राजस्थान SI भर्ती परीक्षा 2021 रद्द, हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
अदालत ने भी सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए माना कि इस परीक्षा को जारी रखना अन्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य सरकार और आरपीएससी के सामने सबसे बड़ी चुनौती नई भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित करने की है.
राजस्थान में लंबे समय से विवादों में घिरी सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2021 को आखिरकार हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. यह परीक्षा उस समय संदेह के घेरे में आ गई थी, जब 2024 में इसकी जांच के दौरान बड़े पैमाने पर नकल और पेपर लीक का खुलासा हुआ. जांच एजेंसियों ने अब तक 68 ट्रेनी एसआई अभ्यर्थियों व इन्हसे जुड़े दलालों को गिरफ्तार भी किया है.
वहीं याचिका दायर करने वाले अभ्यर्थी विकास विधुडी ने फैसले को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा, “यह हमारी लंबी लड़ाई और आंदोलन की जीत है. हमने हमेशा निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की मांग की थी और हाईकोर्ट ने हमारे हक में फैसला देकर न्याय दिया है.”
अदालत का अहम फैसला
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों की ओर से पेश हुए वकील हरेंद्र मील ने तर्क दिया कि इतनी बड़ी संख्या में पेपर लीक व नकल के मामले सामने आना परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
अदालत ने भी सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए माना कि इस परीक्षा को जारी रखना अन्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा. इसलिए परीक्षा को रद्द करना ही उचित कदम है. साथ ही अदालत ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के कामकाज पर भी सवाल उठाए और कहा कि इस प्रकरण में आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की भूमिका की जांच की जाए.
पेपर लीक के बाद खड़े हुए सवाल
2021 में आयोजित इस भर्ती परीक्षा में हजारों अभ्यर्थियों ने भाग लिया था. हालांकि 2024 में जब पेपर लीक और नकल की बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ तो परीक्षा पर सवाल खड़े हो गए. इसके बाद कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए और अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य सरकार और आरपीएससी के सामने सबसे बड़ी चुनौती नई भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित करने की है.
फिर से आयोजित करनी होगी परीक्षा
माना जा रहा है कि आयोग को परीक्षा दोबारा आयोजित करनी होगी, लेकिन इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश और सुरक्षा उपाय तय किए जाएंगे. इस फैसले ने अभ्यर्थियों में नई उम्मीद जगाई है, वहीं आयोग और सरकार पर जवाबदेही तय करने का दबाव भी बढ़ गया है.



