मोदी के बाद ज्ञानेश ने ममता के सामने मानी हार? बंगाल में SIR कराना सबसे बड़ी भूल!

पश्चिम बंगाल की सियासत में इन दिनों एक बंद कमरे में हुई मीटिंग को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मीटिंग के बारे में सरकार और चुनाव आयोग, दोनों की बयानबाज़ी में ज़मीन-आसमान का फर्क दिखाई दे रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: पश्चिम बंगाल की सियासत में इन दिनों एक बंद कमरे में हुई मीटिंग को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मीटिंग के बारे में सरकार और चुनाव आयोग, दोनों की बयानबाज़ी में ज़मीन-आसमान का फर्क दिखाई दे रहा है।

इसी दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर तृणमूल कांग्रेस ने सीधा हमला बोला है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी का आरोप है कि आयोग सच्चाई छुपा रहा है। टीएमसी के नेता और ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर चुनाव आयोग सच बोल रहा है, तो उस मीटिंग की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करे। दरअसल, बंगाल चुनाव में पहले से ही टीएमसी और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है, लेकिन अब यह टकराव सीधे ज्ञानेश कुमार तक पहुँच गया है। टीएमसी का दावा है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है और इस मीटिंग में कुछ ऐसा हुआ है जिसे देश से छुपाया जा रहा है।

इसी वजह से अब यह विवाद बेहद संवेदनशील और राजनीतिक रूप से गर्म होता जा रहा है।इसको साथ ही TMC सांसदों ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि ‘चुनाव आयोग के हाथ खून से रंगे हैं’। तो आखिर बंद कमरे में वो कौन-सी मीटिंग हुई, जिसकी जानकारी दोनों पक्ष बिल्कुल अलग-अलग तरीके से दे रहे हैं? और वो कौन-सी सीसीटीवी फुटेज है जिसे जारी करने का चैलेंज ममता बनर्जी के भतीजे ने दे दिया है,

बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में SIR का काम चल रहा है। जिसको लेकर बीएलओज पर अधिक दबाव बनाया जा रहा है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने पश्चिम बंगाल में SIR के कार्यों को लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठियां लिखी थी और मिलने का समय मांगा था। जिसके बाद बीते दिन शुक्रवार को मीटिंग हुई जिसमें टीएमसी के पांच बड़े सांसदों ने ज्ञानेश कुमार से मुलाकात की। इन सांसदों में महुआ मोइत्रा और डेरेक ओब्राइन जैसे सांसद भी शामिल थे। सांसदों और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बीच करीब 2 घंटे तक मुलाकात चली।

मीटिंग से बाहर आने के बाद टीएससी सांसद डेरेक ओ ब्रॉयन ने चुनाव आयोग पर हमला बोल दियै। उन्होंने प्रेस से बात करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने चीफ इलेक्शन कमिश्नर और उनकी टीम से मिलकर उनसे अपने सवाल रखे। उन्होंने बताया कि हमने सबसे पहले उन्हें SIR प्रोसेस की वजह से लगभग 40 मरे हुए लोगों की लिस्ट सौंपी। हमने मीटिंग यह कहकर शुरू की कि मिस्टर कुमार और इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के हाथ खून से रंगे हैं। उन्होंने बताया कि हमने पांच सवाल पूछे, किसी का भी जवाब नहीं मिला। मीटिंग के अंदर जो हुआ, वो यही है।

अब देखिए टीएमसी सांसदों ने बताया कि कैसे उन्होंने ज्ञानेश कुमार से SIR को लेकर तीखे सवाल पूछे हैं। लेकिन ज्ञानेश कुमार ने इस मीटिंग को लेकर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की । किसी इंटरव्यू में नहीं बताया कि उनकी टीएमसी सांसदों से क्या बातचीत हुई। न कोई पोस्ट किया बल्कि उन्होंने मीडिया में ऐसी खबरें लीक करवा दी जिससे यह साबित होता है कि टीएमस सांसदों ने नहीं बल्कि चुनाव आयोग ने ही टीएमसी सांसदों को खदेड़ दिया है। जिसके बाद मीडिया में आप देखिए किस तरह की खबरें चलने लगी- “टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल द्वारा जताई गई आशंकाओं पर चुनाव आयोग का आया जवाब, दे डाली सख्त चेतावनी”, “बीएलओ पर दबाव और धमकी नहीं, SIR पर चुनाव आयोग का TMC को सख्त निर्देश” इन खबरों में ये बताया गया कि आयोग के अधिकारियों ने बताया है कि बैठक के दौरान तृणमूल नेताओं से कहा गया कि एसआईआर के तहत गणना फार्म वितरण के दौरान BLO की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।

जनसत्ता में छपी इस खबर के मुताबिक एक अधिकारी ने बाद में बताया कि , “निर्वाचन आयोग ने तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से यह भी कहा कि वे मृत, ट्रांसफर और डुप्लिकेट मतदाताओं के संबंध में बीएलओ पर दबाव न डालें या धमकी नहीं दें।” मतलब यहां उलटा चोर कोतवाल को डाट लगा रहा था। हिंदुस्तान में छपि इस रिपोर्ट के मुताबिक बैठक के दौरान, चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल द्वारा जताई गई सभी चिंताओं का बिंदुवार खंडन किया। आयोग ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। इसका साफ मतलब है कि टीएमसी सांसदों ने जो सवाल पूछने की बात प्रेस में कही वो सही थी। हालांकि चुनाव आयोग ने आरोपों का खंडन कर दिया, वो अलग बात है। इसका मतलब है कि ज्ञानेश कुमार उन बीएलओज की मौतों को खंडन कर दिया है जिनकी जान एसआईआर के चलते गई है। ज्ञानेश कुमार ने उनके परिजनों के आरोपों का भी खंडन कर दिया है जिनके अपनों ने एसआईआर के प्रेशर में आकर अपनी जान तक दे डाली है।

अब सवाल पूछे जा रहे हैं तो चुनाव आयोग कह रहा है कि नौ दिसंबर को दावे और आपत्तियां दाखिल करो। तब तक, विपक्ष पार्टियां स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे बीएलओ, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी के स्वतंत्र कार्य में हस्तक्षेप न करे। अब देखिए मीटिंग में क्या बातचीत हुई इसकी सफाई देने के लिए ज्ञानेश कुमार खुद कमरों के सामने नहीं आए। लेकिन उनके अधिकारियों ने जिनके नाम भी उजागर नहीं किए गए उन्होंने इस तरह की जानकारी दी, जिसके बाद मीडिया हाउसों ने बड़े-बड़े हेडलाइंस के साथ ऐसे दिखाया जैसे टीएमसी के सांसदों ने नहीं बल्कि ज्ञानेश कुमार ने ही टीएमसी को फटकार लगाई हो। जबकि, टीएमसी सांसदों ने मीटिंग के बाद यह जताने की कोशिश कि की उन्होंने जिन सवालों के जवाब ज्ञानेश कुमार से मांगे वह उन्हें नहीं मिले। अब ऐसे में कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ ये बता पाना थोड़ा मुश्किल हो गया।

लेकिन ममता बनर्जी उन विपक्षी पार्टियां में से नहीं है जिसपर कोई भी आरोप लगा दिए जाएं और वो चुप बैठी रहे। बल्कि इन खबरों का जवाब देने के लिए ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी मैदान में कूद पड़े। अभिषेक ने देर रात ज्ञानेश कुमार की पोल खोलते हुए धड़ाधड़ एक के बाद एक एक्स पर पोस्ट किया। अभिषेक ने लिखा कि, “चुनाव आयोग जानबूझकर चुन–चुन कर झूठी बातें मीडिया में लीक करवा रहा है, ताकि ऐसा दिखा सके कि उन्होंने आज प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब दे दिए हैं।

ये दावे सिर्फ भ्रामक ही नहीं, बल्कि खुलेआम झूठ हैं।” अभिषेक ने ज्ञानेश कुमार को चैलेंज देते हुए कहा कि- “अगर चुनाव आयोग के पास सच में छुपाने के लिए कुछ नहीं है और वह पारदर्शिता पर विश्वास करता है, तो फिर ऐसे छुपे-छुपे लीक करने के बजाय पूरी CCTV फुटेज और सारे सबूत तुरंत सार्वजनिक करे। अगर ऐसा नहीं किया जाता, तो यह उनकी गलत नीयत और शक को और बढ़ाता है।” अभिषेक ने आगे कहा कि, “और यह बात साफ कर दूँ — कुछ घंटे बहुत कम समय होते हैं। हमने जो पाँच सरल सवाल पूछे हैं, उनके जवाब देने के लिए आप जितना चाहें समय ले लीजिए।” इसके साथ ही अभिषेक ने एक ऐसी बात कही जिसको लेकर ज्ञानेश कुमार के भी होश उड़ जाएंगे। अभिषेक ने यहां पर डिजिटल सबूत पेश करने तक की बात कह दी।

अभिषेक ने कहा कि, “हमारे पास काफी डिजिटल सबूत हैं, जो दिखाते हैं कि किस तरह से झूठी और मनगढ़ंत खबरें फैलाकर सच को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है।” अभिषेक बनर्जी कि इस बात से साबित होता है कि टीएमसी अपने साथ कुछ ऐसी डिवाइस ले गए थे जिससे चुनाव आयोग का झूठा का पर्दाफाश किया जा सके। अभिषेक ने आगे कहा कि “आपकी नाराज़गी समझ में आती है, श्रीमान, लेकिन सच सुविधा के हिसाब से नहीं बदलता. अगर खबरें लगाने की ऊर्जा है, तो वही ऊर्जा पाँच सीधे-सादे सवालों के जवाब देने में लगाइए।” अभिषेक ने ज्ञानेश कुमार को धमकी देते हुए कहा कि “आपका समय अब शुरू होता है!”

अब देखिए पश्चिम बंगाल की सियासत का ये नया अध्याय अब पूरी तरह से खुलकर सामने आ गया है। एक तरफ चुनाव आयोग चुप्पी साधे अनाम अधिकारियों के ज़रिए मीडिया में अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उसने तृणमूल को आईना दिखा दिया, तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी का पूरा कुनबा ज्ञानेश कुमार को खुली चुनौती दे रहा है कि CCTV फुटेज निकालो, सच सामने लाओ! अभिषेक बनर्जी ने तो रातों-रात ट्विटर पर तूफान मचा दिया और डिजिटल सबूतों का ऐसा दावा ठोंका कि अब दिल्ली में चुनाव आयोग की नींद उड़ना तय है।

अब सवाल सिर्फ SIR, BLO के दबाव या मरे हुए लोगों के नाम का नहीं रहा है। बल्कि सवाल अब चुनाव आयोग की निष्पक्षता, उसकी पारदर्शिता और सबसे बड़ी बात उसकी हिम्मत का हो गया है। अगर ज्ञानेश कुमार सच के साथ हैं तो फुटेज क्यों नहीं दिखाते? और अगर छुपा रहे हैं, तो समझ लीजिए कि बंगाल में खेल बहुत बड़ा होने वाला है।

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