‘अगर मौका मिलता तो…’, अखिलेश यादव का केंद्र और योगी सरकार पर तीखा वार

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र की भाजपा सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर आतंकवाद, ऑपरेशन सिंदूर और विदेश नीति को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने जहां भारतीय सेना के साहस की सराहना की, वहीं सरकार की कार्यशैली और जवाबदेही पर कई गंभीर सवाल खड़े किए।
दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा हम भारतीय सेना को उनके पराक्रम के लिए बधाई देते हैं। अगर उन्हें और आज़ादी और मौका दिया जाता, तो शायद वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) तक भी पहुंच जाते।
उन्होंने सवाल उठाया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पहले भी एक घटना हुई, जिसकी जानकारी आज तक जनता को नहीं दी गई। उन्होंने पूछा आखिर सरकार इन हमलों की जानकारी छिपा क्यों रही है? पहलगाम हमले के आतंकी अब तक कहां हैं?
कांग्रेस का समर्थन, सरकार से जवाब की मांग
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद पर उठाए गए सवालों का समर्थन करते हुए अखिलेश ने कहा कांग्रेस भी केंद्र की सरकार में रह चुकी है। उनके पास ज़रूर कुछ ठोस जानकारियां होंगी, तभी वो सवाल उठा रहे हैं। देश को जानने का हक़ है कि आखिर आतंक के खिलाफ क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री सिर्फ प्रचार करता है, ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं होता। कानून-व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है, और आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर भी लापरवाही बरती जा रही है।”
देश की विदेश नीति पर बात करते हुए अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा आज भारत की विदेश नीति पूरी तरह असफल हो चुकी है। कोई भी बड़ा देश हमारे साथ मजबूती से खड़ा नहीं है। पाकिस्तान से तो खतरा है ही, चीन उससे कहीं बड़ा ख़तरा बन चुका है।
उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि आने वाले 10 वर्षों तक भारत को चीन से कोई भी सामान आयात नहीं करना चाहिए। हमें आत्मनिर्भरता और स्वदेशी को अपनाना होगा।
बीजेपी सांसद की ‘नमाजवादी’ टिप्पणी पर पलटवार
एक बीजेपी सांसद द्वारा समाजवादी पार्टी को ‘नमाजवादी पार्टी’ कहे जाने पर अखिलेश ने तीखा पलटवार करते हुए कहा बीजेपी के पहले अध्यक्ष के नामांकन में जो पांच प्रस्तावक थे, वो सभी नमाजवादी थे। बीजेपी को सिर्फ़ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करनी आती है, विकास और राष्ट्रहित की नहीं।
जहां एक ओर सेना के शौर्य पर सभी दल एकजुट दिखते हैं, वहीं आतंकवाद, विदेश नीति और सुरक्षा जैसे अहम मसलों पर सियासी दलों के बीच टकराव जारी है। अब जनता की निगाहें इस पर हैं कि क्या ये बहसें समाधान की ओर बढ़ेंगी या सिर्फ़ बयानबाज़ी तक ही सीमित रहेंगी।



