NDA की जीत के बाद भी बढ़ी BJP की टेंशन, सीएम फेस को लेकर मारामारी बरकरार!

दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली हार और NDA को मिली जीत को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है। एक तरफ जहां हारा हुआ महागठबंधन वोट चोरी और SIR जैसे मुद्दों को उठाते हुए ज्ञानेश कुमार को बधाइयां दे रहा है तो वहीं दूसरी तरफ NDA को मिली जीत के बाद भी चैन नहीं है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली हार और NDA को मिली जीत को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा हो रही है।

एक तरफ जहां हारा हुआ महागठबंधन वोट चोरी और SIR जैसे मुद्दों को उठाते हुए ज्ञानेश कुमार को बधाइयां दे रहा है तो वहीं दूसरी तरफ NDA को मिली जीत के बाद भी चैन नहीं है। क्योंकि NDA गठबंधन ने जीत भले हासिल कर ली हो लेकिन अब सवाल एक उठता जा रहा है कि आखिर सीएम कौन होगा? क्योंकि JDU से ज्यादा सीटें इस बार BJP की आई हैं। ऐसे में अब अंदर ही अंदर बात चल रही है कि कहीं भाजपा नीतीश के साथ भी वही महाराष्ट्र वाला खेला न कर दे यानी कि जैसे महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को हटाकर बीजेपी ने अपना सीएम बना दिया ठीक उसी तरह अब बिहार में भी बीजेपी नीतीश कुमार के साथ खेला कर देगी। खैर इन्ही कयासों और अटकलों को लेकर बीजेपी और JDU में सियासी बयानबाजी जारी है।

ऐसे में आपको बता दें कि बिहार में चुनावी नतीजों के बाद 2 सवाल सुर्खियों में है. पहला, अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और दूसरा नई सरकार किस तरह की होगी? बिहार का मुख्यमंत्री एनडीए की तरफ से कोई भी बने, लेकिन कैबिनेट की तस्वीर इस बार पूरी तरह बदली होगी. कैबिनेट में पहली बार 5 पार्टियों का प्रतिनिधित्व होगा. साथ ही बीजेपी कोटे के मंत्रियों की संख्या में भी इस बार कमी आ सकती है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि साल 2020 में एनडीए को 126 सीटों पर जीत मिली थी, जिसके बाद 3.5 विधायकों पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला सेट किया गया था. बिहार में अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस बार एनडीए को 202 सीटों पर जीत मिली है. इस हिसाब से इस बार 6 विधायक पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला सेट किया जा सकता है.

पिछली बार 3.5 विधायकों के फॉर्मूले के सहारे जेडीयू के 13, बीजेपी के 22 मंत्री कैबिनेट में थे. इस बार 6 विधायकों का फॉर्मूला अगर सेट होता है तो नई सरकार में जेडीयू के 15, बीजेपी के 16 और लोजपा (आर) के 3 मंत्री बनाए जा सकते हैं. उपेंद्र कुशवाहा और हम को भी एक-एक मंत्री पद मिलेगा. पोर्टफोलियों के बंटवारे में भी इस बार बदलाव देखने को मिल सकता है. पिछली बार बीजेपी को ज्यादा विभाग मिले थे. बीजेपी को करीब 26 विभाग दिए गए थे. जेडीयू कोटे के भी कुछ विभागों में फेरबदल हो सकता है. जेडीयू के पास पिछली कैबिनेट में गृह, इंटेलिजेंस, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, शिक्षा, भवन निर्माण और मद्य निषेध जैसे प्रमुख विभाग थे. इस बार एक या दो विभाग बदल सकते हैं.

नीतीश कैबिनेट के 2 मंत्री चुनाव हार गए हैं. सहरसा सीट से आलोक रंजन झा और चकाई से सुमीत सिंह एनडीए की लहर में चुनाव हार गए. यानी अब ये दोनों कैबिनेट में नहीं दिखेंगे. इसी तरह कुछ और मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है. बीजेपी के पास 6 विधायकों के फॉर्मूले सिर्फ 16 ही मंत्री पद आ सकते हैं. ऐसे में उसे 5 और मंत्रियों को हटाना ही होगा. साथ ही जेडीयू में कुछ मंत्रियों को बदला जा सकता है. नीतीश कुमार जब-जब मजबूत पॉजिशन में रहे हैं, तब-तब अपने साथ सिर्फ एक डिप्टी रखे हैं. 2020 में जब नीतीश कमजोर हुए तो बीजेपी ने उनके साथ 2 डिप्टी सीएम सेट कर दिया. इस बार बीजेपी और नीतीश दोनों मजबूत स्थिति में है. सवाल उठ रहा है कि आखिर इस बार सरकार में कितने डिप्टी सीएम होंगे? हालांकि न सिर्फ उपमुख्यमंत्री पद के लिए सवाल उठ रहे हैं बल्कि इससे बढ़कर सियासी गलियारों में सवाल ये हैं कि बिहार का अगला सीएम कौन होगा?

क्योंकि चुनाव भले ही NDA गठबंधन ने जीता हो लेकिन ज्यादा सीटें बीजेपी की हैं जिससे एक बात तो तय है कि बीजेपी नीतीश बाबू के साथ खेला कर सकती है। वहीं आपको बता दें कि बीजेपी के लिए अब अपना मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो रहा है। अगर वह चाहती है, तो कुछ ही विधायकों को जोड़कर सरकार बना सकती है। अगर बीजेपी ऐसा नहीं करती, तो यह सिर्फ गठबंधन धर्म निभाने के लिए होगा। चुनाव परिणामों के बाद यह साफ हो रहा है कि बीजेपी अब सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है, जबकि नीतीश कुमार को थोड़ा पीछे होते देखा जा रहा है। 2020 में जेडीयू भले ही मुख्य पार्टी बनी थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटों पर कब्जा किया है।

लेकिन इन सबके बीच दिलचस्प बात यह रही है कि जून 2025 में गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “बिहार का मुख्यमंत्री कौन होगा, यह वक्त तय करेगा, लेकिन हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे।” हालांकि, अक्टूबर में एक अन्य इंटरव्यू में शाह ने कहा था, “चुनाव के बाद सभी सहयोगी मिलकर विधायक दल का नेता चुनेंगे।” जब विवाद बढ़ा, तो शाह ने फिर से स्पष्ट किया कि “नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे और चुनाव जीतने के बाद भी वही रहेंगे।लेकिन अब तक के रुझान यह संकेत दे रहे हैं कि बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा पेश करने का मजबूत आधार हो सकता है। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस मौके का फायदा उठाती है या फिर गठबंधन धर्म को निभाते हुए नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखती है।

वहीं बात की जाए विपक्ष की तो विपक्ष NDA की इस जीत को मानने से इंकार कर रहा है। विपक्षी नेताओं ने तो बिहार के चुनावी नतीजों को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त को ही NDA की जीत की बधाई दे डाली। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा है। बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि अगर नतीजों के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार है, तो वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार चुनाव के नतीजे संकेत देते हैं कि राजग तीन-चौथाई बहुमत हासिल कर रहा है। अमित शाह पहले ही इसके बारे में बोल चुके हैं। अगर इस पूरे चुनाव परिणामों के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार है, तो वह ज्ञानेश कुमार हैं। इसके लिए उन्हें अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं।”

न सिर्फ भूपेश बघेल ने बल्कि अन्य कई नेताओं ने भी भाजपा और चुनाव आयोग को जमकर घेरा है इसी कड़ी में कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “देश में चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं और जब ऐसा होगा तो नतीजे इस तरह के अप्रत्याशित होंगे ही। बिहार चुनाव में BJP का स्ट्राइक रेट 90% से ज्यादा है। किसी ने इसकी उम्मीद नहीं की थी। दाल में कुछ तो काला है। हमने अपने गठबंधन सहयोगियों से बात की है, उनका मानना ​​है कि ये अप्रत्याशित नतीजे हैं और इनकी जांच होनी चाहिए। हमें बिहार भर के कार्यकर्ताओं से फ़ोन आ रहे हैं कि गड़बड़ी हुई है।” वहीं खुद की हार और NDA की जीत पर VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने भी बड़ा बयान दिया है।

गौरतलब है कि जिस तरह से चुनावी नतीज सामने आये हैं और विपक्ष सवाल उठा रहा है इस साफ़ होता है कि बिहार वोटिंग में कुछ न कुछ दाल में काला जरूर है। वहीं दूसरी तरफ NDA की जीत के बावजूद भी सीएम फेस को लेकर सियासी बवाल मचता हुआ दिखाई दे रहा है। अब देखना ये होगा कि आखिर NDA की तरफ से सीएम फेस कौन होगा और कौन NDA की तरफ से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा। अब ये तो आने वाले समय में पता चल ही जाएगा।

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