आरक्षण की मांग या तख्ता पलटाने की साजिश!

- ‘किसी भी कीमत पर मुंबई से नहीं हटूंगा’
- जारंगे के आंदोलन को केन्द्रीय मंत्री रामदास आठवाले का समर्थन
क्या महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों में आठवाले? - आर-पार की स्थिति में पहुंचा मराठा आंदोलन
- मुंबई के आजाद मैदान में डटे जारंगे, बोले मेरी लाश यहां से जाएगी
- मंत्री ने जारंगे को बताया मराठा छत्रप
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबइ। महाराष्ट्र इन दिनों तपते सूरज से नहीं बल्कि मराठा आरक्षण की मांग की आग से झुलस रहा है। जलते तवे पर पानी की बूंद बनकर गिरे मनोज जारंगे का आंदोलन अब उबाल मार रहा है। जारंगे का मुंबई से न हटने का एलान अब राजनीतिक गलियारों में गूंजती रणभेरी है। जारंगे के आंदोलन ने न सिर्फ फडणवीस सरकार की नींद उड़ा दी है बल्कि सत्ता के गलियारों में छिपी दरारों को भी उजागर कर दिया है। सवाल यह है कि यह आंदोलन महज़ आरक्षण की मांग है या इसके बहाने महाराष्ट्र की राजनीति का तख़्ता पलटने की साजिश रची जा रही है? केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले भी इस आग में कूद गये हैं और मराठा आरक्षण आंदोलन के अगुवाकार को खुला समर्थन दे दिया है। उनके समर्थन के एलान के बाद सीएम फडणवीस का बयान चर्चा का केन्द्र बिंदू बन गया है जिसमें उन्होंनें जारंगे के कंधे पर बंदकू रखकर चलाने की बात कही थी।
रामदास आठवाले ने मनोज जरांगे पाटिल की लोकप्रियता की सराहना की है। उन्होंने कहा कि जरांगे मराठा समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। रामदास अठावले ने कहा है कि मराठा समुदाय उन्हें अपना नेता मानता है और उनके एक आह्वान पर हजारों लोग मुंबई में विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए हैं। उन्होंने मांग की है कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। आठवाले ने प्रशासन से आग्रह किया है कि प्रदर्शनकारियों के साथ संवेदनशीलता और संयम के साथ व्यवहार किया जाए। मराठा आरक्षण का मुद््दा महाराष्ट्र में लंबे समय से चर्चा का केंद्र रहा है। मराठा समुदाय जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा माना जाता है शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। मनोज जरांगे पाटिल ने इस आंदोलन को नई दिशा दी है और उनके नेतृत्व में समुदाय ने कई बड़े प्रदर्शन किए हैं। केंद्र और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि बातचीत से ही इस जटिल मुद्दे का हल निकल सकता है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने देवेंद्र फडणवीस सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए है। जारंगे ने ऐलान किया है कि वह किसी भी कीमत पर मुंबई से नहीं हटेंगे। जरांगे ने कहा कि उनका आंदोलन बीते दो वर्षों से पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा है लेकिन सरकार गरीबों की पीड़ा को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने नियमों का पालन करते हुए पिछले दो सालों से आंदोलन किया है। अगर सरकार गरीबों को भूल जाएगी तो वह गरीबों के दर्द को भी भूल जाएगी। हमें न्याय पर भरोसा है। कोर्ट के आदेश पर हमने सारी गाडय़िां हटा दीं। फिर भी सरकार हमारे खिलाफ जा रही है। जरांगे ने कहा कि अब तक 58 लाख लोगों का पंजीकरण हो चुका है लेकिन कुनबी प्रमाणपत्र जारी नहीं किए गए हैं।
जरांगे ने आम आदमी को हुई परेशानी के लिए माफी मांगी
मराठा आरक्षण आंदोलन नेता मनोज जरांगे ने मुंबई की सड़कों पर कुछ समर्थकों द्वारा किए गए दुव्यवहार और आम लोगों को हुई परेशानी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट से माफी मांगी है। हालांकि, अदालत ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने कानून का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें तुरंत आजाद मैदान खाली करना होगा। अदालत ने जरांगे और समर्थकों को आज दोपहर तीन बजे तक आजाद मैदान खाली करने के लिए कहा है। अदालत ने चेतावनी दी की अगर वह मैदान खाली नहीं करते हैं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें कठोर जुर्माना और अवमानना की कार्रवाई भी शामिल है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे जरांगे की पीठ ने कहा कि वह दोपहर 3 बजे तक पूरी तरह सामान्य स्थिति बहाल करना चाहती है, और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वे भी सड़कों पर उतरेंगे। अदालत ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने कानून का उल्लंघन किया है। इसलिए उन्हें बिना अनुमति के आजाद मैदान पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा, यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति है। हम राज्य सरकार से भी संतुष्ट नहीं हैं। ऐसा लगता है कि सरकार की ओर से भी कुछ चूक हुई है।
आग में घी कौन डाल रहा है?
महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस और शिवसेना को यह आंदोलन संजीवनी की तरह मिला है। कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार गुट, शिवसेना यूबीटी जानते हैं कि जारंगे का आंदोलन अगर लंबे समय तक चला तो शिंदे-फडणवीस सरकार की पकड़ ढीली हो जाएगी। वहीं बीजेपी के भीतर भी सब कुछ गुलाबी नहीं है। कई नेता मानते हैं कि फडणवीस का बयान आग बुझाने की बजाय उसे और भड़का सकता है।
फडणवीस पर कोर्ट में झूठ बोलने का आरोप
जरांगे पाटिल ने स्पष्ट कहा कि वह मुंबई से तब तक नहीं जाएंगे जब तक प्रमाणपत्र नहीं दिए जाते। अगर आजाद मैदान के बाहर लड़कों पर लाठीचार्ज किया गया तो यह सरकार की छवि को धूमिल करेगा। मैं यहां से हटने वाला नहीं हूं। उन्होंने कहा है कि यह लड़ाई शांतिपूर्वक लडऩी है मैं मरते दम तक मुंबई नहीं छोड़ूंगा। जरांगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर कोर्ट में झूठे सबूत पेश करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि इसके परिणाम उन्हें भी भुगतने होंगे। उन्होंने आगे कहा कि आंदोलन के पहले दिन से ही वे सरकार के साथ बातचीत को तैयार हैं लेकिन समाधान निकले बिना वे पीछे नहीं हटेंगे।




