1 करोड़ की रिश्वत ठुकराई, नकली दवा के सबसे बड़े मार्केट पर STF का छापा, कारोबारी गिरफ्तार

आगरा में नकली दवाओं के सबसे बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और औषधि विभाग की संयुक्त कार्रवाई में हे मां मेडिकल एजेंसी के संचालक हिमांशु अग्रवाल को एक करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। आरोपी को सोमवार को मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
22 अगस्त को सैय्यद गली, मोती कटरा स्थित ‘हे मां मेडिको’ पर एसटीएफ और औषधि विभाग ने संयुक्त छापा मारा था। इस दौरान कार्यालय से लेकर गोदाम तक की तलाशी ली गई। गोदाम में पहले से ही CGST विभाग की कार्रवाई चल रही थी, जिससे एसटीएफ को कुछ देर के लिए रुकना पड़ा। इसी बीच नकली दवाइयों से लदे एक टेंपो को पकड़ा गया, जिसमें 87 लाख रुपये की नकली दवाएं मिलीं। इन दवाओं को सिर्फ 10 लाख रुपये के बिल पर लखनऊ भेजा जा रहा था।
टेंपो चालक ने बताया कि वह कैंट स्टेशन से पार्सल लेकर आया था। जब्त की गई दवाओं की जांच में ‘अलेग्रा’ टैबलेट सहित कई दवाएं नकली पाई गईं। जांच के बाद पूरे नेटवर्क के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
छह लोगों पर एफआईआर, गिरफ़्तारी की कोशिशें जारी
इस मामले में औषधि विभाग के सहायक आयुक्त नरेश मोहन दीपक की शिकायत पर थाना कोतवाली में छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपी हैं हिमांशु अग्रवाल (हे मां मेडिकल एजेंसी), यूनिस उस्मानी और वारिस (MS Logistic), फरहान, विक्की और सुभाष कुमार (लखनऊ स्थित फर्म संचालक)। इसके साथ ही फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है और लखनऊ की फर्मों की जांच जारी है।
भ्रष्टाचार की कोशिश पर सख्त कार्रवाई
जांच के दौरान हिमांशु अग्रवाल ने टीम को कार्रवाई रोकने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की कोशिश की थी। एसटीएफ ने तत्काल उसे गिरफ्तार कर लिया और रिश्वत की रकम जब्त कर ली। कोर्ट ने न केवल आरोपी को जेल भेजा, बल्कि बरामद एक करोड़ रुपये आगरा कोषागार में जमा कराने के आदेश भी दिए हैं।
एसटीएफ और एफएसडीए अधिकारियों का कहना है कि हिमांशु को नकली दवाओं के मामले में दर्ज अन्य मुकदमों में भी रिमांड पर लिया जाएगा। इस पूरे रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश और जांच चौथे दिन भी जारी रही।



