कथावाचक देविका पटेल का इटावा कांड पर फूटा गुस्सा, कहा- अब सहन नहीं होगा अपमान! 

इटावा कांड पर भड़कीं कथावाचक देविका पटेल... पूरे ब्राह्मण समाज को सुना डाला! ‘अब सहन नहीं होगा अपमान’...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत में धर्म और संस्कृति का बहुत महत्व है…… और धार्मिक आयोजनों में जैसे भागवत कथा और राम कथा का आयोजन समाज में आस्था….. और एकता को बढ़ावा देता है…… हालांकि, हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के इटावा…… और मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुए दो घटनाओं ने धार्मिक आयोजनों को जातिगत भेदभाव के विवाद का केंद्र बना दिया है…… इन घटनाओं में कथावाचकों को उनकी जाति के आधार पर अपमानित किया गया…… और कथा करने से रोका गया…… इटावा में यादव कथावाचकों के साथ मारपीट….. और अपमान की घटना हुई……. जबकि जबलपुर में कथावाचक देविका पटेल को उनकी पटेल जाति के कारण कथा करने से रोका गया…… इन घटनाओं ने देशभर में एक गंभीर बहस को जन्म दिया है….. कि क्या धार्मिक कथाओं का वाचन केवल किसी विशेष जाति तक सीमित होना चाहिए…… आज हम इस खबर में इटावा और जबलपुर की घटनाओं पर बात करेंगे….. और जबलपुर की कथावाचक देविका पटेल की इटावा कांड पर प्रतिक्रिया….. और उनके द्वारा उठाए गए सवालों पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे……

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के दादरपुर गांव में 21 जून 2025 को एक भागवत कथा का आयोजन किया गया था…….. इस आयोजन में कथावाचक मुकुट मणि यादव…… और उनके सहयोगी संत सिंह यादव कथा वाचन के लिए पहुंचे थे…… आयोजन के दौरान कुछ ग्रामीणों ने कथावाचकों की जाति पर सवाल उठाए……. और आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी जाति छिपाकर स्वयं को ब्राह्मण बताते हुए कथा का आयोजन किया…… वहीं इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया……. और कथावाचकों के साथ मारपीट की गई……. उनकी चोटी काट दी गई……. सिर मुंडवाया गया और एक महिला के पैरों पर नाक रगड़वाने का अपमानजनक व्यवहार किया गया…….. वहीं इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया……. जिसके बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया……

वहीं घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया……. और मामले की जांच शुरू की……. इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है……. जिसमें चार लोग कथावाचकों के साथ बदसलूकी के मामले में……. और 19 लोग बाद में हुए प्रदर्शन और हिंसा के मामले में शामिल हैं…….

बता दें कि इस घटना के बाद यादव और ब्राह्मण समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया…… यादव संगठनों जैसे ‘अहीर रेजिमेंट’ और विश्व यादव परिषद ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किया……. जिसके दौरान पुलिस पर पथराव और सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं हुईं…….. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी…….

आपको बता दे कि इटावा कांड से पहले फरवरी 2025 में मध्य प्रदेश के जबलपुर में भी एक ऐसी ही घटना घटी थी…… कथावाचक देविका पटेल पिछड़ा वर्ग से हैं…… उनको एक धार्मिक आयोजन में कथा करने से रोका गया……. आयोजकों ने उनकी जाति को आधार बनाकर यह कहा कि केवल ब्राह्मण ही कथा वाचन कर सकते हैं…… वहीं इस घटना ने भी देश भर नए विवाद और चर्चा को जन्म दिया…… और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे जातिगत भेदभाव बताया……

वहीं देविका पटेल ने इस अपमान का डटकर मुकाबला किया……. और इसे पिछड़े वर्ग के खिलाफ साजिश करार दिया……. और उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल उनकी व्यक्तिगत गरिमा पर हमला था……. बल्कि यह पूरे पिछड़े वर्ग को नीचा दिखाने की कोशिश थी……. इस घटना ने कई सामाजिक संगठनों….. और नेताओं का ध्यान आकर्षित किया…… जिन्होंने इसे सामाजिक समरसता के खिलाफ एक कदम बताया…….

आपको बता दें कि इटावा कांड के बाद जब पत्रकारों ने देविका पटेल से उनकी प्रतिक्रिया मांगी……. तो उन्होंने ब्राह्मण समाज पर तीखा हमला बोला…… और उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब किसी कथावाचक को उसकी जाति के आधार पर अपमानित किया गया है…… और उन्होंने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कई सवाल उठाए…..  और देविका ने पूछा कि अगर कोई ब्राह्मण मांस खाता है या मदिरा का सेवन करता है…… तो क्या वह ब्राह्मण कहलाने का हकदार है…… उनके अनुसार, ब्राह्मणत्व जन्म से नहीं…… बल्कि कर्म से तय होता है…… अगर कोई व्यक्ति धार्मिक कार्यों में संलग्न है…… और समाज की भलाई के लिए काम करता है…….. तो उसकी जाति को आधार बनाकर उसे अपमानित करना गलत है…..

और उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि किस शास्त्र या धार्मिक ग्रंथ में लिखा है कि केवल ब्राह्मण ही कथा वाचन कर सकते हैं……. उन्होंने तर्क दिया कि हिंदू धर्म में सभी को भक्ति और आध्यात्मिक कार्यों में भाग लेने का अधिकार है…… देविका ने कहा कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक एकता को कमजोर करती हैं…… उन्होंने पूछा कि अगर हिंदू धर्म में सभी समान हैं…….. तो फिर जाति के आधार पर भेदभाव क्यों किया जा रहा है…..

वहीं इस विवाद में ब्राह्मण समाज ने भी अपनी बात रखी……. इटावा में ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने कहा कि कथावाचकों ने अपनी जाति छिपाई…… और धार्मिक भावनाओं को आहत किया…… और उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कथावाचकों ने आयोजक परिवार की महिला रेनू तिवारी के साथ अभद्र व्यवहार किया…… जिसके कारण यह विवाद शुरू हुआ……

रेनू तिवारी और उनके पति जयप्रकाश ने भी कथावाचक मुकुट मणि यादव पर छेड़खानी……. और धोखाधड़ी के आरोप लगाए…… और उन्होंने कहा कि अगर कथावाचकों ने अपनी जाति पहले ही स्पष्ट कर दी होती……. तो यह विवाद नहीं होता……. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि कथावाचकों के साथ मारपीट और अपमान करना गलत था……

दूसरी ओर कथावाचक मुकुट मणि और संत सिंह यादव ने कहा कि उन्हें उनकी जाति के आधार पर निशाना बनाया गया…….. मुकुट मणि के आधार कार्ड में उनका नाम “अग्निहोत्री” लिखा था……. जिसके कारण आयोजकों को लगा कि वे ब्राह्मण हैं……. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी जाति कोई रहस्य नहीं थी……. और आयोजकों को पहले से इसकी जानकारी थी……

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इटावा कांड पर कड़ी प्रतिक्रिया दी……. और उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से कथा वाचन का अधिकार ब्राह्मणों को है……. लेकिन किसी भी जाति के साथ अमानवीय व्यवहार को उचित नहीं ठहराया जा सकता…… और उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर कथावाचकों पर जल छिड़ककर उन्हें “पवित्र” कर दिया गया……. तो फिर उनकी कथा क्यों नहीं सुनी गई…….

हालांकि, काशी विद्वत परिषद जैसे धार्मिक संगठनों ने स्पष्ट किया कि भागवत कथा वाचन का अधिकार सभी हिंदुओं को है…… और इसे किसी एक जाति तक सीमित नहीं किया जा सकता……. वहीं इस घटना ने न केवल सामाजिक, बल्कि राजनीतिक बहस को भी जन्म दिया…… समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा…… और इसे पिछड़े वर्ग के खिलाफ अन्याय बताया….. और उन्होंने कहा कि यह घटना सपा के पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक मॉडल के खिलाफ साजिश है……

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी इस घटना की निंदा की…… और पूछा कि किस धार्मिक ग्रंथ में लिखा है कि यादव कथावाचक नहीं हो सकता…… वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया…… और इटावा के एसएसपी से 10 दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी…….

इटावा और जबलपुर की घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या धार्मिक कथावाचन का अधिकार केवल ब्राह्मणों तक सीमित है…… देश के कई प्रसिद्ध कथावाचकों की जाति पर नजर डालें……. तो यह स्पष्ट होता है कि कथा वाचन का कार्य विभिन्न जातियों के लोग कर रहे हैं……

वहीं इन घटनाओं ने सामाजिक एकता पर गहरा प्रभाव डाला है……. यादव और ब्राह्मण समुदायों के बीच तनाव बढ़ा है…… और यह विवाद अब जातिगत गोलबंदी का रूप ले चुका है……. सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं का कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में विभाजन को बढ़ावा देती हैं……. और हिंदू धर्म की एकता को कमजोर करती हैं….. देविका पटेल जैसे कथावाचकों का मानना है कि यह समय है कि समाज पुरानी रूढ़ियों को तोड़े…… और सभी को समान अवसर दे…… उनके सवालों ने यह विचारधारा मजबूत की है…… कि व्यक्ति का कर्म ही उसकी पहचान होना चाहिए, न कि उसकी जाति…..

 

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