तिहाड़ जेल में बंद सांसद इंजीनियर राशिद बोले-संसद आना मुश्किल, रोजाना 1.5 लाख का खर्च उठा पाना संभव नहीं

संसद में राशिद ने कहा कि उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे संसद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए इतनी बड़ी रकम अदा कर सकें.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जारी बहस के दौरान मंगलवार को बारामुला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए भावुक बयान दिया। तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद को अदालत की अनुमति से संसद में लाया गया था, जहां उन्होंने लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में बहस चल रही है. पक्ष और विपक्ष के बीच काफी गहमागहमी देखने को मिल रही है. जम्मू-कश्मीर की बारामुला सीट से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने भी लोकसभा की इस बहस में हिस्सा लिया. हालांकि इस बहस के दौरान उन्होंने कहा कि अब यहां नहीं आ पाऊंगा, ये उनकी आखिरी बहस है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे सदन में आ सकें.

सांसद राशिद तिहाड़ जेल में बंद हैं. उनको संसद तक लाने और वापस ले जाने में काफी सिक्योरिटी लगती है. इसके साथ ही कई अन्य खर्चे भी होते हैं. उन पर पिछले दिनों 17 लाख का जुर्माना लगाया गया था. ये जुर्माना उन्हें संसद ले जाने और वापस लाने के लिए लगाया था.

सांसद को एक बार मतलब एक दिन संसद की कार्यवाही में शामिल होने पर डेढ़ लाख रुपये से भी ज्यादा का खर्च आता है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान तय किया गया कि ये खर्चा खुद सांसद को उठाना पड़ेगा. इसी पर संसद में राशिद ने कहा कि उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे संसद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए इतनी बड़ी रकम अदा कर सकें. यही कारण है कि मंगलवार को सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि अब वे संसद नहीं आ पाएंगे. आज डेढ़ लाख रुपये खर्च करके आया हूं. इसलिए उन्हें बोलने दिया जाए.

संसद में क्या-क्या बोले सांसद राशिद?
ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही बहस में सांसद राशिद ने भी भाग लिया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर मेरे ही संसदीय क्षेत्र में हुआ है. आज वहां पर लोग परेशान हो रहे हैं. मुझे बोलने दिया जाए. उन्होंने कहा कि आज के बाद अब शायद संसद में नहीं आ पाऊँगा, क्योंकि मेरे पास हर रोज डेढ़ लाख रुपये नहीं है. कहां से लाऊं मैं इतना पैसा? इसलिए मुझे बोलने दिया जाए.

इंजीनियर राशिद ने कहा, हम कश्मीरियों से ज्यादा पहलगाम हमले में मारे गए परिवारों का दर्द समझ सकते हैं, क्योंकि हमने 1989 से ऐसे हजारों लोग खो दिए हैं. कश्मीर में जितनी तबाही हुई है, वो हमसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है. हमने कब्रिस्तान देखे हैं और लाशें उठाते-उठाते हम थक चुके हैं. रशीद ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को पूरी इंसानियत का कत्ल बताया है.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लगाई थीं शर्तें
बारामुला से सांसद इंजीनियर राशिद पिछले कई सालों से जेल में बंद हैं. यहां तक कि उन्होंने लोकसभा चुनाव भी जेल से ही लड़ा था. उन्हें टेरर फंडिंग मामले में एनआईए की तरफ से गिरफ्तार किया गया था. राशिद ने पिछले दिनों संसद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए जमानत या कस्टडी पैरोल की मांग की थी. कस्टडी पैरोल के तहत कैदी को पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में पैरोल पर रिहा किया जाता है. इस दौरान उनके साथ कई पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं.

इंजीनियर राशिद को कोर्ट की तरफ से 24 जुलाई से 4 अगस्त तक लिए कस्टडी पैरोल दी है. कोर्ट ने इस पैरोल के पीछे कई शर्तें भी लगाई हैं. कोर्ट की तरफ से साफ कहा गया कि राशिदको अपनी यात्रा और सुरक्षा का खर्च खुद ही देना होगा. मतलब रारिश अगर एक दिन संसद जाते हैं तो उन्हें हर लगभग 1.5 लाख रुपयों का भुगतान करना होगा. कोर्ट के इस फैसले के बाद ही राशिदने संसद में कहा कि शायद अब संसद नहीं आ पाऊंगा.

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