न मोदी न नीतीश ने जीता बिहार, ज्ञानेश कुमार बने एनडीए के जीत के हीरो?

क्या चुनाव आयोग की मदद से एनडीए ने बिहार चुनाव छीन लिया है? क्या विपक्ष की हार की वजह बना एसआईआर है? क्या मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले से लिख दी थी एनडीए की जीत की कहानी?

4पीएम न्यूज नेटवर्क: क्या चुनाव आयोग की मदद से एनडीए ने बिहार चुनाव छीन लिया है? क्या विपक्ष की हार की वजह बना एसआईआर है? क्या मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पहले से लिख दी थी एनडीए की जीत की कहानी?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर है और मतगणना के शुरुआती रुझानों में महागठबंधन गहरे अंतर से पीछे खिसकता दिखाई दे रहा है, जबकि एनडीए एक बार फिर सत्ता की कुर्सी पर अपनी पकड़ मजबूत करता दिख रहा है। लेकिन जिस तरह के आरोप विपक्ष की तरफ से उठ रहे हैं, उसने पूरे चुनाव को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने बिहार विधानसभा की चुनाव की मतगणना के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उन्हें ही एनडीए की जीत का असली हीरो बताया जा रहा है। तो क्या सच में ज्ञानेश कुमार ने एनडीए की जीत की कहानी लिखी है और इसको लेकर विपक्ष का क्या कहना है सब बताएंगे आपको इस वीडियो में।

अब देखिए जो भी रुझान अब तक सामने आया है उससे एक बात तो साफ हो गई है कि नीतीश कुमार एक बार फिर सब पर भारी पड़ रहे हैं। लेकिन इन नतीजों ने सारे विशलेषकों भी चौंका दिया। क्योंकि जिस तरीके से चुनावों के दौरान सरकार के खिलाफ नाराजगी देखने को मिल रही थी वैसा कुछ भी नतीजों में अब तक नहीं दिखाई दिया है। ऐसे में कई लोग सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसे कैसे हो गया। इस बीच कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग पर एनडीए की मदद करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस पार्टी का साफ कहना है कि बिहार में जो कुछ हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग और एसआईआर की संदिग्ध गतिविधियों पर है। मतगणना के बीच ही कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर सीधे निशाना साध दिया है। विपक्ष के नेताओं का आरोप है कि ज्ञानेश कुमार ही असल में एनडीए की जीत के निर्माता हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एएनआई से बात करते हुए तंज कसते हुए क्या कहा है कि इस मुकाबले में ज्ञानेश कुमार की ‘बढ़त’ बिहार की जनता की बढ़त पर भारी पड़ गई है।

पवन खेड़ा ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेता उदित राज भी खुलकर सामने आए और उन्होंने बिहार चुनाव में महागठबंधन की गिरती स्थिति के लिए सीधे चुनाव आयोग और एसआईआर को दोषी ठहराया। उदित राज ने कहा कि पूरे चुनाव में ईमानदार प्रक्रिया का अभाव दिख रहा था और आज के नतीजे उसी की पुष्टि कर रहे हैं।

आप सांसद संजय सिंह ने शुरुआती रुझान देखते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस चुनाव को हाईजैक कर लिया गया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो हो रहा है, उसका कोई लोकतांत्रिक मतलब ही नहीं बचा है।

अब जैसा कि संजय सिंह कह रहे हैं कि विपक्ष ने हार के बाद नहीं बल्कि चुनाव शुरू होने से काफी टाइम पहले से ही चुनाव आयोग के कामकाज को लेकर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया था। विपक्ष लंबे समय से एसआईआर के खिलाफ आंदोलन खड़ा करता रहा है। बिहार चुनाव शुरू होने से पहले ही विपक्षी दलों ने खुलकर कहा था कि चुनाव आयोग की कई प्रक्रियाएं पारदर्शी नहीं हैं और एसआईआर की भूमिका संदेह के घेरे में है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तो सीधे यह आरोप लगाया था कि वोटों की चोरी संगठित तरीके से हो रही है और बिहार में भी वही खेल दोहराया जाएगा जो महाराष्ट्र और हरियाणा में हुआ।

उस समय कई लोगों ने इसे राजनीतिक बयानबाज़ी समझा, लेकिन आज के रुझानों के सामने वही आरोप फिर से चर्चा में लौट आए हैं। सोशल मीडिया पर भी बहस तेज है। कई पोस्ट और चर्चाओं में दावा किया जा रहा है कि ज्ञानेश कुमार ही एनडीए की जीत के असली हीरो हैं। एक तरफ मतगणना चल रही है, दूसरी तरफ पूरा डिजिटल स्पेस आरोपों से भरा हुआ है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आख़िर क्यों हर बार सत्ता पक्ष को लाभ देने वाली परिस्थितियाँ ही बनती हैं? क्यों हर बार विपक्ष द्वारा उठाए गए प्रश्नों का जवाब कभी स्पष्ट रूप से नहीं दिया जाता? और क्यों चुनाव आयोग की कार्यवाही पर विश्वास लगातार कमजोर हो रहा है?

बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में विश्वास का संकट नई बात नहीं है, लेकिन इस बार का तनाव अलग है। विपक्ष के अनुसार, यह सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता का मामला है। विपक्षी दल यह भी कह रहे हैं कि चुनावी प्रक्रिया से जनता का भरोसा उठने लगा है, और इसका सबसे बड़ा कारण चुनाव आयोग की कार्यवाही में दिखती अस्पष्टता है। उनका कहना है कि जब जनता का वोट किसी दूसरे की जेब में चला जाए, तो फिर चुनाव का क्या अर्थ रह जाता है?

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