ST Hasan का फूटा गुस्सा, ‘ये पहलगाम के आतंकियों जैसा बर्ताव’
सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन ने ढाबे पर काम करने वाले कर्मचारी के कपड़े उतरवाकर चैकिंग करने की घटना की निंदा की...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में इस समय धर्म की राजनीति चरम पर है…… बीजेपी सरकार सभी जरूरी मुद्दों को छोड़कर जाति और धर्म की तगड़ी राजनीति करने में जुटी है….. वहीं बीजेपी की नीति से प्रभावित होकर कुछ अराजकततिव धर्म की आड़ में समाज विरोधी काम करते हैं…. इसी कड़ी मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा से पहले ढाबे पर काम करने वाले कर्मचारी के कपड़े उतरवाकर चेंकिंग करने की कोशिश की गई…… जिसके बाद इस घटना पर सियासत भी तेज हो गई है…….. मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई……. और ऐसा करने वालों की तुलना पुलवामा की घटना के आतंकियों से कर डाली……. और उन्होंने कहा कि आज धर्म की राजनीति की जा रही है…… सपा नेता एसटी एसन ने कांवड यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नेम प्लेट……. और उनकी चैकिंग को लेकर हुई घटना पर कहा कि……. उन्हें ये अधिकार किसने दिया है कि वो ढाबों पर काम करने वालों की चैकिंग करें…… ऐसे लोगों और पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों इन दोनों के बीच क्या अंतर है…… जिन्होंने धर्म पूछकर गोली मारी थी……. ये भी आतंकी हैं……. आज धर्म की राजनीति की जा रही है……
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियों के बीच एक ऐसी घटना सामने आई है……. जिसने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा बल्कि पूरे देश में सियासी और सामाजिक बहस को जन्म दिया…… इस घटना में कुछ हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा एक ढाबे पर काम करने वाले कर्मचारी के कपड़े उतारकर उसकी पहचान की जांच करने की कोशिश की गई……. यह घटना 30 जून 2025 को मुजफ्फरनगर के एक ढाबे पर हुई…….. वहीं इस घटना ने धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ाने के साथ-साथ राजनीतिक बहस को भी हवा दी……. समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने इस घटना की कड़ी निंदा की……. और इसे “धर्म की राजनीति” करार देते हुए इसकी तुलना आतंकी घटनाओं से की……..
मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा हर साल सावन माह में आयोजित होने वाली एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक यात्रा है…… जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं…….. इस दौरान कुछ हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता पंडित जी वैष्णो ढाबा पर पहुंचे…… उनके द्वारा ढाबे के कर्मचारियों से उनकी पहचान के लिए आधार कार्ड मांगे गए……… जब कर्मचारी आधार कार्ड नहीं दिखा सके……. तो कार्यकर्ताओं ने ढाबे के बारकोड को स्कैन किया…….., जिसके बाद मालिक का नाम जबीर राठौर सामने आया……. कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि मालिक मुस्लिम समुदाय से है…….. और इसके आधार पर उन्होंने ढाबे के एक कर्मचारी…… जिसका नाम गोपाल बताया गया…… उसको संदेह के आधार पर कपड़े उतारने की कोशिश की…….
वहीं इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया……. जिसमें कर्मचारी गोपाल रोते हुए दिखाई दिए……. और उन्होंने बाद में मीडिया को बताया कि उनके साथ बदसलूकी की गई……. और उनकी निजता का उल्लंघन किया गया……. इस घटना ने स्थानीय स्तर पर तनाव पैदा कर दिया……. और विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं……. समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और मुरादाबाद से नेता एसटी हसन ने इस घटना की कड़ी निंदा की……. और उन्होंने इसे धार्मिक आधार पर लोगों को अपमानित करने……. और समाज में तनाव बढ़ाने की कोशिश बताया…… हसन ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र अवसर का इस्तेमाल लोगों की निजता भंग करने…….. और धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए किया जा रहा है…… और उन्होंने इस घटना की तुलना पुलवामा हमले जैसे आतंकी कृत्यों से करते हुए कहा कि यह समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा देने की कोशिश है……. हसन ने यह भी कहा कि धर्म की राजनीति ने समाज को बांटने का काम किया है…….. और ऐसी घटनाएं देश की एकता और भाईचारे के लिए खतरा हैं……
आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा हर साल सावन माह में आयोजित होने वाली एक प्रमुख हिंदू तीर्थयात्रा है……… जिसमें लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य पवित्र स्थानों से गंगा जल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं…….. मुजफ्फरनगर इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है…….. क्योंकि यहां से लगभग 240 किलोमीटर लंबा कांवड़ मार्ग गुजरता है…….. इस दौरान खाने-पीने की दुकानों, ढाबों और ठेलों पर विशेष ध्यान दिया जाता है……… ताकि श्रद्धालुओं को शुद्ध और सुरक्षित भोजन मिल सके….. पिछले कुछ वर्षों में प्रशासन ने कांवड़ मार्ग पर दुकानों……… और ढाबों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए हैं……. इसका उद्देश्य पारदर्शिता और विश्वास बनाए रखना बताया गया है……. हालांकि इस नियम को लागू करने के तरीके और इसकी व्याख्या को लेकर कई बार विवाद खड़े हुए हैं…….. 2024 में भी मुजफ्फरनगर में दुकानदारों को अपने नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था…….. जिसे कुछ लोग धार्मिक आधार पर भेदभाव के रूप में देखते हैं……
वहीं इस घटना ने मुजफ्फरनगर में सामाजिक तनाव को बढ़ा दिया……. यह जिला पहले भी 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए चर्चा में रहा था……. और इस तरह की घटनाएं पुराने घावों को फिर से हरा कर सकती हैं……. कर्मचारी गोपाल के साथ हुई बदसलूकी ने न केवल उनकी निजता का उल्लंघन किया…… बल्कि यह भी दिखाया कि धार्मिक आधार पर संदेह……. और जांच का माहौल सामान्य लोगों के लिए कितना अपमानजनक…… और डरावना हो सकता है…….
इस घटना ने उत्तर प्रदेश की पहले से ही गर्म सियासत को और हवा दी…….. समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाकर बीजेपी पर धार्मिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया……. सपा के नेताओं ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बीजेपी के शासन में आम हो गई हैं……. जहां धार्मिक आधार पर लोगों को निशाना बनाया जाता है…….
बता दें यूपी में कांवड़ यात्रा से पहले खाने-पीने की दुकानों पर नेम प्लेट मामले को लेकर मुजफ्फरनगर में बघरा आश्रम के संचालक यशवीर महाराज व अन्य हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता एक ढाबे पर पहुंचे थे…… जहां उन्होंने काम करने वाले कर्मतारी से उसका नाम पूछा……. जिसके बाद उसकी चैकिंग के लिए उसके कपड़े उतरवाने की कोशिश की गई……. जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था…… वहीं इस मामले का पुलिस ने संज्ञान लिया है……… जिसके बाद आधा दर्जन हिन्दुवादी संगठन के कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किया गया है…….. पुलिस जब आरोपियों के घर पहुंची तो वो सभी फरार हो गए……… पुलिस ने इस मामले में आरोपियों से उनका पक्ष रखने को कहा है……. मामले की जांच की जा रही है…… हालांकि इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है…… समाजवादी पार्टी समेत कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस घटना पर आपत्ति दर्ज कराई है…….
आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा से पहले हुई इस घटना ने समाज में तमाम सवाल खड़े किए हैं…….. यह घटना न केवल धार्मिक संवेदनशीलता…… और निजता के बीच टकराव को दर्शाती है……. बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे सियासत और धर्म का मिश्रण सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है…….. समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे धर्म की राजनीति का परिणाम बताया…….. और उनकी यह टिप्पणी सियासी बहस का हिस्सा बन गई…….
वहीं इस घटना से यह स्पष्ट है कि कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों की पवित्रता…….. और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को और अधिक संवेदनशील…… और प्रभावी कदम उठाने होंगे…… साथ ही समाज के सभी वर्गों को यह समझना होगा कि धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए भी मानवाधिकारों और निजता की रक्षा जरूरी है……… इस तरह की घटनाएं न केवल सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती हैं…….. बल्कि देश की एकता और भाईचारे को भी कमजोर करती हैं……



