2027 से पहले NDA में बगावती सुर बुलंद, यूपी में कैसे ‘पलटू चाचा’ बन गए Rajbhar ?
अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द होने के बाद मऊ सदर सीट पर उपचुनाव होगा... बीजेपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इस सीट पर दावा ठोका…

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से बीजेपी के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं….. बीजेपी को अपने सहयोगियों के ही बगावत का सामना करना पड़ रहा है…. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली कम सीटें…… और मोदी योगी लगातार घटती लोकप्रियता ने एनडीए का सारा खेल बिगाड़ दिया है….. सरकार तमाम मुद्दों पर फेल होती जा रही है….. जिसके कारण बीजेपी की उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में जनाधार कम होता जा रहा है….. जिसका फायदा सहयोगी उठा रहे हैं….. और बीजेपी की कमजोर पड़ती स्थिति को देखते हुए सभी सहयोगी आंख दिखा रहे हैं……. जिसको लेकर एनडीए में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है…..
वहीं अभी हाल में उत्तर प्रदेश की मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही सूबे की सियासत में हलचल तेज हो गई है…… मऊ सदर से विधायक रहे अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द होने के बाद यह सीट खाली हुई है……. अब्बास को हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई…… जिसके चलते उपचुनाव अनिवार्य हो गया है……. इस बीच योगी सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के हालिया बयानों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के भीतर नई दरारें उजागर कर दी हैं……..
ओम प्रकाश राजभर ने मऊ सदर सीट पर अपनी पार्टी का दावा ठोकते हुए साफ कहा है कि सुभासपा इस सीट पर उपचुनाव लड़ेगी……. इतना ही नहीं उन्होंने अब्बास अंसारी के समर्थन में खड़े होने का ऐलान कर बीजेपी को असहज कर दिया है…… राजभर ने कहा कि अब्बास ने हमारी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ा था…….. अगर वह हाई कोर्ट जाते हैं……. तो मैं उनके साथ खड़ा हूं…… जो बयान न केवल बीजेपी के लिए चुनौती है……. बल्कि NDA की एकता पर भी सवाल उठाता है…….
आपको बता दें कि मऊ सदर सीट पूर्वांचल की सियासत में हमेशा से हॉट सीट रही है…… इस सीट पर अंसारी परिवार का दशकों से दबदबा रहा है…… मुख्तार अंसारी स्वयं इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं……. अब्बास की विधायकी रद्द होने के बाद बीजेपी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की फिराक में है…….. लेकिन राजभर का रुख उनकी योजनाओं पर पानी फेर सकता है…….
राजभर का यह कदम NDA के लिए नया संकट पैदा कर रहा है…… बीजेपी पहले ही गठबंधन में सहयोगियों के साथ तालमेल की चुनौतियों का सामना कर रही है……. हाल के महीनों में बिहार और अन्य राज्यों में NDA के भीतर असंतोष की खबरें सामने आई हैं……. वहीं अब राजभर का अब्बास के प्रति समर्थन……. और मऊ सीट पर दावा बीजेपी के लिए सिरदर्द बन गया है……. सुभासपा का रूख न केवल गठबंधन की रणनीति को प्रभावित कर सकता है……. बल्कि पूर्वांचल में बीजेपी की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है…….
जिसके चलते सपा और अन्य विपक्षी दल इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में जुट गए हैं…….. सपा ने मऊ में अंसारी परिवार की सियासी विरासत को बचाने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है……. दूसरी ओर बीजेपी के सामने अब यह चुनौती है कि वह मऊ में अपनी स्थिति मजबूत करे या राजभर को मनाए…….. राजभर का बागी तेवर और अब्बास के प्रति उनका समर्थन पूर्वांचल की सियासत में नया मोड़ ला सकता है……..
दरअसल 2022 का विधानसभा चुनाव ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था…… राजभर की पार्टी सुभासपा के 6 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे……. जिनमें से एक अब्बास अंसारी भी थे……. लेकिन बाद में ओमप्रकाश राजभर ने सपा से गठबंधन तोड़ते हुए NDA में घर वापसी कर ली…….. हालांकि, उस वक्त उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव के दबाव में उन्होंने अब्बास अंसारी को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाया था……
लेकिन अब बदली हुई परिस्थिति में राजभर के 6 विधायकों में से एक अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने से सुभासपा के सदस्यों की संख्या 5 ही रह गई है…….. यह स्थिति राजभर के लिए संख्या के खेल में फिट नहीं बैठ रही………. लिहाजा वे कह रहे हैं कि अगर अब्बास अंसारी हाई कोर्ट जाते हैं तो वे सिंबल के मुद्दे पर उनका समर्थन करेंगे…….. यानी आम बोलचाल की भाषा में समझा जाए तो उन्होने कहा कि सिंबल बचाने के लिए वे हाई कोर्ट जाएंगे……… क्योंकि यह सीट उनके कोटे की है……. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से भी बात करेंगे……
बता दें कि यह पहली बार नहीं है….. कि जब ओम प्रकाश राजभर ने अपनी सरकार की लाइन से हटकर बयान दिया है…….. इससे पहले भी उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं……. लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपना रुख बदल लिया…….. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ‘पियरका चाचा’ एक बार फिर पलटी मार सकते हैं…….
आपको बता दें कि बसपा से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत करने वाले ओम प्रकाश राजभर……. यूपी की राजनीति में दशकों तक हाशिए पर रहे……. लेकिन उनकी किस्मत 2014 के लोकसभा चुनाव में बदली…….. 2014 के चुनाव में राजभर सलेमपुर लोकसभा से चुनाव लड़े……. और तीसरे नंबर पर रहे……. हालांकि, वह चुनाव नहीं जीत पाए……. लेकिन उनकी राजनीति चमक गई……. और वह पूर्वांचल में राजभरों के नेता के तौर पर उभरे…….
वहीं उनकी किस्मत उस वक्त बदली जब वे 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने अमित शाह के कहने पर NDA के साथ गठबंधन किया……. और मौसम को भांपते हुए राजभर ने भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का फैसला लिया…….. इस चुनाव में उनकी पार्टी ने 4 सीटें जीतीं…….. और ओम प्रकाश राजभर खुद गाजीपुर की जहूराबाद सीट से विधायक बने…….. योगी सरकार में उन्हें पिछड़ा वर्ग कल्याण और विकलांग जन विकास विभाग का मंत्री बनाया गया……. हालांकि 2019 में सरकार विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया…….
और 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले……… अक्टूबर 2021 में ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की…….. इस चुनाव ने यूपी की राजनीति में…….. खासकर पूर्वांचल में……. राजभर का कद बढ़ा दिया……. उनकी पार्टी सुभासपा ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा……. और 6 सीटें जीतीं…….. लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला……… और चुनाव के कुछ ही दिनों बाद राजभर सपा नेतृत्व की आलोचना करने लगे और गठबंधन से दूरी बना ली…….
आपको बता दें कि 16 जुलाई 2023 को राजभर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की……… और अपनी पार्टी को फिर से NDA में शामिल करने की घोषणा की…….. 2024 का लोकसभा चुनाव उन्होंने NDA के साथ लड़ा……… मऊ जिले की घोसी लोकसभा सीट उनके खाते में आई……… तो बेटे को चुनाव लड़वाया……. लेकिन वहां से उन्हें बड़ी हार मिली……. चुनाव के बाद राजभर को एक बार फिर योगी कैबिनेट में शामिल किया गया…….. लेकिन एक बार फिर उनके तेवर तल्ख हो गए हैं……. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि योगी और राजभर के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है…….. क्योंकि ओम प्रकाश राजभर सरकार की लाइन से हटकर बयान दे रहे हैं…….



