राहुल गांधी से परेशान बीजेपी हलकान

- कांग्रेस का दावा अगली प्रेस काफ्रेंस में चुनाव आयोग मान लेगा हार
- भारत में गृहयुद्ध तक पहुंच गयी बात!
- गिरिराज सिंह ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष देश को गृह युद्ध में फंसाना चाहते हैं
- राहुल गांधी बोले- यह तो ट्रेलर है, असली पिक्चर अभी बाकी है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश की राजनीति ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी हो गयी हैं जहां सियासी नेताओं के हर बयान बारूद की चिंगारी बन रहे हैं। राहुल गांधी के ताजा बयानों ने सियासी गलियारों से लेकर जनता की चौपाल तक हड़कंप मचा दिया है।
राहुल के बयानों से बौखलाई बीजेपी ने अपने फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा है जिन्होंने राहुल गांधी पर गृहयुद्ध भड़काने का आरोप लगा दिया है। वहीं कांग्रेसी सांसद इमरान प्रतापगढ़ी का दावा है कि राहुल गांधी की अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग के सारे हौसले पस्त हो जाएंगे और आयोग हार मान लेगा।
कांग्रेस सांसद का जवाब
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी का दावा है कि राहुल गांधी की अगली प्रेसकांफ्रेंस में चुनाव आयोग के सारे हौसले पस्त हो जाएंगे और आयोग हार मान लेगा। इमरान ने मीडिया से बाचतीत करते हुए कहा है कि पहली प्रेसकांफ्रेंस के बाद चुनाव आयोग धमकाने की भाषा बोल रहा था और इस बार सिर्फ निराधार आरोपों का बायान जारी किया गया है। अगली प्रेस कांफ्रेंस तक इंतेजार कीजिए चुनाव आयोग के हौसले पस्त हो चुके होंगे।
मोदी ब्रैंड पर गहरी चोट
पीएम नरेंद्र मोदी अब तक भारतीय राजनीति में अजेय छवि बनाए हुए थे। लेकिन राहुल गांधी के लगातार प्रहारों से उनकी साख पर भी सवाल उठने लगे हैं। प्रधानमंत्री की ताकत सिर्फ चुनाव जीतने में नहीं बल्कि चुनाव प्रक्रिया की ईमानदारी पर जनता का विश्वास बनाए रखने में भी है। आज जब वही प्रक्रिया कटघरे में खड़ी है तो पीएम मोदी की साख पर भी धब्बा लग रहा है। यह वह चोट है जो चुनावी हार से भी ज्यादा घातक हो सकती है। राहुल गांधी ने अपने हालिया बयान में कहा है कि अभी हाइड्रोजन बम गिरना बाकी है। यह वाक्य महज एक चेतावनी नहीं बल्कि सत्ता के गलियारों में गूंजता हुआ धमाका है। इसका साफ मतलब है कि उनके पास अभी और भी बड़े खुलासे हैं। सवाल यह है कि वह हाइड्रोजन बम क्या है? क्या यह आंकड़ों का कोई पुलिंदा है? क्या यह चुनावी धांधली का पुख्ता सबूत है? या फिर कोई ऐसा राजनीतिक सच जो अब तक जनता से छुपाया गया? जो भी हो यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी खेल को लंबे समय तक खींचने की रणनीति में हैं। हर प्रेसकॉन्फ्रेंस के साथ वह सत्ता पर चोट गहरा कर रहे हैं और माहौल को गरमाते जा रहे हैं।
बैकफुट पर बीजेपी
राहुल गांधी के बयानों के बाद बीजेपी बुरी तरह से बैकफुट पर दिखाई दे रही है। गिरिराज सिंह जैसे फायरब्रांड नेता भी अब हमला करने के बचाए बचाव की मुद्रा में आ गए हैं और उन्होंने राहुल गांधी पर गृहयुद्ध भड़काने का आरोप लगा दिया है। सवाल यह है कि क्या यह आरोप बीजेपी की घबराहट को छुपाने का प्रयास है या सचमुच राहुल गांधी सत्ता की नसों पर वार कर चुके हैं? बिहार के बेगूसराय में मीडिया से बातचीत करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा है कि राहुल गांधी हताश हैं। इसलिए वे कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नकल करते हैं और कभी जेन जी की बात करते हैं। ये कभी मुसलमानों को भड़काते हैं और कभी ऊल-जलूल बातें करते हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है। केन्द्रीय मंत्री यही नहीं रूके उन्होंने ताजा आरोप लागये और कहा कि राहुल गांधी भारत को गृह युद्ध में फंसाना चाहते हैं।
चुनाव आयोग की साख पर सवाल
भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसका चुनावी तंत्र है। लेकिन जब वही तंत्र सवालों के घेरे में आता है तो लोकतंत्र की आत्मा पर आंच पड़ती है। राहुल गांधी और कांग्रेस लगातार कह रही हैं कि वोट चोरी संगठित रूप से की गई है। यह सिर्फ एक बयान नहीं बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सीधा हमला है। पहले जहां आयोग विपक्षी दलों की शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल देता था वहीं अब सफाई देने पर मजबूर है। यही मजबूरी उसकी विश्वसनीयता पर और चोट करती है। जनता पूछ रही है कि अगर सब कुछ पारदर्शी है तो इतनी बेचैनी क्यों? क्यों हर बयान के बाद आयोग को बचाव करना पड़ रहा है?
बीजेपी की बेचैनी, केंद्रीय मंत्री का हमला
बीजेपी को शायद अंदाजा नहीं था कि राहुल गांधी का यह हमला इतनी गहराई तक जाएगा। चुनावी मौसम में हर नेता आरोप-प्रत्यारोप करता है। लेकिन इस बार बात वोट की पवित्रता पर उठी है। यही वजह है कि पार्टी के दिग्गज नेता भी बौखलाहट में हैं। गिरिराज सिंह का बयान इसका सबसे बड़ा सबूत है। राहुल गांधी पर गृहयुद्ध भड़काने का आरोप एक गंभीर और अतिरंजित प्रतिक्रिया लगती है। सवाल उठता है कि क्या सचमुच राहुल गांधी ने ऐसा कोई संकेत दिया या यह सिर्फ सत्तारूढ़ दल की हताशा है? राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह आरोप असल में बीजेपी की बेचैनी का नतीजा है। क्योंकि अगर वोट चोरी का आरोप जनता के मन में गूंज गया तो बीजेपी की पूरी नैतिक नींव हिल जाएगी।




