SIR को लेकर UP में दो मौतें, ममता ने कर दिया सड़क पर उतरने का ऐलान, SC का नोटिस जारी

बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में एक साथ एसआईआर हो रहा है और जिस तरीके से बिहार रिजल्ट आया है, उसके बाद तो पूरे देश में एसआईआर को लेकर कोहराम मच गया है । एक ओर जहां 12 राज्यों के लोग अपने वोट बचाने के लिए जूझ रहे हैं

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, देश में एसआईआर को लेकर ज्ञानेश कुमार जी बुरा फंस गए हैं। एक ओर जहां बीएलओ की मौतों का सिलसिला केरल, पश्चिम बंगाल से होता हुआ उत्तर प्रदेश तक पहुंच गया है और एक ही दिन में दो बीएलओ की मौत की खबरें आई हैं ।

तो वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी ने सड़क पर उतर पड़ी हैं। हालांकि इस सबके बीच बड़ी खबर निकल कर सामने आई है कि एक नहीं दो दो जगहों पर एसआईआर में बड़ा घोटाला पकड़ा गया है जो ये साबित कर रहा है कि दाल में कुछ काला ही नहीं पूरी दाल ही काली हो सकती है। ऐसे में एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक्शन में है और न सिर्फ ज्ञानेश कुमार के विभाग को नोटिस जारी किया है बल्कि फाइनल सुनवाई भी शुरु कर चुका है। कैसे एक नहीं दो दो जगह पर एसआईआर में बड़ा खेल पकड़ा गया है और कैसे पूरे मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट एक्शन में ये हम आपको आगे अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताएंगे।

दोस्तों , बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में एक साथ एसआईआर हो रहा है और जिस तरीके से बिहार रिजल्ट आया है, उसके बाद तो पूरे देश में एसआईआर को लेकर कोहराम मच गया है । एक ओर जहां 12 राज्यों के लोग अपने वोट बचाने के लिए जूझ रहे हैं तो वहीं बीएलओज पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा है। सोशल मीडिया पर पर लिस्ट वायरल है उसमें दावा किया जा रहा है अब तक एसआईआर की वजह से अलग-अलग प्रदेशों में 22 मौतें हुई हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के गोंडा और फतेहपुर से सामने आया जहां दो अलग अगल मामलों में बीएलओज के आत्महत्या किए जाने का मामला सामने आया है।

सुना आपने कि बीएलओ ने छुट्टी ली थी और अधिकारी ने उनकी छुट्टी कैंसिल कर दी और कानूनगो ने उनको घर पर आकर हड़काया, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। गोंडा के विपिन यादव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, उन्होंने भी बीडीओ और लेखपाल की दबाव की वजह से जहर खाया। ऐसे में कहानी साफ है कि कहीं न कहीं बीएलओ पर भयंकर दवाब है, आपको बता दें कि कोई व्यक्ति इतना भी कमजोर नहीं होता है कि थोड़ा सा प्रेशर की वजह से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ले लेकिन दबाव भयंकर है, इस वजह से 12 राज्यों से आत्महत्या की खबरें आ रही है। आपको बता दें कि एक दो आदमी झूठ बोल सकता है।

देश के 22 परिवार के लोग एक साथ कैसे झूठ बोल सकते हैं। सब मिलाकर यह बात शीशे की तरह साफ है कि बीएलओ पर दबाव है और आत्महत्या की यही वजह भी है लेकिन ज्ञानेश जी और उनका विभाग कहीं से जागता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है, इसके उलट बीएलओ पर अनावशयक प्रेशर बनाया जा रहा है और उनको 16-16 घंटे काम करने पर मजबूर किया जा रहा है। हालांकि ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और इस पर न सिर्फ ज्ञानेश जी के विभाग को नोटिस जारी हुआ है बल्कि इस पर फाइनल सुनवाई भी शुरु हो गई है।

क्योंकि बीएलओ की मौत एक बहुत बड़ा मामला है, ज्ञानेश जी भले से ही इसको बहुत छोटी घटना मान रहे हों लेकिन मानवीय दृष्टि से ये बहुत बड़ा मामला है और केरल में हुई बीएलओ की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर रहा है और अगर ये फैसला केरल सरकार के पक्ष में आया तो इसका असर 12 राज्यों के एसआईआर पर होगा। आपको बता दें कि कल यानि कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट एसआईआर की संवैधानिकता पर सुनवाई करने जा रहा हैं। ऐसे में ज्ञानेश कुमार जी और उनका विभाग दोनों ओर से फंसा हुआ है, एक ओर जहां मौतों की सिलसिला जारी है और बीएलओ के बिना ट्रेनिंग और जानकारी के बीएलओ बना दिया गया है तो वहीं दूसरी ओर उनकी मौतें बहुत ही बड़ा जंजाल ज्ञानेश कुमार जी के लिए बन सकती है। हालांकि इस बीच एक बड़ा धमाका और भी हुआ है।

आपको बता दें कि एसआईआर को लेकर राहुल गांधी हां या फिर विपक्ष हर ओर से ज्ञानेश कुमार पर आरोप लगता रहा है कि ये बीजेपी की बी टीम के रुप में कार्य करते हैं और एसआईआर सिर्फ और सिर्फ बीजेपी को पूरे देश में जिताने के लिए किया जा रहा है। हालांकि ये आरोप राहुल गांधी और विपक्ष का कहीं न कहीं सही होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि मध्य प्रदेश के दतिया जिले में कल चार ऐसे नाम सहायक बीएलओ की लिस्ट में पकड़े गए हैं जो सरेआम ये बता रहे हैं कि ये बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता हैं , हालांकि इस नामों की पुष्टि के बाद चुनाव अयोग ने इस चारों नामों को अपने बीएलओ सहायक की लिस्ट से निकाल दिया है लेकिन फिर भी ये ये बात पूरी तरह से साबित हो गई है कि एसआईआर के नाम पर कहीं न कहीं बहुत बड़ा खेल चल रहा है।

आपको बता दें कि पूरा मामला मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पकड़ा है और उसके बाद ही चुनाव आयोग ने अपनी गलती मानते हुए सहायक बीएलओ की लिस्ट से बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं के नाम हटाए हैं। साथ ही पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी ने भी एक बड़ा खुलासा किया है कि प्रदेश के एसआईआर में जितने ऑपरेटर और साफ्टवेयर इंजीनियर लगाए गए हैं , ये ज्ञानेश जी के अपने आदमी है, और यही वो लोग है जो एसआईआर फार्म को अपलोड करने और वोट बढ़ाने-घटाने को लेकर सारे फैसले ले रहे हैं । ऐसे में बड़ा सवाल है कि कहीं न कहीं पूरी एसआईआर प्रक्रिया सवालों के घेरे में दिखाई दे रही है और इसको लेकर आंदोलन का दौर शुरु होने जा रहा है। पश्चिम बंगाल मंे इसकी शुरुआत हो चुकी है। ममता बनर्जी ने सड़क पर उतर कर पूर देश में आंदालन का बिगुल बजाने की चेतावनी दी है।

ममता बनर्जी का कहना है कि – अगर मुझे पर हमला करने की कोशिश की गई, तो पूरे देश में बीजेपी की नींव हिला दूंगी.। साथ ही दावा किया है कि एसआईआर प्रक्रिया को लेकर राज्य में अब तक 35-36 लोगों की मौतें हो चुकी हैं, जिनमें कई आत्महत्याएं भी शामिल हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी हाल में एसआईआर के डर से अपनी जान न दें और आश्वस्त किया कि कोई भी असली मतदाता लिस्ट से नहीं हटेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एसआईआर को सिर्फ दो महीनों में खत्म कराना चाहता है, जबकि 2002 में यह प्रक्रिया तीन साल चली थी। ममता ने आयोग को ‘बीजेपी कमिशन’ बताते हुए कहा कि वह ‘दिल्ली से मिले निर्देशों’ पर काम कर रहा है।

ऐसे में पूरे देश में एसआईआर को लेकर हंगामा मचा हुआ है। एक ओर जहां विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है और सड़कों पर उतने की तैयारी में जुटा है तो वहीं दूसरी ओर मौतों और खासकर आत्म हत्याओं की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं । ऐसे में 12 राज्यों में एसआईआर को लेकर अजब गजब स्थिति है। आपको बात दें कि एसआईआर को लेकर राहुल गांधी और पार्टी भी बड़ी तैयारी में है। अगले हफ्ते एसआईआर न कराने के 5 करोड़ शपथ पत्र के साथ रामलीला मैदान में प्रदर्शन करने वाले हैं और ये श्पथ पत्र राष्ट्रपति को सौंपकर उनके अपील करेंगे कि एसआईआर पर रोक लगाई जाए और ऐसा न होने के बाद कांग्रेस के लोग सड़को पर उतरेंगे।

ऐसे में जब एक दिसंबर से संसद के शीतकालीन सत्र का आगाज होना है और देश में एसआईआर को लेकर जो स्थिति है तो ऐसे में ये बात तय है कि सड़क से लेकर संसद तक एसआईआर का मुद्दा गूंजने वाला है। आपको बता दें कि ये मामला पूरे देश में बहुत बड़ा आंदोलन शुरु कर सकता है। और अगर ऐसा होता है कि ता कहीं न कहीं ज्ञानेश जी बुरा फंस सकते हैं। पूरे मामले पर आपकी क्या राय है। जिस तरह से यूपी में दो आत्महत्याओं का मामला आया है, और सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई चल रही है क्या सुप्रीम कोर्ट इस पर तुंरत और बड़ा एक्शन लेगा। क्या एसआईआर प्रक्रिया को रोका जाना चाहिए। एसआईआर में बीएलओ के उपर दबाव बनाया जाना कितना सही है। क्या ज्ञानेश कुमार जी के विभाग को बीएलओ को पूरी ट्रेनिंग नहीं दी जानी चाहिए थी।

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