CM बनते ही नीतीश के साथ शिंदे मॅाडल की शुरूआत, गृह मंत्रालय छीना, NDA में बढ़ी तकरार
दोस्तों, बिहार चुनाव के रिजल्ट में जहां विपक्ष की ओर खेला होने के दावे किए जा रहे थे लेकिन अचानक इसके उलट नीतीश कुमार और जदयू के साथ बड़ा खेला हो गया है, और पीएम साहब के चाणक्य ने जो रातोंरात ललन सिंह और संजय झा को दिल्ली तलब किया था अब उसका पूरा खेल सामने आ चुका है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, बिहार चुनाव के रिजल्ट में जहां विपक्ष की ओर खेला होने के दावे किए जा रहे थे लेकिन अचानक इसके उलट नीतीश कुमार और जदयू के साथ बड़ा खेला हो गया है, और पीएम साहब के चाणक्य ने जो रातोंरात ललन सिंह और संजय झा को दिल्ली तलब किया था अब उसका पूरा खेल सामने आ चुका है।
आपको बता दें कि नीतीश कुमार सिर्फ सजावटी सीएम बने हैं। असल पावर बीजेपी के पास है और सारे प्रदेशों की तरह बिहार भी अब दिल्ली से ही चलेगा। क्योंकि जो आज शाम को विभागों की लिस्ट आई हैं, उसमें नीतीश कुमार झुंझुना पकड़ा दिया है। क्योंकि जितने भी अहम विभाग है वो कोई भी नीतीश और जदयू के पास नहीं है। ऐसे में चर्चा चल पड़ी है कि 10 बार के सीएम नीतीश कुमार और जदयू ने इतना अजीबो गरीब फैसला क्यों मान लिया या फिर नीतीश अंदरखाने में अभी भी अड़े हुए हैं क्योंकि लिस्ट पर नीतीश के विभाग का नाम नहीं दिख रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार पर ऑपरेशन लोट्स का खतरा था, या फिर पूरी जदयू बीजेपी हो गई है। पूरे मामले पर हम आगे अपनी इस रिपोर्ट में चर्चा करने वाले हैं।
दोस्तों बिहार चुनाव में कल नीतीश कुमार ने 10 वीं बार बिहार की कमान संभाली है और ये अंदाजा लगया जा रहा था कि नीतीश कुमार इस बार 85 सीट पाने के बाद बीजेपी से जमकर टक्क्र लेंगे लेकिन अदंरखाने का खेल कुछ और ही है। खबर सामने आई कि नीतीश कुमार से ज्यादा पॉवर फुल उनके डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी होंगे और पूरे प्रदेश में वही होगा जो सम्राट चाहेंगे यानि कि आप ये भी कह सकते हैं कि जो अमितशाह चाहेंगे। क्योंकि सरकार के सबसे ताकतवर विभाग सम्राट चौधरी के पास है।
यानि कि गृह विभाग के कैबिनेट मंत्री सम्राट चौधरी हैं और ऐसे में ये तय है कि सम्राट पूरी सत्ता पर काबिज रहेंगे बस नीतीश कुमार दिखावे के सीएम होंगे लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर कैसे और क्यों हुआ है। क्यों नीतीश कुमार को सिर्फ दिखावटी सीएम के तौर पर देखा जाने लगा है और जदयू की ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि जदयू ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।
दोस्तों आपको बता दें कि बिहार के दसवीं बार मुख्यमंत्री बने सीएम तीश कुमार ने शपथ ग्रहण के अगले दिन एनडीए सरकार में शामिल 26 कैबिनेट मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है। खबर निकल कर सामने आइ्र ळै है कि सीएम नीतीश ने पहली बार गृह मंत्रालय छोड़ दिया है। बीजेपी के डिप्टी सीएम बिहार के नए गृह मंत्री होंगे। दूसरे डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को भूमि राजस्व एवं खनन विभाग मिला है। नीतीश कैबिनेट में सीएम समेत बीजेपी के 14, जेडीयू के 9, चिराग पासवान की एलजेपी-आर के 2, जीतनराम मांझी की एचएएम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को 1 मंत्री पद मिला है।
चिराग पासवान की लोजपा-आर के दो मंत्रियों संजय पासवान गन्ना उद्योग विभाग और संजय सिंह को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण यानी पीएचईडी विभाग मिला है। जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन लघु जल संसाधन विभाग, जबकि उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश पंचायती विभाग के मंत्री बनाए गए हैं। बीजेपी के दिलीप जायसवाल नए उद्योग मंत्री होंगे। रामकृपाल यादव को कृषि मंत्री बनाया गया है। वहीं सीएम नीतीश कुमार के पास सामान्य प्रशासन, निगरानी, निर्वाचन और अन्य कुछ विभाग रखे जाने की बात आ रही है। आपको बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई सरकार के मंत्रियों के विभागों की लिस्ट राज्यपाल को सौंप दी थी। शुक्रवार शाम चार बजे वह राजभवन गए। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की। इसके बाद मंत्रियों के विभागों की लिस्ट उन्होंने राज्यपाल को सौंप दी।
अब राजभवन ने मंत्रियों से विभाग की सूची जारी कर दी। पिछले 24 घंटे से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेता इस पर विमर्श कर रहे थे। आज भी पूरे दिन एनडीए के नेताओं के साथ सीएम नीतीश ने मंथन किया। इसके बाद सम्राट चौधरी ने भाजपा के मंत्रियों के विभागों की लिस्ट सीएम नीतीश कुमार को सौंपी। कुछ विभागों पर पेंच फंसा था लेकिन आखिर में सीएम नीतीश कुमार ने विभाग आवंटन पर मुहर लगा दिया। प कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी से राजभवन के बीच भाजपा और तीनों छोटे दलों की सूची कहीं से लीक हो गई। इस सूची की कैबिनेट विभाग ने पुष्टि नहीं की है। इसमें किसी का हस्ताक्षर भी नहीं है लेकिन बहुत से लोगों की ओर से दावा किया रहा है कि यही सूची फाइनल है। लेकिन इस बीच एनडीए में भयंकर सिर फुटव्वल देखने को मिल रही है लेकिन अगर ये सूची फाइनल है तो समझिए कि जदयू और नीतीश कुमार के साथ गेम हो गया है।
क्योंकि अगर यह सूची फाइनल है तो नीतीश के माने इस सरकार में कुछ नहीं होगा और वो बस पीएम साहब के पैर छुए और जब अमित शाह बिहार आएं तो उनसे बंद कमरे में जाकर मुलाकात करें। यानि नीतीश कुमार का पूरा शिंदे वाला हाल होना तय है। आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले तक ये चर्चा बिहार में खूब थी और बातचीत भी एक मीडिया ग्रुप ने वायरल की थी कि जैसे ही अमितशाह महाराष्ट्र पहुंचते थे तो तुरंत ही एकनाथ शिंदे शिकायतों का पुलिंदा लेकर उनके पास पहुंच जाते थे और हर बार उनको एक नया लॉलीपाप देकर अमितशाह वापस चले जाते थे और अब शायद यही काम नीतीश कुमार के साथ भी होना तय बताया जा रहा हैं क्योंकि जिसके पास गृह और तमाम बड़े विभाग होंगे वहीं सबकुछ संचालित करेगा।
ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर ये लिस्ट सही है तो नीतीश कुमार ने ऐसा क्यों किया, क्या नीतीश कुमार, ललन सिंह और संजय झा के पास इतनी समझ नहीं है कि गृह और प्रशासन दोनों विभाग बहुत ही अहम है। 50-50 साल से राजनीति करने वाले लोग ऐसा फैसला कैसे ले सकते है। ऐसे में एक बात साफ है कि अंदरखाने में कुछ न कुछ तो बहुत गड़बड़ चल रही है और वो ये है कि क्या जदयू को ऑपरेशन लोट्स का खतरा सताने लगा है। क्या सिर्फ चार सीटें कम जीतने वाली पार्टी को गृह, स्वास्थ्य, नगर विकास, पीडब्ल्यूडी और ज्यादातर बड़े विभाग कैसे कोई दे सकता है। सवाल यह भी है कि जब ललन सिंह और संजय झा रातोंरात बात करने दिल्ली गए थे तो कौन सी बात करके आए थे।
क्या ये वही बात थी कि सारे बड़े और जनता से जुड़े विभाग बीजेपी के पास होंगे। हालांकि इतना जरुर सस्पेंस बनाया हुआ है कि जो सूची इंटरनेट और मीडिया में चल रही है उसमें नीतीश के विभाग के सामने कुछ नहीं है लिखा हुआ आ रहा है। कुछ दावा यह भी किया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने गृह सम्राट चौधरी के पास जाते ही भड़क उठे हैं, उन्होंने सूची कैंसिल कर दी है और इसके बाद पटना से दिल्ली तक हड़कंप मचा गया है। और राजभवन से लेकर सीएम आवास तक मोबाइल बजने शुरु हो गए हैं और हर ओर चर्चाओं का बाजार एक बार फिर से गरम हो गया है और कहा जा रहा है कि थोड़ी देर में दूसरी सूची आ सकती है जिसमें नीतीश कुमार के विभाग का नाम अंकित हो सकता है लेकिन गृह तो सम्राट के पास ही रहेगा और अगर ऐसा है तो ये बात भी लगभग तय है कि सम्राट चौधरी इस सरकार में नीतीश कुमार से भी ज्यादा ताकतवर होने वाले हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि चाणक्य ने अपनी चाणक्यगिरी खेल दी है। एक ओर जहां महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को गृह विभाग देने से मना कर दिया था तो अब जब बिहार में अपनी सरकार बनी तो नीतीश कुमार से 20 साल पर गृह विभाग छीन लिया है। आपको बता दें कि दो दिनों से मीडिया में यशवंत सिन्हा का एक बयान चल रहा था कि नीतीश कुमार सिर्फ कुछ दिन के सीएम हैं लेकिन अब जो हालत जदयू की दिखाई दे रही है उसमें यह कहना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है कि जदयू पार्टी ही कुछ दिन की हैै, क्योंकि अगर मान भी लिया जाए कि नीतीश कुमार सच में कोई बड़ा फैसला लेने की हालत में नहीं है तो जदयू पार्टी के और नेता क्या कर रहे हैं। क्या उनको ये नहीं दिख रहा है कि सिर्फ और सिर्फ चार सीटें ज्यादा पाने वाली पार्टी के पास सबकुछ यानि कि सारे बड़े विभाग होंगे । या फिर ये पूरी पार्टी ही पीएम साहब के चाणक्य जी से डरी हुई है।
खैर कुछ भी हो लेकिन एक बात तो साफ है कि अंदरखाने में सबकुछ ठीक नहीं है और कहीं न कहीं यशवंत सिन्हा जी के दावों में सच्चाई दिखनी शुरु हो गई कि नीतीश कुछ दिन के सीएम है। क्योंकि बीजेपी का पिछले 11 सालों का इतिहास रहा है कि वो किसी की सगी साबित नहीं हुई और नीतीश के साथ जो खेल सीएम बनने के बाद हो गया है, ऐसे में साफ है कि वो नीतीश की भी सगी नहीं है। और ललन सिंह और संजय झा जो रातों रात दिल्ली बात करने गए थे, क्या यही समझौता करके आए थे, उनकी भी भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध दिखाई देने लगी है।
पूरे मामले पर आपको क्या मानना है, क्या जो लिस्ट सोशल मीडिया पर तैर रही है क्या वो सही है। और अगर ये लिस्ट सही है तो क्या नीतीश कुमार के साथ बड़ा गेम नहीं हो गया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश और जदयू ऑपरेशन लोट्स से डरी हुई हो। कहीं ऐसा तो नहीं कि नीतीश कुमार और जदयू पर कोई दूसरा बड़ा प्रेशर हो। क्योंकि कोई भी सीएम कभी भी गृह मंत्रालय आसानी से नहीं छोडता, इसकी जीती जागती मिसाल महाराष्ट्र में खुद फडणवीस हैं।



