बिहार का रिजल्ट आते ही होगा खेला, हाई लेवल मीटिंग से खुले गए राज, सीएम बनेंगे नीतीश कुमार
दोस्तों बिहार चुनाव में एक ओर जहां एग्जिट पोल के नतीजों से पूरा बिहार चौंका हुआ है और चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है कि गेादी मीडिया का एग्जिट पोल वोट डकैती कराने के लिए आया है।तो वहीं दूसरी ओर वोट डकैती की कोशिशें भी कई जगहों से सामने आ रही हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार चुनाव में एक ओर जहां एग्जिट पोल के नतीजों से पूरा बिहार चौंका हुआ है और चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है कि गेादी मीडिया का एग्जिट पोल वोट डकैती कराने के लिए आया है।तो वहीं दूसरी ओर वोट डकैती की कोशिशें भी कई जगहों से सामने आ रही हैं।
हलांकि इसको जेन जी ने नाकाम कर दिया है लेकिन इस सबके बीच एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। खबर यह है कि नीतीश कुमार-लालू प्रसाद एक बार फिर से एक मंच पर साथ आ सकते है। ये बातें हम यूं ही नहीं कर कह रहे हैं बल्कि ये एग्जिट पोल के बाद नीतीश कुमार की सीक्रेट मीटिंग से ये खबरें सामने आ रही है। आपको बता दें कि जैसे ही ये खबर सामने आई है हड़कंप मचा हुआ है।
क्योंकि पीएम साहब के चाणक्य जो बिहार मेें अपना सीएम और किंग मेकर बनने का सपना संजोये थे वो पूरी तरह से फेल हो गया है। कैसे नीतीश कुमार की सीक्रेट मीटिंग लीक हुई है और कैसे ये बात बाहर आई है कि नीतीश लालू एक बार फिर से चुनावी मंच पर साथ आ सकते हैं, ये हम आपको आगे अपनी इस 8 मिनट की रिपोर्ट में बताएंगे।
दोस्तो, बिहार चुनाव में रिकॉर्ड 69 प्रतिशत की वोटिंग से एनडीए में खलबली मची हुई है। पहले तो अमितशाह ने कहा कि वो 160 सीटें जीत रहे है और फिर उसके बाद गोदी मीडिया ने इसी के आधार पर एग्जिट पोल भी डिक्लियर कर दिया जबकि देश में वोटिंग ट्रेंड का इतिहास रहा है कि कभी भी आठ या 10 प्रतिशत वोटिंग तभी बढ़ी है जब जनता ने सोचा है कि हर हाल में बदलाव करना है और वो जनता ने कर दिया है लेकिन राजनीतिक विश्लेषण और एग्जिट पोल ये मान रहा है कि बदलाव के लिए नहीं इतने ज्यादा वोट सिर्फ और सिर्फ इसलिए बडे हैं ताकि बिहार को लालू यादव के परिवार से बचाया जा सके।
हालांकि अब सिर्फ कुछ घंटे से कम का समय बचा है सारी बातें खुद बखुद क्लियर हो जाएंगी और इसमें और कल दोपहर के बाद बिहार में नई सरकार का गठन साफ हो जाएगा। आपको बता दें कि रिजल्ट कुछ भी हो लेकिन एक बात यह तय है कि बिहार के किंग मेकर इस बार फिर से नीतीश कुमार ही होेंगे और पीएम साहब और उनके चाणक्य यानि कि अमित शाह जो बिहार में खुद को किंग मेकर की भूमिका में देख रहे थे उनका बंटाधार होने वाला है। क्योंकि अगर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी भी बन जाती है तो किसी भी हाल में उसका सीएम नहीं होने वाला है। क्योंकि नीतीश बाबू यह तय कर चुके हैं कि उनकी ही पार्टी का सीएम होगा और आपको बता दें कि चुनाव से पहले जो चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, और उपेंद्र कुश्वाहा को लेकर बीजेपी ने गलतफहमी पाल रखी वो चुनावों में ही दूर हो चुकी है और रिजल्ट आने के बाद तो शायद चौंकाने वाले परिणाम सामने आएं,
क्योंकि जिस तरह से जनता के बीच में इंडिया गठबंधन को लेकर उत्साह देखा गया है वो कहीं न कहीं इस बात को बताता है कि मुश्किल ही है कि एनडीए के वापसी हो लेकिन अगर होती भी है तो इसमें भी बड़ा खेल होगा। क्योंकि कल एक नया एग्जिट पोल आया है जो अन्य गोदी मीडिया से उलट रिपोर्ट किया है। ये कोई और नहीं बल्कि एक्सिस एग्जिट पोल है, जिसने एक बात तय कर दी है कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होगी। एक्सिस ने आरजेडी को 67 से 76 सीटें दी हैं जबकि एक्सिस का मानना है कि जदयू दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी और जदयू को 56 से 62 सीटें तक मिल सकती हैं। इसके साथ बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी होगी 50 से 56 सीटें मिल सकती हैं और चौथे नंबर पर कंाग्रेस जिसको 10 से 14 सीटें मिल सकती हैं।
ऐसे में साफ है पूरी बागडोर नीतीश के हाथ में रहने वाली है और ऐसे में नीतीश कुमार न सिर्फ किंग मेकर होगे बल्कि सत्ता की चाभी भी उन्ही के पास होगी और जो ख्वाब पीएम साहब और उनके चाणक्य जी देख रहे थे कि दिल्ली से बिहार चलाएंगे वो कहीं न कहीं पूरी तरह से चकनाचूर हो गया है। क्योंकि अगर मान लीजिए कि रिजल्ट इसके उलट आ जाते हैं कि बीजेपी 70 सीटों तक चली जाती है जो कि नामुमकिन है फिर भी उनको नीतीश की जरुरत पडेगी क्योंकि चिराग और कुशवाहा मिलकर उनकी नैया नहीं खेल सकेंगे। ऐसे में नीतीश कुमार के दोनों हाथों में मलाई होने की इस बार भी भरपूर संभावना है।
आपको बता दें कि जैसे ही एग्जिट पोल के नतीजे आए हैं तुरंत ही नीतीश कुमार जी एक्शन में आ गए हैं। सबसे पहले उन्होंने ललन सिंह से मुलाकात की फिर उसके बाद दूसरे दिन उन्होंने मंदिर-गुरुदवारे और मजार पर पहुंचकर तीनों समुदायों के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है। साथ अंदरखाने से खबर है कि रात में एक बेहद सीक्रेट मीटिंग की है। इस मीटिंग में उनके साथ मनीष वर्मा, बीजेंद्र यादव, विजय चौधरी समेत ललन सिंह मौजूद थे। आपकेा बता दें कि जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष जो कि अमित शाह के बहुत करीबी माने जाते हैं वो इस मीटिंग का हिस्सा नहीं थे। मतलब ये बात साफ है कि मीटिंग गुप्त एजेंडे के लिए थी यानि कि इस मीटिंग में बिहार के भविष्य की रुप रेखा तैयार की गई है।
आपको बता दें कि अंदरखाने की खबर है कि अगर बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर आती है तो भी जदयू इसी फार्मूले पर काम करेगी कि सीएम उसका होगा क्योंकि नीतीश कुमार और जदयू को हर हाल में सीएम की सीट चाहिए और अगर ये इधर नहीं हो पाया तो दूसरी ओर यानि कि वो काम लालू के खेमें में जाकर करेंगे। आपको बता दें कि मनीष वर्मा पिछले काफी दिनों से लालू खेमे के संपर्क में हैं और वो मौजूदा समय में नीतीश कुमार के सबसे बड़े एडवाइजर हैं। इससे सबमें सबसे अहम बात है कि जब पूरे चुनाव में जदयू नीतीश को सीएम फेस बनाने की जिद कर रही थी तो मनीष वर्मा ही थे जो नीतीश खेमे की अगुवाई कर रहे थे लेकिन इसके बाद भी पीएम साहब और उनके चाणक्य ने कोई फैसला नहीं लिया और ये इस बात को नीतीश खेमा पूरी तरह से याद करके बैठा है।
क्योंकि बीजेपी बड़ी पार्टी बने या छोटी, अब जदयू की डिमांड यही होगी कि उसको सीएम का पद चाहिए। इसमें दो बातें सामने आएंगी या तो बीजेपी झुक जाएगी, या फिर से साल 2020 वाला गेम होगा और एक बार फिर से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी पलटी मारेगी। हालांकि अंदरखाने से यह भी खबर है कि इस बार बिहार में अगर नीतीश कुमार कुछ ऐसा करते हैं तो एकनाथ शिंदे मॉडल तैयार है और इसकी अगुवाई संजय झा कर सकते हैं लेकिन इसमें भी बड़ा पेंच हैं क्योंकि नीतीश के जितने भी लोग साथ है उनका टूटना खासकर विधायकों टूटना का आसान नहीं होगा और ऐसे में पीएम साहब के चाणक्य जी को डबल झटका लग सकता हैं आपको बता दें कि नीतीश कुमार की सीक्रेट मीटिंग में सिर्फ सीएम को लेकर चर्चा नहीं हुई बल्कि ये बात भी अदंरखाने से आई कि जिन सीटों पर कांटे की टक्कर हो वहां पर खास एलर्ट रहे और किसी तरह से फर्जी लोगों को जीत कतई न मिलने पाए।
इसके लिए भी रणनीति तैयार हुई है। ऐसे में एक बात तो साफ है कि नीतीश कुमार जी एक्शन में आ चुके हैं और कुछ भी हो वो हर हाल में वो अगले सीएम के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट कर चुके हैं। हालांकि एक बात और भी सामने आई वो यह है कि जन सुराज और कभी नीतीश के बहुत करीबी रहे प्रशांत किशोर का दावा है कि नीतीश कुमार को सिर्फ और सिर्फ 25 सीट मिल रही है और अगर सच में ऐसा होता है कि तो सच में उनके लिए संकट है लेकिन जिस तरह से एक्सिस माई एग्जिट पोल का आंकड़ा है या फिर एआई पॉलिटिक्स ने जो आंकड़े दिए हैं वो कहीं न कहीं इस बात की ओर ईशारा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर से किंगमेकर की भूमिका में आने वाले हैं और अगर चाणक्य जी ज्यादा इधर उधर करते है तो फिर से तीर और लालटेन एक साथ हो सकते हैं यानि कि लालू और नीतीश कुमार एक बार फिर से साथ हो सकते हैं और ये सिर्फ जबानी जमा खर्च की बात नहीं है
बल्कि नीतीश कुमार की खुफिया मीटिंग से निकला सच है और ये सच उतना ही सच है जैसा कि 2020 में हुआ था लेकिन आपको बता दें कि ये सबकुछ तक होगा जब गेम पूरी तरह से एनडीए के हाथ में और नीतीश को सीएम न बनाया जाएगा लेकिन अगर एक्सिस से अलग महागठबंधन के हक में फैसला आता है तो गेम कुछ और ही होगा और इसकी संभावनाए सबसे ज्यादा है क्योकि आपको बता दें कि 2020 के मुकाबले इस बार मतदान 9 फीसदी ज्यादा है। 2020 में 57.29 प्रतिश वोटिंग ही हुई थी। यही आंकड़ा एनडीए के लिए चिंता की भी बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार के चुनावी इतिहास में जब भी वोटिंग में इजाफा हुआ है तो परिवर्तन हुआ है।
इसीलिए विपक्ष के लोग बढ़े हुए मतदान को परिवर्तन के लिए पड़ा वोट बता रहे हैं। बीते चुनाव का डेटा देखें तो तीन बार सरकार बदली है, जब मतदान 5 फीसदी अधिक बढ़ा है। 1967 के चुनाव में 1962 की तुलना में 7 फीसदी वोट बढ़ा था और नतीजा आया कि कांग्रेस की सरकार बदल गई। यहीं से बिहार में गैर- कांग्रेसी सरकारों के गठन की शुरुआत हुई। इसके बाद 1980 के चुनाव का एक उदाहरण है। तब 57.3 फीसदी वोट हुआ था, जबकि 1977 में 50.5 पर्सेट ही वोटिंग हुई थी। इस तरह करीब 7 फीसदी वोट बढ़ा और नतीजा था कि सत्ता बदल गई।
ऐसी ही स्थिति 1990 में भी दोहराई गई। तब मतदान में 5.7 पर्सेट का इजाफा हुआ और कांग्रेस की सरकार चली गई। जनता दल की वापसी हुई। ऐसे में इस आंकड़े न सिर्फ बीजेपी की धुकधुकी बढ़ाने वाले है बल्कि भी बहुत से लोग तय मानकर चल रहे हैं कि सरकार का बदलना तय है। कहा जा रहा है कि बिहार में कहीं फिर से सत्ता ना बदल जाए।
हालांकि एनडीए को बढ़े हुए मतदान से अपनी जीत की उम्मीद इसलिए है क्योंकि महिलाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया है। इस बार महिलाओं का वोट प्रतिशत नौ प्रतिशत ज्यादा है और यही एनडीए की जीत का आधार माना जा रहा है क्योंकि नीतीश ने महिलाओं को लेकर इस चुनाव में बड़ा गेम किया था अगर वो सच में सही साबित हुआ तो गेम बदल सकता है, हालांकि नीतीश कैंप की ओर नीतीश को दोबारा सीएम बनाने की फिर से तैयारी है और यही वजह है कि तीर और लालटेन एक बार फिर से साथ हो सकते हैं।
पूरे मामले में आपका क्या मानना है। क्या नीतीश कैंप और लालू यादव चुनाव के रिजल्ट के बाद एक बार फिर से आपस में मिल सकते हैं। क्या रिजल्ट ऐसे आने जा रहे हैं कि नीतीश कुमार किंग मेकर होंगे। क्या बिहार में रिजल्ट के बाद बड़ा उलटफेर फिर से हो सकता है।



