अस्पताल में डाक्टर की कमी से मौत, पुलिस ने तीमारदार पर बरसाए थे थप्पड़

जहां उनके बेटे और अन्य रिश्तेदार कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए... ऑन-ड्यूटी डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारियों से भिड़ गए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के पाटडी सरकारी अस्पताल में हाल ही में एक घटना ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है…… एक मरीज की मौत के बाद उनके परिजनों और पुलिस के बीच हुए टकराव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया……. जिसने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया….. इस घटना में पाटडी पुलिस इंस्पेक्टर बी.सी. चतरालिया के नेतृत्व में पुलिस कर्मियों पर एक युवक को थप्पड़ मारने…… और लात मारने का आरोप लगा है……. इस मामले ने पुलिस की कार्यशैली…… अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही और सामाजिक व्यवहार के मुद्दों को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है……. आज हम इस खबर में इस घटना के हर पहलू, इसके कारणों, परिणामों और चल रही जांच के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे…..

यह घटना 2 जून 2025 को पाटडी सरकारी अस्पताल में उस समय शुरू हुई……. जब एक मरीज की हृदयाघात के कारण मृत्यु हो गई……. मृतक के परिजनों ने विशेष रूप से उनके बेटे और अन्य रिश्तेदारों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया…….. उनका दावा था कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति……… और समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज की जान गई…….. गुस्साए परिजनों ने कथित तौर पर अस्पताल के कर्मचारियों…….. और ऑन-ड्यूटी डॉक्टर के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए बहस शुरू कर दी…….. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को बुलाया……

पाटडी पुलिस इंस्पेक्टर बी.सी. चतरालिया के नेतृत्व में एक पुलिस टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची……. पुलिस के अनुसार मृतक का बेटा नशे में धुत्त था…….. और उसने न केवल अस्पताल कर्मचारियों के साथ बल्कि पुलिस के साथ भी दुर्व्यवहार किया……. इस दौरान एक व्यक्ति ने घटना का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया……… जिसमें पुलिस कर्मी जिसमें स्वयं इंस्पेक्टर चतरालिया भी शामिल थे…….. एक युवक को थप्पड़ और लात मारते हुए दिखाई दिए……… यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया…….. जिसके बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे……..

आपको बता दें कि वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि पुलिस कर्मी एक युवक को बार-बार थप्पड़ मार रहे हैं……… जबकि वह शव के पास खड़ा है……… इस दृश्य ने लोगों में आक्रोश पैदा किया……. क्योंकि यह एक संवेदनशील स्थिति में पुलिस की बर्बरता को दर्शाता है……. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस घटना की निंदा की…….. और पुलिस में मानवता की कमी का आरोप लगाया……… कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या पुलिस का यह व्यवहार उचित था………. खासकर तब जब परिजन अपने प्रियजन की मौत के दुख में थे…….

सुरेंद्रनगर जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. गिरीशकुमार पंड्या ने इस मामले में तुरंत प्रतिक्रिया दी…… और उन्होंने पुष्टि की कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति नशे में था…….. और उसने अस्पताल कर्मचारियों और पुलिस के साथ अनुचित व्यवहार किया…….. हालांकि, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस मामले की गहन जांच की जाएगी……. और यदि पुलिस की ओर से कोई गलती पाई गई तो उचित कार्रवाई होगी…….. .

वहीं इस घटना की गंभीरता को देखते हुए…….. सुरेंद्रनगर पुलिस ने जांच का जिम्मा ध्रांगध्रा के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस जे.डी. पुरोहित को सौंपा…….. डीएसपी पुरोहित को इस मामले में सभी तथ्यों की जांच करने……. और घटना के पूरे क्रम को समझने का निर्देश दिया गया है……. जिसमें वो इन प्रमुख मुद्दों की जांच करेंगे….. क्या मृतक के परिजनों ने वास्तव में अस्पताल कर्मचारियों……. और पुलिस के साथ अभद्र व्यवहार किया था……. क्या युवक नशे में था, और यदि हां, तो उसका व्यवहार कितना आक्रामक था……

क्या पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उचित बल का उपयोग किया……. या उनकी कार्रवाई अनुचित और अत्यधिक थी…… क्या डॉक्टरों की अनुपस्थिति या लापरवाही के कारण मरीज की मृत्यु हुई……. अस्पताल कर्मचारियों ने स्थिति को कैसे संभाला…… वायरल वीडियो के संदर्भ को समझने के लिए…….. यह जांचा जा रहा है कि क्या वीडियो में पूरी घटना दिखाई गई है…… या इसे संदर्भ से बाहर प्रस्तुत किया गया है……

बता दें कि डीएसपी पुरोहित ने कहा कि जांच में सभी पक्षों के बयान दर्ज किए जाएंगे……. जिसमें अस्पताल कर्मचारी……. मृतक के परिजन और पुलिस कर्मी शामिल हैं……. इसके अलावा, अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज……. और अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को भी जांच का हिस्सा बनाया जाएगा…… वहीं यह घटना पुलिस और जनता के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ाने वाली साबित हुई है……. सुरेंद्रनगर जिले में पहले भी पुलिस की कार्रवाइयों को लेकर विवाद हुए हैं…… उदाहरण के लिए 2021 में पाटडी तालुका में एक कथित फर्जी मुठभेड़ में एक व्यक्ति……. और उसके बेटे की मौत हो गई थी……. जिसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे…….. इस तरह की घटनाएं जनता के बीच पुलिस पर अविश्वास को बढ़ाती हैं……

वहीं पाटडी अस्पताल की इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की जवाबदेही……. और उनकी शक्ति के दुरुपयोग के सवाल को सामने लाया है……. कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है…….. कुछ ने यह भी सुझाव दिया कि पुलिस कर्मियों को संवेदनशील परिस्थितियों में व्यवहार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए…….

इस घटना ने पाटडी सरकारी अस्पताल के प्रशासन पर भी सवाल उठाए हैं……… परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीज को समय पर उपचार नहीं मिला…….. जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई……… यह पहली बार नहीं है जब पाटडी सरकारी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं……. इससे पहले भी जनवरी 2025 में दो सफाई कर्मचारियों की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई थी……. जिसके बाद नगर पालिका और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की जांच के आदेश दिए गए थे…….

वहीं इस मामले में यदि यह साबित होता है कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति या लापरवाही के कारण मरीज की मृत्यु हुई……. तो अस्पताल प्रशासन को भी जवाबदेह ठहराया जा सकता है……. आपको बता दें कि यह घटना सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं……… और कर्मचारियों की उपलब्धता के मुद्दों को भी उजागर करती है……..

आपको बता दें कि पाटडी अस्पताल की घटना केवल एक स्थानीय विवाद तक सीमित नहीं है…….. इसके सामाजिक और कानूनी निहितार्थ भी हैं…… पहला यह पुलिस की शक्ति और उनके व्यवहार के नैतिकता के सवाल को उठाता है……… क्या पुलिस को हर स्थिति में बल प्रयोग करने का अधिकार है……… खासकर जब मामला भावनात्मक रूप से संवेदनशील हो…….. दूसरा यह सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठाता है……… क्या पर्याप्त डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों की जान जोखिम में है…….

कानूनी रूप से यदि जांच में पुलिस की गलती साबित होती है……… तो इंस्पेक्टर बी.सी. चतरालिया और अन्य शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है……. इसके अलावा यदि परिजनों की शिकायत सही पाई जाती है……… तो अस्पताल प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई संभव है…….

पाटडी सरकारी अस्पताल की यह घटना एक बार फिर पुलिस, अस्पताल प्रशासन……… और जनता के बीच विश्वास की कमी को दर्शाती है……. वायरल वीडियो ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है……. और अब सभी की नजरें डीएसपी जे.डी. पुरोहित की जांच पर टिकी हैं……. वहीं यह जरूरी है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो….. ताकि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके…….. और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके…….

 

 

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