SIR विवाद ने बढ़ाई BJP की मुश्किलें! विपक्ष ने एक साथ कर दिया बड़ा एक्सपोज

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी चौंकने वाले आ रहे हैं। शुरुवाती रुझानों में NDA ने भारी बढ़त बनाई है, जीत की कगार पर है। लेकिन इस बीच विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सवाल उठा दिए हैं। दरअसल चुनावी नतीजों के बीच विपक्ष ने एक बार फिर SIR का मुद्दा उठा दिया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी चौंकने वाले आ रहे हैं। शुरुवाती रुझानों में NDA ने भारी बढ़त बनाई है, जीत की कगार पर है। लेकिन इस बीच विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सवाल उठा दिए हैं। दरअसल चुनावी नतीजों के बीच विपक्ष ने एक बार फिर SIR का मुद्दा उठा दिया है।

इसी बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा किये गए एक ट्वीट के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। अखिलेश यादव ने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘बिहार में जो खेल एसआईआर ने किया है वो पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, यूपी और बाक़ी जगह पर अब नहीं हो पायेगा क्योंकि इस चुनावी साजिश का अब भंडाफोड़ हो चुका है। अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे। सीसीटीवी की तरह हमारा ‘पीपीटीवी’ मतलब ‘पीडीए प्रहरी’ चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा दल नहीं छल है।’

उन्होंने लिखा कि बिहार में जो खेल SIR ने किया है वो प. बंगाल, तमिलनाडू, यूपी और बाक़ी जगह पर अब नहीं हो पायेगा क्योंकि इस चुनावी साज़िश का अब भंडाफोड़ हो चुका है। अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे।CCTV की तरह हमारा ‘PPTV’ मतलब ‘पीडीए प्रहरी’ चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा।… हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब अखिलेश यादव ने SIR का मुद्दा उठाया हो बल्कि इससे पहले भी उन्होंने SIR को लेकर चुनाव आयोग को निशाने पर ले चुके हैं।

हाल में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में आधार की मान्यता के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर वर्ष 2003 की मतदाता सूची स्पष्ट नहीं है। हम पीडीए का वोट नहीं कटने देंगे। राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम पर हाल के विवादित बयानों पर कहा था कि संविधान निर्माताओं ने सोच-समझकर राष्ट्रीय गीत को वैकल्पिक बनाया। राष्ट्र गान की तरह अनिवार्य नहीं किया।

हालांकि न सिर्फ अखिलेश यादव बल्कि अन्य विपक्षी नेता भी इस मामले को उठा रहे हैं। चुनावी नतीजों को लेकर पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और महागठबंधन के समर्थक पप्पू यादव ने बिहार से आ रहे रुझानों पर निराशा जताई है. उन्होंने कहा “चीज़ें जो चल रही हैं उन्हें स्वीकार करना पड़ेगा. यह बिहार के लिए दुर्भाग्य होगा. जनता को मैं कुछ नहीं कह सकता उनके फैसले का स्वागत करूंगा, लेकिन यह बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा.”

वहीं कांग्रेस की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कांग्रेस ने महागठबंधन की हार के पीछे SIR को ही वजह बताया है। इसे लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “शुरुआती रुझानों में लगता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता बिहार की जनता पर भारी पड़ रहे हैं। आने वाले समय में स्पष्ट होगा कि बिहार के लोग भारी पड़ेंगे ज्ञानेश कुमार गुप्ता पर या ज्ञानेश गुप्ता पड़ेंगे। इंतजार करना होगा। बिहार की जनता को कम नहीं आंक सकता हूं, एसआईआर, वोट चोरी के बाद भी उन्होंने पूरी हिम्मत दिखाई है।”

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक्स पर कहा कि जो मेरा शक था वही हुआ। 62 लाख वोट कटे 20 लाख वोट जुड़े उसमें से 5 लाख वोट बिना SIR फॉर्म भरे बढ़ा दिए गए। अधिकांश वोट गरीबों के दलितों के अल्प संख्यक वर्ग के कटे। उस पर EVM पर तो शंका बनी हुई है। कांग्रेस को अपने संगठन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आज का चुनाव मतदान केंद्र पर सघन जनसंपर्क का है ना कि रैली व जनसभा का। विजयी प्रत्याशियों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

वहीं आपको जानकारी के लिए बता दें कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. 26 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. बिहार के बाद चुनाव आयोग अब 12 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में SIR शुरू कर चुका है. इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों का सुप्रीम कोर्ट पहुंचना जारी है.

तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने राज्य में SIR के विरोध में याचिका दाखिल की है. इसके अलावा भी तमिलनाडु में SIR के खिलाफ 5 याचिकाएं दाखिल हुई हैं. वहीं राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके ने SIR को सही बताते हुए इसके पक्ष में आवेदन दाखिल किया है. पश्चिम बंगाल में SIR के खिलाफ सत्ताधारी टीएमसी की सांसद डोला सेन और माला रॉय सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने भी याचिका दाखिल की है.

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का भी संकेत दिया कि वह दूसरे राज्यों के SIR मामले को भी सुनेगा. जजों ने उन राज्यों के हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस मामले में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई स्थगित रखें. कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग चाहे तो हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए आवेदन दाखिल कर सकता है.

गौरतलब है कि जिस तरह से विपक्ष SIR का मुद्दा रही है ऐसे में एक बात तो साफ है बिहार में चुनावी नतीजे कुछ भी हों लेकिन आगामी राज्यों के चुनाव से पहले एक बार फिर SIR का मुद्दा तूल पकड़ने वाला है। अब देखना ये होगा कि विपक्ष इसे लेकर क्या खास कदम उठाता है। अब ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।

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