कांग्रेस ने भाजपा पर फोड़ा लद्दाख हिंसा का ठीकरा
आप व नेकां ने भी केंद्र सरकार को घेरा छठी अनुसूची की मांग को बताया जायज

केंद्र की नीतियों ने लद्दाख को हिंसा की आग में झोंक दिया : पवन खेड़ा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। लद्दाख में जेन जी के आंदोलन व हिंसा केबाद सियासी वार-पलटवार शुरू हो गया है। जहां कांग्रेस ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताया है वहीं भाजपा ने राहुल गांधी के ऊपर ठीकरा फोड़ा है। इस बीच गृहमंत्रालय ने पर्यावरणविद सोनम वांगचुक केएनजीओ का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
वहीं वांगचुक ने एनडीए सरकार पर उन्हें जबरदस्ती फंसाने का अरोप लगाया है। आप व नेकां भी वांगचुक के समर्थन में आया है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह संकट भाजपा की नीतियों का नतीजा है। पार्टी ने दोहराया कि लद्दाख की राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग पूरी तरह न्यायसंगत है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक्स पर लिखा- लद्दाख में हुई जानहानि बेहद दुखद है। यह सरकार की नाकाम वादों की याद दिलाती है। 2019 में संसद में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ जो हुआ है, उसके बाद शांति स्थापित होगी, लेकिन छह साल बाद हालात और बिगड़ गए हैं। केंद्र की नीतियों ने न सिर्फ घाटी बल्कि जम्मू और लद्दाख को भी हिंसा की आग में झोंक दिया है। लद्दाख की पहचान और गरिमा की मांग को उपेक्षा नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और नेतृत्व से जवाब मिलना चाहिए।

सोनम वांगचुक की संस्था का लाइसेंस रद्द
केंद्र सरकार ने लद्दाख के जाने-माने पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक के नेतृत्व वाली संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख ( एसईसीएमओएल) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए ) के तहत मिला लाइसेंस रद्द कर दिया है।सरकार के आदेश के अनुसार, संस्था अब विदेश से चंदा या किसी भी तरह की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगी। लाइसेंस रद्द किए जाने के पीछे क्या कारण हैं, इस बारे में फिलहाल आधिकारिक तौर पर विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है।
हिंसा और मौतों की निष्पक्ष जांच हो : मो. हनीफा
लद्दाख से सांसद मोहम्मद हनीफा ने प्रदर्शनकारी युवकों की मौत के मामले में निष्पक्ष और समयबद्ध जांच की मांग की है। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों को राहत देने और मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की। केडीए के को-चेयरमैन हाजी असगर अली करबलाई ने भी लेह हिंसा समेत प्रदर्शनकारियों की मौत की जांच की मांग की। उन्होंने लद्दाख प्रशासन पर उत्पीडऩ का आरोप जड़ा।
हिंसा के बाद लेह में कफ्र्यू एक दिन और बढ़ा
आंदोलन के बाद लेह में तनावपूर्ण शांति रही। यहां कफ्र्यूू के एक दिन और बढ़ा दिया गया है। 26 सितंबर को भी स्कूल-कॉलेज सब बंद रहेंगे। कारगिल भी बंद रहा। इस बीच गृह मंत्रालय की एक टीम ने लेह पहुंचकर स्थिति की समीक्षा की। टीम ने लेह एपेक्स बॉडी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ ही स्थानीय सांसद को दिल्ली बुलाया है, जहां 27-28 सितंबर को उनकी बैठक होगी और स्थानीय हितों से जुड़ी मांगों पर चर्चा की जाएगी। इस बीच लेह में किसी अप्रिय स्थिति की आशंका के मद्देनजर 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
लद्दाख में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करें : एलजी
उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक कर लेह में हालात की समीक्षा की। उन्होंने विरोध-प्रदर्शन के बाद लद्दाख में पैदा हुई स्थिति का आकलन किया। एलजी ने अधिकारियों को लद्दाख में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए। यह भी कहा कि हालात को देखते हुए सतर्कता बरतते हुए एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर काम किया जाए।
लद्दाख में हिंसा भड़कने के पीछे वांगचुक जिम्मेदार: गृह मंत्रालय
में गृह मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था। हिंसक घटनाओं के बीच, उन्होंने अपना उपवास तोड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यापक प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए।
सरकार तलाश रही बलि का बकरा, मुझे जेल भेजने की तैयारी : वांगचुक
में गृह मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था। हिंसक घटनाओं के बीच, उन्होंने अपना उपवास तोड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यापक प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गए।
सरकार तलाश रही बलि का बकरा, मुझे जेल भेजने की तैयारी : वांगचुक
लद्दाख में भड़की हिंसा पर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने सरकार पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो सरकार की दिक्कतें उनकी आजादी से कहीं ज्यादा बढ़ जाएंगी। वांगचुक ने गुरुवार को गृहमंत्रालय के उस बयान को खारिज किया जिसमें बुधवार की हिंसा के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार बलि का बकरा तलाश रही है जबकि असली समस्या को नजरअंदाज कर रही है। मैं देख रहा हूं कि पीएसए (जनसुरक्षा कानून) के तहत मुझे दो साल के लिए जेल भेजने की तैयारी हो रही है। मैं इसके लिए तैयार हूं। लेकिन याद रखिए, जेल में सोनम वांगचुक सरकार के लिए बाहर के वांगचुक से कहीं ज्यादा परेशानी का सबब बनेगा।
केंद्र लचीला रुख अपनाए : डॉ. जफर अखून
लेह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद यानी एलएएचडीसी, कारगिल के चेयरमैन डॉ. जफर अखून ने बंद शांतिपूर्ण गुजरने पर राहत जताई। उन्होंने एक बार फिर केंद्र से लद्दाख के मामले में अपना रुख लचीला रखने और बातचीत शुरू करने की बात दोहराई। उन्होंने छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को जायज बताते हुए कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द बात शुरू करना बेहद जरूरी है।
देश का सोचने वाले सोनम वांगचुक को क्यों परेशान कर रही सरकार: केजरीवाल
केंद्र सरकार की पूरी मशीनरी बेहद घटिया राजनीति कर रही
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोनम वांगचुक पर लगे आरोपों की निंदा की और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपनी पूरी मशीनरी का इस्तेमाल उस व्यक्ति को परेशान करने के लिए कर रही है जो देश की प्रगति के बारे में सोच रहा है।
सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में केजरीवाल ने लिखा, सोनम वांगचुक के बारे में पढि़ए। जो व्यक्ति देश के बारे में सोचता है, शिक्षा के बारे में सोचता है, नए आविष्कार करता है, उसे आज केंद्र सरकार की पूरी मशीनरी बेहद घटिया राजनीति के तहत परेशान कर रही है। पोस्ट में लिखा गया है कि यह बेहद दुखद है – देश की बागडोर ऐसे लोगों के हाथों में कैसे है। ऐसा देश कैसे तरक्की करेगा? यह लद्दाख में अशांति के बाद आया है, जिसके बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 14 दिनों की भूख हड़ताल की, जो पाँच साल से इन माँगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, यहाँ तक कि लेह से दिल्ली तक एक उल्लेखनीय नंगे पाँव पदयात्रा भी की थी। लेह में अशांति राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही माँगों से उपजी है। जम्मू और कश्मीर के लोग भी 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से राज्य के दर्जे की इसी तरह की माँग कर रहे हैं। लेह में अधिकारियों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लगा दिए हैं।
केंद्र सरकार लेह के साथ प्रदेश की जनता की तरफ ध्यान दे : उमर
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लेह की जनता को नकारा गया जिसका परिणाम बुधवार को वहां हिंसा के रूप में देखने को मिला। केंद्र सरकार को लेह के साथ प्रदेश की जनता की तरफ ध्यान देना चाहिए। भाजपा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, भाजपा के नेता लेह में हुई हिंसा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मान रहे हैं लेकिन अगर लेह में कांग्रेस इतनी मजबूत होती तो काउंसिल उन्हीं की बनती। स्थिति को संभालना सरकार का काम होता है। वे हमेशा अपना कसूर नहीं मानते और दूसरे को दोषी ठहराते हैं। उन्होंने लेह के लोगों से अपील की कि वे कानून को अपने हाथों में नहीं लें और आपसी भाईचारा व शांति बनाए रखें।
मुख्तार के बेटे अब्बास को सुप्रीम कोर्ट से राहत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी की जमानत की शर्तें हटा दी हैं। अब्बास अंसारी इस राहत के बाद यूपी से बाहर जा सकेंगे। अदालत ने कहा कि अंतरिम ज़मानत देते समय याचिकाकर्ता पर लगाई गई शर्त संख्या 6(111) में ढील दी जाती है और याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश से बाहर यात्रा करने की अनुमति है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दिलचस्प टिप्पणी दी। उन्होंने कहा कि अंसारी को चुप कराने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि हम अदालत को सोशल मीडिया पर हमले से बचाना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कहा कि अब्बास अंसारी सार्वजनिक रूप से बोल सकते हैं या नहीं? जब अंसारी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अंसारी पर लगाई गई सार्वजनिक बयान न देने की शर्त में भी ढील देने का अनुरोध किया।
जस्टिस कांत ने कहा, वह ऐसा कर सकते हैं. मान लीजिए, वह आर्थिक स्थिति या रोजग़ार पर सार्वजनिक बयान देना चाहते हैं। तो शर्त यह है कि विभिन्न अदालतों में विचाराधीन मामलों के संबंध में कोई सार्वजनिक बयान न दिया जाए। जस्टिस कांत ने टिप्पणी की कि यह अदालतों को सोशल मीडिया के हमले से बचाने का सवाल है। कपिल सिब्बल ने यह भी अनुरोध किया कि अंसारी को लखनऊ में आवंटित सरकारी आवास में रहने की शर्त में भी ढील दी जाए. परिवार के आकार को देखते हुए, अंसारी लखनऊ में किराए का मकान लेना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उक्त शर्त में भी ढील दी. हालांकि, अंसारी को पते में हुए बदलाव की सूचना स्थानीय पुलिस को देनी होगी।.
उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पारित किया. कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता के वकील ने आश्वासन दिया है कि जब तक स्पष्ट छूट नहीं दी जाती, याचिकाकर्ता निचली अदालत में उपस्थित होकर सहयोग करेगा. यदि उन्हें छूट दी गई है, तो यह वचनबद्धता है कि वकील उपस्थित रहेंगे और निचली अदालत के साथ सहयोग करेंगे। अदालत ने कहा कि अंतरिम ज़मानत देते समय याचिकाकर्ता पर लगाई गई शर्त संख्या 6(111) में ढील दी जाती है और याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश से बाहर यात्रा करने की अनुमति है. बशर्ते वह जांच अधिकारी के समक्ष यात्रा स्थल का विवरण और संपर्क नंबर शेयर करें. याचिकाकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि ट्रायल की कार्यवाही में कोई बाधा न आए.।
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने जनशक्तिजनता दल का किया गठन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने आगामी विधानसभा चुनाव लडऩे की घोषणा की है। उनकी राजनीतिक पार्टी का नाम जनशक्ति जनता दल रखा गया है और इसका चुनाव चिन्ह ब्लैक बोर्ड है। तेज प्रताप यादव ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पार्टी का पोस्टर भी शेयर किया है। तेज प्रताप ने एक्स पर लिखा, हम बिहार के समग्र विकास के लिए पूरी तरह समर्पित और तत्पर हैं।
हमारा उद्देश्य बिहार में आमूलचूल परिवर्तन लाकर एक नई व्यवस्था स्थापित करना है। बिहार के समग्र विकास के लिए हम लंबी लड़ाई लडऩे को तैयार हैं। पार्टी के पोस्टर में तेज प्रताप ने पाँच प्रमुख नेताओं और हस्तियों को भी शामिल किया है। पोस्टर में महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर को दिखाया गया है। गौरतलब है कि तेज प्रताप ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को पोस्टर में शामिल नहीं किया है।
तेज प्रताप यादव की नई पार्टी के पोस्टर पर लिखा है: जनशक्ति जनता दल, सामाजिक न्याय – सामाजिक अधिकार – सम्पूर्ण परिवर्तन। जनता की शक्ति, जनता का शासन – तेज प्रताप बिहार का विकास सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, जनशक्ति जनता दल से जुडऩे के इच्छुक लोगों के लिए एक मोबाइल नंबर भी जारी किया गया है। तेज प्रताप ने दावा किया है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव महुआ विधानसभा क्षेत्र से लड़ेंगे।
इससे पहले, 2015 में भी उन्होंने महुआ से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। तेज प्रताप ने महुआ को अपनी कर्मभूमि बताते हुए कहा कि अगर कोई और महुआ से चुनाव लड़ता है, तो जनता उसे हरा देगी। इसी साल मई में लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी दोनों से निष्कासित कर दिया था और उनसे सारे रिश्ते तोड़ लिए थे। इससे पहले, तेज प्रताप के फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट छपी थी जिसमें दावा किया गया था कि वह पिछले 12 सालों से एक लड़की (अनुष्का) के साथ रिलेशनशिप में हैं। इस घटना ने लालू परिवार में विवाद को जन्म दे दिया था।
पटाखों पर पूरा बैन लगाना संभव नहीं: सुप्रीम कोर्ट
बोली शीर्ष अदालत- पटाखा निर्माताओं को काम करने का अधिकार है तो नागरिकों को भी सांस लेने का अधिकार है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन पर शीर्ष अदालत ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि पटाखों पर पूरा बैन लगाना संभव नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की बात कही है।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि हमें माफिया से भी सावधान रहने की जरूरत है, जो बैन के बाद सक्रिय हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पटाखा निर्माताओं को काम करने का अधिकार है तो नागरिकों को भी सांस लेने का अधिकार है। सुनवाई के दौरान सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि अगर कोई पटाखा निर्माता नियमों का पालन करता है तो उन्हें पटाखों के निर्माण की अनुमति देने में क्या समस्या है? कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान तो होना ही चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि अतिवादी आदेश समस्याएं पैदा करेंगे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके अलावा सोशल मीडिया पर हमें अपनी बातों में सावधानी बरतने की भी जरूरत है. मामले की अगली सुनवाई 8 अक्तूबर को होगी. कोर्ट ने कहा कि देशभर के मजदूर श्रमदान करते हैं, अगर मुआवजा देने का आदेश भी दिया जाता है तो ऐसी दलीलें दी जाती हैं कि मुआवजा नहीं दिया जाएगा. इसलिए उन्हें पटाखा बनाने दें और अगले आदेश तक एनसीआर में बिक्री न होने दें।
कोर्ट ने मांगा अंडरटेंकिंग
चीफ जस्टिस बी आर गवई ने नीरी और पीईएसओ द्वारा ग्रीन पटाखों के लिए परमिट वाले निर्माताओं को पटाखों के निर्माण की इजाजत दे दी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो अंडरटेकिंग दें कि अगली तारीख तक वे दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में कोई भी पटाखा नहीं बेचेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने स्पष्ट किया है कि पूर्ण प्रतिबंध के आदेश के बावजूद, प्रतिबंध लागू नहीं हो सका, जैसे बिहार राज्य में खनन पर प्रतिबंध तो था, लेकिन इससे अवैध खनन माफियाओं को बढ़ावा मिला इसलिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।



