सर्द हवाओं में उम्मीद की डोर, UAE ने गाजा भेजी भारी मानवीय सहायता

गाज़ा एक छोटा सा इलाका , जो भूमध्य सागर के किनारे बसा हुआ है। यह फिलिस्तीन का ही हिस्सा है, लेकिन पिछले कई सालों से यहां बहुत मुश्किलें हैं। 2023 में एक बड़ा संघर्ष शुरू हुआ था,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: नमस्कार दोस्तों 4PM मिडिल ईस्ट में आपका इस्तकबाल है। 4PM के इस चैनल पर हम आपके लिए लेकर आते हैं खाड़ी देशों से जुड़ी जरूरी जानकारी और रोचक कहानियां। साथ ही यहां हम दुनिया तमाम बड़ी खबरों को आपके समाने पेश करते हैं।

इसी कड़ी में आज हम आपके सामने बात करने वाले हैं एक ऐसी खबर की जिसकी दुनियाभर में चर्चा हो रही है। जी हाँ दोस्तों जब हम अपने घरों में गर्म कंबल ओढ़कर चाय पी रहे होते हैं, उसी वक़्त हजारों किलोमीटर दूर गाज़ा पट्टी में लाखों लोग, माइनस डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। दिसंबर का महीना शुरू होते ही वहाँ की रातें जानलेवा हो जाती हैं। प्लास्टिक की टूटी हुई शीटें, फटे हुए तंबू, और बच्चे जो ठंड से नीले पड़ चुके हैं। ऐसे में एक उम्मीद की किरण बनकर आया संयुक्त अरब अमीरात का सबसे बड़ा सर्दी सहायता अभियान…195 टन राहत सामग्री… 15 ट्रकों में लदकर… 2250 नए गर्म तंबू… जो पिछले कुछ दिनों में गाज़ा पहुँच चुके हैं और बँट चुके हैं।

गाज़ा एक छोटा सा इलाका , जो भूमध्य सागर के किनारे बसा हुआ है। यह फिलिस्तीन का ही हिस्सा है, लेकिन पिछले कई सालों से यहां बहुत मुश्किलें हैं। 2023 में एक बड़ा संघर्ष शुरू हुआ था, जिसमें इज़राइल और हमास के बीच लड़ाई हुई। इस लड़ाई ने गाज़ा को तबाह कर दिया। घर उजड़ गए, स्कूल ध्वस्त हो गए, अस्पताल बंद हो गए। लाखों लोग बेघर हो गए। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, गाज़ा की 66 प्रतिशत इमारतें खराब या नष्ट हो चुकी हैं। आज, नवंबर में, युद्धविराम हो चुका है, लेकिन जिंदगी अभी भी कठिन है।

खासकर अब जब सर्दी आ गई है। ठंडी हवाएं, तेज बारिश और बर्फीली रातें लोगों को और परेशान कर रही हैं। ऐसे में, संयुक्त अरब अमीरात ने एक बड़ा मानवीय अभियान चलाया है। उन्होंने 195 टन सहायता सामग्री भेजी, जिसमें 2250 टेंट शामिल हैं। ये 15 ट्रकों से गाज़ा पहुंचे। यह अभियान ‘ऑपरेशन चिवलरस नाइट 3’ का हिस्सा है। इस वीडियो में हम इन्ही सब पहलुओं से जुडी बातें आपके साथ साझा करेंगे।

सर्दी गाज़ा के लिए हमेशा मुश्किल रही है, लेकिन इस बार यह और भयानक है। फर्ज कीजिए, आपका घर न हो। आप खुले आसमान के नीचे टेंट में रहते हों। दिन में धूप तो रात में ठंड। गाज़ा में सर्दियां दिसंबर से फरवरी तक चलती हैं। तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, कभी तो 0 के आसपास। तेज हवाएं चलती हैं, जो 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आती हैं। बारिश होती है, जो टेंटों को भिगो देती है। नवंबर 2025 में ही पहली बारिश ने हजारों टेंटों को बहा दिया।

संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय ने बताया कि 15 नवंबर को हुई बारिश से 13,000 परिवारों के घर प्रभावित हुए। पानी भर गया, कीचड़ हो गया। बच्चे, बूढ़े, औरतें – सब ठंड से कांप रहे हैं। गाज़ा में करीब 20 लाख लोग रहते हैं। इनमें से 15 लाख बेघर हैं। वे टेंटों या अस्थायी झोपड़ियों में रहते हैं। लेकिन ये टेंट पुराने हैं। युद्ध के दौरान ये फट गए, खराब हो गए। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि सर्दी आने से पहले पर्याप्त टेंट, कंबल और हीटिंग सामग्री नहीं पहुंची।

वहीं रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2025 से 50,000 टेंट गाज़ा पहुंचे, लेकिन सिर्फ 14 हजार वितरित हुए। बाकी अभी भी रास्ते में अटके हैं। इज़राइल की ओर से लगे सीमा नियंत्रण के कारण सहायता ट्रक अंदर घुसते ही लूट लिए जाते थे। युद्धविराम के बाद चोरी कम हुई, लेकिन अभी भी समस्या है।लोगों की जिंदगी अब बस गुजारा है। युद्ध के दौरान भुखमरी फैली थी। अगस्त 2025 में उत्तरी गाज़ा में अकाल घोषित हुआ। अब युद्धविराम है, लेकिन भोजन की कीमतें अभी भी ऊंची हैं। चावल, आटा, चीनी – सब महंगा।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, रोजाना सैकड़ों ट्रक सहायता आनी चाहिए, लेकिन औसतन 200-300 ही आते हैं। सर्दी ने सब कुछ और बिगाड़ दिया। टेंटों में पानी टपकता है, हवा घुसती है। लोग आग जलाकर गर्म रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन लकड़ी कहां? रूबल से इकट्ठा करते हैं, जो खतरनाक है। धुआं से सांस लेना मुश्किल।महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया कि 80 प्रतिशत आबादी महिला और बच्चे हैं। वे ठंड में कांपती हैं, भूखी सोती हैं। स्कूल बंद हैं, इसलिए बच्चे खेल भी नहीं पाते।

मानसिक तनाव बढ़ा है। लोग डरते हैं कि सर्दी बीत जाएगी या नहीं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, “बारिश ने टेंट कैंपों को कीचड़ का समंदर बना दिया।” गाज़ा के दक्षिणी हिस्से, जैसे राफाह और देयर अल-बलाह में स्थिति सबसे खराब है। यहां लाखों विस्थापित हैं। वे इंतजार करते हैं – सहायता का, शांति का। लेकिन सर्दी इंतजार नहीं करती।

ऐसे मुश्किलों भरे दौर में यूएई ने हाथ बढ़ाया। यूएई एक छोटा देश है, लेकिन बड़ा दिल वाला। यह अरब दुनिया का अमीर देश है, लेकिन हमेशा गरीबों की मदद करता है। गाज़ा संकट शुरू होने से ही यूएई सक्रिय है। उन्होंने ‘ऑपरेशन चिवलरस नाइट 3’ शुरू किया। यह ऑपरेशन 2024 में लॉन्च हुआ। इसका मतलब है ‘शूरवीर घुड़सवार का ऑपरेशन’। यह यूएई की तीसरी बड़ी सहायता योजना है। अब तक, इस ऑपरेशन ने गाज़ा को 20,000 से ज्यादा टेंट दिए हैं। साथ ही, भोजन, दवा, और राहत सामग्री भेजी।

कुल मिलाकर, यूएई ने 2023 से 2025 तक 65 हजार टन से ज्यादा सहायता भेजी, जिसकी कीमत 12 अरब डॉलर है। वे दुनिया की कुल सहायता का 42 प्रतिशत देते हैं।नवंबर 2025 में सर्दी की मार बढ़ी तो यूएई ने तेजी दिखाई। 23 नवंबर को उनका 249वां काफिला गाज़ा पहुंचा। यह 15 ट्रकों का काफिला था। इसमें 195 टन से ज्यादा सामग्री लदी थी। मुख्य चीज थी – 2250 टेंट। ये टेंट मजबूत हैं, जो ठंड और बारिश से बचाते हैं। प्रत्येक टेंट एक परिवार के लिए काफी है।

ये मिस्र के अल-अरिश शहर से गुजरे। अल-अरिश यूएई का लॉजिस्टिक सेंटर है। यहां सहायता इकट्ठा होती है, स्टोर होती है, और ट्रकों में लादी जाती है। फहद सालेह अल-हरثی, जो यूएई की गाज़ा सहायता टीम के प्रमुख हैं, ने कहा, “हम नियमित काफिले भेजते हैं ताकि सहायता रुके नहीं। गाज़ा के लोग हर तरह की मदद के हकदार हैं।”यह काफिला ‘चिवलरस नाइट 3’ का हिस्सा था। यूएई ने भूमि और समुद्री रास्तों से सहायता भेजी। वे हवाई मार्ग से भी 60 से ज्यादा एयरड्रॉप कर चुके हैं, जिसमें 3800 टन सामग्री गिरी। एक बार तो सबसे बड़ा जहाज, 7 हजार टन सहायता लेकर भेजा। इज़राइल के साथ सहयोग से ये सब संभव हुआ।

अब्राहम समझौते के तहत दोनों देश मिलकर काम करते हैं। गाज़ा के कैंसर मरीजों को यूएई के अस्पतालों में इलाज मिला। यूएई ने युवाओं को भी शामिल किया। ‘यूथ सोशल मिशन्स प्रोग्राम’ के तहत अमीराती युवा अल-अरिश में काम करते हैं। हाल ही में दूसरा बैच पूरा हुआ। खालिद मोहम्मद अल-नुऐमी ने उन्हें सम्मानित किया। यह अभियान सिर्फ टेंट तक सीमित नहीं। काफिले में कंबल, प्लास्टिक शीट, हीटिंग उपकरण भी थे। ये सर्दी से लड़ने के लिए जरूरी हैं। वितरण कैसे हुआ? ट्रक गाज़ा की सीमा पार करते ही स्थानीय संगठनों को सौंप दिए गए। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रिसेंट, और फिलिस्तीनी ग्रुप्स ने इन्हें विस्थापित परिवारों तक पहुंचाया। प्राथमिकता बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को। एक रिपोर्ट में कहा गया कि ये 2250 टेंट 10 हजार से ज्यादा लोगों को आश्रय देंगे। यूएई ने कहा, “यह हमारी लगातार प्रतिबद्धता है। गाज़ा के भाइयों के दर्द को कम करना हमारा फर्ज है।”

‘ऑपरेशन चिवलरस नाइट 3’ यूएई की सबसे बड़ी मानवीय मिशन है। यह 2024 के मध्य में शुरू हुआ। पहले दो ऑपरेशन भी गाज़ा के लिए थे। तीसरा सबसे बड़ा है। इसका लक्ष्य है गाज़ा को भोजन, दवा, आश्रय और राहत देना। यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद ने इसे मंजूरी दी। विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, और एमिरेट्स रेड क्रिसेंट इसमें शामिल हैं। अब तक 249 काफिले भेजे गए। प्रत्येक में औसतन 100-200 टन सामग्री। कुल 20 हजार टेंट, लाखों भोजन पैकेट, हजारों दवा की खेप।

तो आइये दोस्तों बात करते हैं ये टेंट पहुंचने से क्या बदला? पहले, बारिश में लोग सड़कों पर थे। अब, 2250 परिवारों को नया आश्रय मिला। एक महिला ने कहा, “टेंट मजबूत है, पानी नहीं टपकता। बच्चे गर्म रहेंगे।” वितरण पूरा हो गया। 15 ट्रकों ने सामग्री बांटी। उत्तरी गाज़ा, जहां अकाल था, को प्राथमिकता। संयुक्त राष्ट्र ने सराहना की। यूएई ने वादा किया – और काफिले आएंगे।लोगों का मनोबल बढ़ा। बच्चे टेंटों में खेलने लगे। महिलाएं खाना बनाने लगीं। डॉक्टरों ने दवाएं बांटीं। एक पोस्ट में लिखा, “यूएई की मदद से गाज़ा में शांति की उम्मीद।” लेकिन चुनौतियां बाकी। चोरी अभी भी होती है। बारिश जारी है। फिर भी, यह कदम बड़ा है।

यूएई अकेला नहीं। कतर ने 4 लाख से ज्यादा लोगों के लिए टेंट भेजे। मिस्र ने एयरड्रॉप में मदद की। जॉर्डन ने लैंड ब्रिज बनाया। संयुक्त राष्ट्र, यूएनआरडब्ल्यूए, रेड क्रॉस सक्रिय। इज़राइल ने युद्धविराम के बाद ट्रक बढ़ाए – रोज 900 ट्रक। लेकिन एजेंसियां कहती हैं, “अभी कम है।” सर्दी अभी जारी है। फरवरी तक खतरा। गाज़ा को पुनर्निर्माण चाहिए। घर, स्कूल, अस्पताल। शांति स्थायी हो। यूएई ने कहा, “हम जारी रखेंगे।” युवा कार्यक्रम से नई पीढ़ी तैयार हो रही। वैश्विक स्तर पर, दान बढ़े।

लोग सोशल मीडिया पर जागरूक हो रहे। एक पोस्ट: “यूएई ने 828 मिलियन डॉलर दिए।” उम्मीद है, सर्दी बीतेगी, गर्मी लाएगी। गाज़ा फिर हरा-भरा होगा। गाज़ा की सर्दी की मार दर्दनाक है, लेकिन यूएई का अभियान एक मिसाल। 195 टन, 2250 टेंट, 15 ट्रक – यह सिर्फ आंकड़े नहीं, जिंदगियां हैं। ‘चिवलरस नाइट 3’ ने दिखाया कि मदद से दूरी मिटती है। यूएई की तरह, हम सब मिलकर काम करें। गाज़ा के लोग मजबूत हैं। वे सर्दी झेलेंगे, बस थोड़ी सी मदद चाहिए।

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