एसआईआर पर चर्चा से बचने की कोशिश कर रही है सरकार: गौरव

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन ने भारी हंगामा किया। विपक्ष का आरोप है कि यह संशोधन आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं खासकर दलितों, पिछड़े वर्गों और गरीब समुदायों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है। इसी बीच कांग्रेस सांसद और लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में चर्चा से बच रही है, जो लोकतंत्र की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
दौरान गौरव गोगोई ने पूछा कि सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है और इस चुप्पी के पीछे का डर क्या है। देश को इस बात पर चिंता जतानी चाहिए कि एक चुनी हुई सरकार मतदाता सूची के संशोधन और मतदान प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा से बच रही है। गोगोई ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया और कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर खुली चर्चा चाहता है ताकि आम लोगों को अपने मताधिकार और मतदान केंद्रों की जानकारी स्पष्ट हो सके। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला नहीं है, इसलिए सरकार को सदन में खुली चर्चा से बचने का कोई कारण नहीं होना चाहिए। अगर सरकार इस विषय को संसद में नहीं उठने देगी, तो लोग अपने सवाल कहां पूछेंगे?

चेक एंड बैलेंस
उन्होंने संविधान में निहित चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग निरंकुश हो रहा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक है। पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर उन्होंने विशेष रूप से चिंता जताई और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग लोकतंत्र को कमजोर करने पर आमादा है, जो अत्यंत दुखद है। इमरान मसूद ने कहा कि विपक्ष संसद के बाहर लगातार एसआईआर के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा रहा है, लेकिन सरकार और चुनाव आयोग की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी, तो जनता अपनी आपत्तियां और सवाल कहां उठाएगी।
खुली चर्चा होनी चाहिए
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष की ओर से मांग की कि इस मुद्दे पर पारदर्शी और खुली चर्चा हो, ताकि लोगों का भरोसा लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर बना रहे। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग मनमाने ढंग से काम करेगा और सत्तापक्ष की कठपुतली बनकर रहेगा, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। लोकतंत्र को बचाने के लिए संसद, जो लोकतंत्र का मंदिर है, उसमें इस मुद्दे पर खुली चर्चा होनी चाहिए।
दो लोगों की मौत से दहला पंजाब का मोहाली
एक बार फिर सुरक्षा मानकों पर सवालिया निशान खड़ा कर गया धमाका
आक्सीजन प्लांट में धमाके की आवाज से मच गयी अफरा-तफरी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मोहाली। पंजाब के मोहाली जिले में बुधवार सुबह उस वक्त हडक़ंप मच गया जब फेज-9 स्थित एक ऑक्सीजन प्लांट में जोरदार विस्फोट हो गया। धमाके की आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई दी, जिससे आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई। इस घटना ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस विस्फोट में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। जानकारी मिलते ही मेडिकल टीमें, पुलिस और जिला प्रशासन मौके पर पहुंच गईं और तुरंत राहत-बचाव कार्य शुरू किया।
एसडीएम दमनदीप कौर ने बताया कि एक सिलेंडर में हुए धमाके से चेन रिएक्शन की स्थिति बन गई, जिससे आसपास के कई अन्य सिलेंडरों में भी विस्फोट हो गया। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। हादसे के कारणों की जांच की जा रही है और फिलहाल राहत कार्य जारी है। ऑक्सीजन सिलेंडर निर्माण प्लांट में हुए विस्फोट को लेकर एसपी सिटी श्रीवेननेला ने बताया, फेज-11 के इंडस्ट्रियल एरिया में सुबह करीब 9 बजे ऑक्सीजन सिलेंडर प्लांट में भीषण धमाका हुआ, जिसमें दो कर्मचारियों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए हैं।
डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग पर ईडी की बड़ी कार्रवाई
पूरे देश में मारे जा रहे हैं छापे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पुलिस या जांच अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने वालों पर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने बुधवार नोएडा, दिल्ली, गुरुग्राम, देहरादून समेत देशभर में 11 जगहों पर छापेमारी की तलाशी अभियान चलाया।
अधिकारियों ने बताया कि आरोपी खुद को पुलिय या जांच अधिकारी बताते थे। आरोपी लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देकर ठगी करते थे। बताया गया कि सीबीआई और पुलिस की दर्ज एफआईआर पर जांच शुरू की गई है।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि जांच अधिकारी और पुलिस के अलावा ठग कई तरीकों का उपयोग करते थे। इसमें वह खुद को मल्टी नेशनल कंपनी का एजेंट भी बताते थे। धोखेबाज ठगी के लिए खुद को माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन के तकनीकी सहायता सेवा एजेंट बताते थे।
अब श्रीलंका ने 14 मछुआरों को किया गिरफ्तार
तमिलनाडु के मछुआरों को दो नावों से किया गिरफ्तार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलंबो। श्रीलंका की नेवी ने भारत के 14 मछुआरों को गिरफ्तार किया है। ये सभी मछुआरे तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर के रहने वाले हैं। 14 यह घटना शनिवार को हुई है। श्रीलंका ने बताया है कि भारतीय मछुआरों पर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार करने का आरोप में पकड़ा गया है। श्रीलंकाई नौसेना ने दो नावों में सवार भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने के बाद कानूनी कार्रवाई के लिए ले गई है। रामेश्वरम मछुआरा संघ ने इस घटना की निंदा करते हुए गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग की है।
भारतीय मछुआरों की 470 नावें शनिवार रामेश्वरम से समुद्र में गई थीं। मछुआरे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास मछली पकड़ रहे थे। कुछ मछुआरे श्रीलंकाई जल क्षेत्र में चले गए। श्रीलंकाई नौसेना ने भारतीय मछुआरों का पीछा किया। इस दौरान दो नावें श्रीलंकाई जल क्षेत्र में रह गईं। श्रीलंकाई नौसेना ने इन दो नावों पर सवार 14 मछुआरों को पकड़ लिया। गिरफ्तार मछुआरों को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए मन्नार मत्स्य पालन अधिकारियों को सौंपे जाने की संभावना है।
पहली पर 11, दूसरी पर तीन मछुआरे थे सवार
श्रीलंका के मत्स्य पालन विभाग के सूत्रों ने बताया कि रामेश्वरम से समुद्र में गई दो नावों को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा का उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया। पहली नाव थंगचिमदम के ए जॉन बोस की थी। इसमें रामेश्वरम और पम्बन के 11 सदस्यीय दल सवार थे। दूसरी नाव थंगचिमदम के एस सुधन की थी। इसमें उसी गांव के तीन सदस्यीय दल सवार थे।
मछुआरा संघ ने की निंदा
रामेश्वरम के मछुआरा संघ ने श्रीलंकाई नौसेना के भारतीय मछुआरों की लगातार गिरफ्तारी की निंदा की। संघ ने केंद्र सरकार से मछुआरों और उनकी नावों की रिहाई के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के लिए श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय वार्ता का भी आह्वान किया। यह घटना भारतीय और श्रीलंकाई मछुआरों के बीच चल रहे तनाव को दर्शाती है। को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। भारतीय मछुआरे अक्सर श्रीलंकाई जल क्षेत्र में मछली पकडऩे के आरोप में गिरफ्तार किए जाते हैं।
भारत-श्रीलंका में लगातार हो रहा विवाद
श्रीलंकाई नौसेना और भारतीय मछुआरों के बीच कई झड़पों हालिया दिनों में हुई हैं। 3 फरवरी को श्रीलंकाई नौसेना ने रामनाथपुरम से 10 भारतीय मछुआरों को ले जा रही नाव को जब्त किया था। इससे पहले 26 जनवरी को नौसेना ने तीन भारतीय नावों को जब्त किया था। उन्होंने रामनाथपुरम जिले के 34 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था। 28 जनवरी को डेल्फ्ट द्वीप के पास श्रीलंकाई नौसेना की गोलीबारी में पांच भारतीय मछुआरे घायल हो गए।
सुप्रीम कोर्ट से मिली तमिलनाडु सरकार को बड़ी राहत
कोर्ट ने उंगलुदन स्टालिन योजना पर मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज तमिलनाडु सरकार को उंगलुदन स्टालिन योजना को लेकर बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के विज्ञापनों में मुख्यमंत्री और राजनेताओं की तस्वीरें लगाने पर रोक लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एआईएडीएमके सांसद सी.वी.षणमुगम पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक लड़ाई के लिए अदालत का दुरुपयोग किया। अगर याचिकाकर्ता को फंड के दुरुपयोग की चिंता थी, तो उसे सभी ऐसी योजनाओं को चुनौती देनी चाहिए थी न कि केवल एक पार्टी के खिलाफ।
एआईएडीएमके सांसद सी.वी.षणमुगम ने उंगलुदन स्टालिन योजना को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम व तस्वीरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ता की लगाई क्लास
कोर्ट ने नाराजगी जताई कि याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करने के तीन दिन बाद ही आयोग के फैसले का इंतजार किए बिना, अदालत में याचिका दायर कर दी। इससे चुनाव आयोग की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया। तमिलनाडु सरकार के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि कई सरकारी योजनाओं में पहले भी राजनेताओं के नाम और तस्वीरें इस्तेमाल होती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉमन कॉज मामले में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सीजेआई, और मुख्यमंत्री की तस्वीरों को विज्ञापनों में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी।
मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आया फैसला
वकील पी. विल्सन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की विशेष याचिका पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह याचिका मद्रास हाई कोर्ट के उस अंतरिम आदेश के खिलाफ थी, जिसमें सरकार की योजनाओं में मुख्यमंत्री का नाम इस्तेमाल करने से रोका गया था। सरकार का नेक इरादा था कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ तमिलनाडु के हर घर तक पहुंचे और यही वजह थी कि स्टालिन सरकार की योजनाओं के विरोध में याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित माना और हाईकोर्ट की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
राजनीतिक लड़ाईयों का निपटारा कोर्ट में न हो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि राजनीतिक लड़ाइयों के निपटारे में अदालतों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, हाईकोर्ट में याचिका दायर करना गलत था। कोर्ट ने यह भी कहा कि इतनी जल्दबाजी में अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद याचिकाकर्ता ने लगातार उल्लंघन करने का दुस्साहस किया है। चुनाव आयोग को सुनवाई का मौका न देना और चुनाव आयोग पर कार्रवाई करने में विफलता का आरोप लगाकर याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग की आलोचना करने की भी कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और जुर्माने को एक हफ्ते में जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।



