गुजरात में BJP की नींव हिल गई, केजरीवाल के दावे से मोदी के छूटे पसीने!
गुजरात में आम आदमी पार्टी का जनसैलाब देखकर बीजेपी के पसीने छूट गए हैं... गोपाल इटालिया, चैतर वसावा और अब राजू करपड़ा जैसे बड़े चेहरे...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के बोटाद जिले के मार्केटिंग यार्ड में हजारों किसानों का धरना तीसरे दिन भी जारी है.. आम आदमी पार्टी के नेताओं के नेतृत्व में यह आंदोलन किसानों के साथ हो रहे कथित शोषण के खिलाफ चल रहा है.. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि.. गुजरात के मार्केट यार्डों में किसानों के साथ खुला अन्याय हो रहा है.. और उन्होंने आरोप लगाया कि मेहनत से उगाई गई फसल का सही दाम नहीं मिल रहा.. बल्कि बीजेपी के नेताओं ने इन यार्डों पर कब्जा कर लिया है.. और किसानों को परेशान कर रहे हैं..
वहीं यह आंदोलन न सिर्फ किसानों की आर्थिक समस्याओं को उजागर कर रहा है.. बल्कि गुजरात की राजनीति में भी बड़ा बदलाव लाने का संकेत दे रहा है.. दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद AAP गुजरात को अपना नया किला बनाने की कोशिश में जुटी हुई है.. पार्टी का दावा है कि अब गुजरात में सत्ता का मुकाबला सिर्फ बीजेपी.. और AAP के बीच होगा.. कांग्रेस जैसी पार्टियां यहां पीछे छूट चुकी हैं.. इस खबर में हम जानेंगे कि आंदोलन की पृष्ठभूमि क्या है.. ‘कलदा’ मुद्दा क्या है.. AAP की रणनीति क्या है.. और इससे 2027 के विधानसभा चुनावों पर क्या असर पड़ेगा..
दोस्तों बोटाद मार्केट यार्ड गुजरात का एक प्रमुख कापास बाजार है.. जहां हर साल हजारों टन कापास की खरीद-बिक्री होती है.. लेकिन पिछले कुछ महीनों से किसान यहां परेशान हैं.. कलदा मुख्य समस्या है.. वहीं कलदा का मतलब है फसल के वजन में अनुचित कटौती.. जब किसान अपनी कापास लाते हैं.. तो व्यापारी या यार्ड के अधिकारी वजन करते समय 1 से 2 किलो या उससे ज्यादा की कमी दिखाते हैं.. यह कमी कभी नमी के बहाने तो कभी अन्य कारणों से की जाती है.. जिसके चलते किसानों को सही दाम नहीं मिलता है.. एक किसान को 50 किलो कापास के लिए सिर्फ 48 किलो का भुगतान होता है.. अगर कापास का भाव 60 रुपये प्रति किलो है.. तो 120 रुपये का नुकसान हो जाता है.. हजारों किसानों के लिए यह छोटी-छोटी कटौतियां लाखों-करोड़ों का घाटा बन जाती हैं..
AAP के किसान सेल के प्रदेश प्रमुख और सौराष्ट्र के प्रमुख नेता राजूभाई करपड़ा ने कुछ दिनों पहले एक वीडियो जारी कर.. इस ‘कलदा’ के षड्यंत्र का पर्दाफाश किया था.. वीडियो में उन्होंने दिखाया कि कैसे यार्ड में व्यापारी.. और अधिकारी मिलकर किसानों का शोषण कर रहे हैं.. वीडियो वायरल होते ही बोटाद यार्ड के अधिकारियों ने मीटिंग बुलाई.. और मीडिया के सामने वादा किया कि ‘कलदा’ अब कभी नहीं होगा.. लेकिन किसान कहते हैं कि वादे झूठे साबित हो गए.. व्यापारी अब भी कसाई की तरह शोषण कर रहे हैं..
इसके बाद 8 अक्टूबर को राजूभाई करपड़ा ने हल्लाबोल अभियान शुरू किया.. शुक्रवार को वे खुद यार्ड पहुंचे.. और हजारों किसानों के साथ धरने पर बैठ गए.. धरना रात-दिन जारी है… रविवार को उन्होंने किसान महापंचायत की घोषणा की.. जो यार्ड में ही होगी.. करपड़ा ने कहा कि जब तक किसानों को लिखित में गारंटी नहीं मिलेगी कि कलदा बंद होगा.. और फसल का पूरा वजन भुगतान होगा… तब तक हम हटेंगे नहीं.. धरने में महिलाएं और युवा किसान भी शामिल हैं.. एक किसान ने बताया कि हम कपास पर पसीना बहाते हैं.. लेकिन व्यापारी मलाई खा जाते हैं.. AAP ने हमारी आवाज उठाई, वरना हम चुप रह जाते..
आपको बता दें कि आंदोलन के दौरान व्यापारियों ने खरीद बंद कर दी.. AAP का कहना है कि इसका मतलब साफ है.. अगर कलदा बंद होगा.. तो व्यापारी नुकसान में पड़ जाएंगे.. लेकिन किसान कहते हैं कि हम भूखे मरने को तैयार हैं.. लेकिन शोषण सहन नहीं करेंगे..
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP को करारी हार मिली.. 70 में से सिर्फ 2 सीटें आईं.. इससे पार्टी को झटका लगा.. लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इसे सबक बनाया.. उन्होंने कहा कि अब फोकस उन राज्यों पर होगा जहां पार्टी की जड़ें मजबूत हो सकती हैं.. गुजरात AAP का अगला लक्ष्य बन गया.. यहां पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में 5 सीटें जीतीं.. यह जीत ऐतिहासिक था.. क्योंकि गुजरात बीजेपी का गढ़ माना जाता है..
लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद हुए उपचुनावों में AAP को झटका लगा.. विसावदर में जीत तो हुई.. लेकिन बोटाद के विधायक उमेश मकवाना ने जून 2025 में पार्टी छोड़ दी.. मकवाना ने आरोप लगाया कि AAP पिछड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है.. वे व्हिप और नेशनल जॉइंट सेक्रेटरी के पद से इस्तीफा देकर चले गए.. पार्टी ने उन्हें 5 साल के लिए सस्पेंड कर दिया.. मकवाना के जाने से बोटाद में कमी आई.. लेकिन राजूभाई करपड़ा ने सौराष्ट्र में AAP का झंडा बुलंद कर दिया.. वे निर्भीक नेता के रूप में उभरे हैं.. शुक्रवार को जब वे यार्ड पहुंचे, तो किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया..
AAP गुजरात के चेयरमैन इसुदान गढ़वी सौराष्ट्र में डेरा डाले हुए हैं.. वे किसानों के मुद्दों पर लगातार बोल रहे हैं.. पार्टी का कहना है कि 2027 के चुनावों में राहुल गांधी की तरह AAP परिवर्तन लाएगी.. लेकिन कांग्रेस गुटबाजी में फंसी है.. जबकि AAP जमीन से जुड़ी हुई लग रही है.. AAP के पास गुजरात में 4 विधायक बचे हैं.. गोपाल इटालिया, चैतर वसावा, हेमंत खावा और सुधीर वाघाणी.. इटालिया और वसावा पहले से बीजेपी के चुनौती बने हुए हैं.. अब करपड़ा की नाम लिस्ट में जुड़ गया है..
AAP के मुख्य प्रवक्ता करन बारोट ने ट्वीट कर दावा किया कि गुजरात में अब लड़ाई सिर्फ AAP और बीजेपी के बीच है… जनता ने मान लिया है कि बीजेपी के 30 साल के कुशासन को हटाकर परिवर्तन सिर्फ AAP ही लाएगी.. यह दावा बोटाद के प्रोटेस्ट के बाद आया.. जहां भीड़ उमड़ पड़ी.. गुजरात में कापास की खेती लाखों किसानों का पेशा है.. राज्य में 15 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर कापास उगाई जाती है.. लेकिन मार्केट यार्डों में शोषण से किसानों को सालाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है.. एक रिपोर्ट के मुताबिक कलदा जैसी कटौतियों से बोटाद यार्ड में ही 20-25% किसान प्रभावित हैं.. एक औसत किसान को 10-15 हजार रुपये का प्रति मौसम में घाटा होता है..
वहीं किसान बताते हैं कि व्यापारी न सिर्फ वजन कम दिखाते हैं.. बल्कि गोदामों में फसल भेजने पर भी कमीशन वसूलते हैं.. अगर किसान विरोध करें, तो खरीद बंद कर देते हैं.. एक बुजुर्ग किसान ने कहा कि हमारी फसल बेचने के बाद भी कर्ज चुकता नहीं होता.. बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं.. AAP ने आशा जगाई है.. पिछले साल गुजरात में दूध किसानों का आंदोलन चला था.. जिसमें 47 लोग गिरफ्तार हुए.. अब कापास किसान सड़क पर हैं.. AAP का कहना है कि यह सिर्फ बोटाद तक सीमित नहीं है.. यह आंदोलन पूरे गुजरात में फैलेगा..



