदी, अमरोहा में 40.8 फीसदी, बरेली में 34.5 फीसदी और मेरठ में 34.4 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है…….. सपा की वजह से जो मुस्लिम वोट बैंक रालोद को विधानसभा चुनाव में मिला था……. वो अब भाजपा गठबंधन और वक्फ संशोधन विधेयक के बाद छिटक सकता है…….
वहीं जाट वोट बैंक की अब बात करते हैं…… पश्चिमी यूपी की 14 लोकसभा सीटों और 76 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स प्रभावशाली हैं…….. 76 सीटों पर 15 फीसदी से ज्यादा और 24 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा जाट वोटर हैं…… मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बीजेपी ने 2014 के लोकसभा…. और 2017 के विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी में बंपर सीटें जीती थीं…… उसके बाद जाट वोट बैंक रालोद से छिटक कर बहुतायत में बीजेपी की ओर ट्रांसफर हो गया था……. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किसान बिल के चलते जाट वोट बैंक एक बार फिर बंटकर रालोद की ओर आया…….. सपा के साथ गठबंधन में मुस्लिम-जाट समीकरण से रालोद को 8 सीटों पर जीत मिली……
यूपी में सपा, बसपा और रालोद सिर्फ अपने-अपने जातीय आधार वाले वोटों के साथ प्लस मुस्लिम वोटों के इर्द-गिर्द पूरी राजनीति करती रही हैं। रालोद पूरी तरह पश्चिमी यूपी आधारित पार्टी है। उसके सियासी आधार भी जाट और मुस्लिम वोटों पर टिका है। पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित काफी अहम भूमिका अदा करते हैं।
रालोद का कोर वोट बैंक जाट-मुस्लिम माना जाता है…… अब मुस्लिम वोटर छिटक चुका है……. अकेले जाट वोटों के सहारे जयंत चौधरी कुछ खास नहीं कर सकते……. पिछले लोकसभा से ऐन पहले रालोद ने भाजपा से गठबंधन किया…….. लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच वो अंडरस्टैंडिंग नहीं दिखी थी…….. यही कारण रहा था कि पहले चरण में जिन 8 सीटों पर चुनाव हुआ था……. उसमें से छह सीट भाजपा गठबंधन हारी थी….. बिजनौर रालोद के खाते में और पीलीभीत सीट भाजपा ने जीती थी…… बाकी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, मुरादाबाद, रामपुर सीट पर सपा-कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था……. नगीना सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने जीत दर्ज की थी…..



