आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त योगेन्द्र मिश्रा निलंबित, आपराधिक जांच के चलते कार्रवाई
आदेश में कहा गया है कि योगेन्द्र मिश्रा के खिलाफ एक आपराधिक मामला जांच के अधीन है। इसी आधार पर उन्हें निलंबित किया गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः आयकर विभाग में कार्यरत संयुक्त आयुक्त योगेन्द्र मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इस संबंध में आदेश केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अंडर सेक्रेटरी नितिन माने की ओर से बुधवार को जारी किया गया। आदेश में कहा गया है कि योगेन्द्र मिश्रा के खिलाफ एक आपराधिक मामला जांच के अधीन है। इसी आधार पर उन्हें निलंबित किया गया है। निलंबन की अवधि में मिश्रा अब पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम स्थित आयकर मुख्यालय से सम्बद्ध रहेंगे। इस कार्रवाई को लेकर विभागीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है, और माना जा रहा है कि मामले की जांच पूरी होने तक मिश्रा को कोई सक्रिय दायित्व नहीं सौंपा जाएगा।
मौजूदा स्थिति समय में योगेन्द्र मिश्रा उत्तराखंड के काशीपुर में तैनात थे. उन पर आयकर भवन हजरतगंज (लखनऊ) में तैनात उपायुक्त गौरव गर्ग पर हमले का आरोप है. इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. यही वजह है कि उनके निलंबन में भी इस एफआईआर को आधार बनाया गया है. आयकर भवन हजरतगंज में इस कार्रवाई की चर्चा जोर पकड़ रही है. कहा जा रहा है कि सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर योगेन्द्र मिश्रा की टिप्पणियों ने भी उनके खिलाफ माहौल तैयार किया.
सूत्रों के मुताबिक, विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया. सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों से उनकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगे थे. चर्चा है कि विभाग के ही कुछ कर्मचारियों ने मिश्रा की पोस्ट्स को लेकर शिकायतें की थीं. साथ ही, उनके आचरण को विभागीय नियमों का उल्लंघन माना गया. बताया जा रहा है कि विभागीय नियमों के मुताबिक कोई भी सरकारी अधिकारी ऐसा आचरण नहीं कर सकता जिससे उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठे या विभाग की साख को ठेस पहुंचे.
अधिकारी विभागीय नियमों से ऊपर नहीं
जानकारी के मुताबिक, संयुक्त आयुक्त जैसे पद पर कार्यरत किसी अधिकारी पर लगे आरोपों की जांच के दौरान निलंबन अनिवार्य माना जाता है. सीबीडीटी ने भी इस मामले में नियमों का पालन करते हुए मिश्रा को निलंबित करने का आदेश जारी किया. इसके साथ ही उन्हें पश्चिम बंगाल और सिक्किम के आयकर मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके. विभागीय सूत्रों का कहना है कि सरकार की सख्ती और पारदर्शी व्यवस्था को देखते हुए ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई की जा रही है. ताकि यह संदेश जाए कि कोई भी अधिकारी विभागीय नियमों से ऊपर नहीं है.



