भाजपा इटावा जिले की तीनों सीटें जीतेगी : सतीश महाना
लखनऊ। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को 300 सीटें मिलेंगी। वर्ष 2017 में भाजपा को जितनी सीटें मिलीं थीं, इस बार उससे ज्यादा सीटें मिलेंगी। इटावा की तीनों सीटों पर भाजपा को जीत मिलेगी। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने सपा-प्रसपा गठबंधन को निशाने पर लेते हुए कहा कि चाचा-भतीजा (अखिलेश-शिवपाल) मिले जरूर हैं, लेकिन दोनों के दल अलग-अलग हैं। दिल नहीं मिलने से मनमुटाव है।
यह गठबंधन दूध में नीबू के समान है। 2017 में सपा को 47 सीटें मिलीं थीं, लेकिन इस बार और कम हो जाएंगी। कहा कि 2017 में दो युवाओं अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने गठबंधन किया, क्या अंजाम हुआ, सभी लोग जानते हैं। जो संख्या थी, वह भी कम हो गई। यानी प्रदेश की जनता ने अखिलेश यादव और राहुल गांधी को नकार दिया। कहा कि अखिलेश यादव ने दूसरी बार बसपा से गठबंधन किया, लेकिन जनता समझ गई कि प्रदेश को लूटने के लिए गठबंधन किया है। इस गठबंधन को भी जनता ने नकार दिया।
उत्तराखंड क्रांति दल के लिए गढ़ को बचाने की चुनौती
देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल को अपने मजबूत गढ़ द्वाराहाट विधानसभा को बचाना किसी चुनौती से कम नही है। उक्रांद के संस्थापक सदस्य व समाजवादी चिंतक स्व. विपिन त्रिपाठी की जन्मभूमि, कर्मभूमि द्वाराहाट विधानसभा राज्य बनने के बाद से दस सालों तक उक्रांद के पास रही। पार्टी में गुटबाजी, बिखराव से उनका मजबूत किला भी ढह गया। यूकेडी ने फिर पुष्पेश त्रिपाठी को अपना चुनावी चेहरा बनाया है। देखना दिलचस्प होगा कि वह कैसे यह चुनावी बैतरणी पार करते हैं।
राज्य बनने के बाद से ही द्वारहाट विधानसभा हमेशा से ही हाट सीट रही। प्रखर समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित बिपिन त्रिपाठी ने वर्ष 2002 में चुनाव लड़े। चुनाव परिणाम पहले से लोगों को पता था। जनसंघर्षों की पृष्ठभूमि से निकले बिपिन त्रिपाठी विजयी रहे। उनको 11114 मत पड़े। जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के पूरन चंद्र 7112 व बीजेपी के बलवंत ङ्क्षसह को 6495 मत मिले। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था 30 अगस्त 2004 को उनका निधन हो गया। उक्रांद के लिए यह अपूर्णीय क्षति थी। इसके बाद स्व. बिपिन त्रिपाठी की विरासत उनके पुत्र पुष्पेश त्रिपाठी ने संभाली। उनकी मौत के बाद हुए उपचुनाव में पुष्पेश त्रिपाठी विजयी रहे।
2007 के विधानसभा चुनाव आने तक पुष्पेश उक्रांद का चेहरा बन चुके थे। पुष्पेश त्रिपाठी आसानी से चुनाव जीत गए। इस चुनाव में उन्हें 11128 मत मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के सदानंद को 8573 व निर्दलीय मदन सिंह बिष्ट को 8184 मत थे। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी मदन सिंह बिष्ट ने अपनी मजबूत उपस्थिति भी दर्ज कराई। जिसने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत की इबारत लिखी।