वोटचोरी का अमेरिका से सीधा कनेक्शन, सच हो गई राहुल गांधी की बात, संबित पात्रा परदा डालने आए थे
दोस्तों, वोटचोरी के आरोपों में बुरा फंसे ज्ञानेश जी और चुनाव आयोग को जोर का झटका लगने जा रहा है क्योंकि वोटचोरी के बड़े खेल का भंडाफोड़ हो गया है। कैसे मोबाइल नंबरों के सहारे एक जगह से बैठकर वोटर लिस्ट से वोटर्स काट दिए जाते हैं, इसका खुलासा हो गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, वोटचोरी के आरोपों में बुरा फंसे ज्ञानेश जी और चुनाव आयोग को जोर का झटका लगने जा रहा है क्योंकि वोटचोरी के बड़े खेल का भंडाफोड़ हो गया है। कैसे मोबाइल नंबरों के सहारे एक जगह से बैठकर वोटर लिस्ट से वोटर्स काट दिए जाते हैं, इसका खुलासा हो गया है।
आपको बता दें कि बड़ी खबर निकल कर सामने आई है कि कर्नाटक में वोटचोरी को लेकर चल रही एसआईटी में सबसे चौंका देने वाला सबूत दिया है, सबूत यह है कि वोटचोरी का सीधा कनेक्शन अमेरिका से है। जैसे ही एसआईटी जांच वायरल हुई है, हड़कंप मच गया है। एक ओर जहां चुनाव आयोग और ज्ञानेश जी बुरा फंसे हैं तो वही दूसरी ओर संबित पात्रा प्रेस कॉन्फ्रेस के जरिए लीपापोती के चक्कर में जुट गए हैं। कैसे वोटचोरी का सीधे अमेरिकी कनेक्शन सामने आया है और कैस एसआईटी जांच के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है, साथ ही कैसे मोबाइल नंबर और ओटीपी के जरिए वोटचोरी का भयंकर खेल चल रहा था, यह हम आपको आगे अपनी अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताने वाले हैं।
दोस्तों, राहुल गांधी और विपक्ष बहुत दिनों से वोटचोरी करने का आरोप इलेक्शन कमीशन पर लगा रहे हैं और खुद राहुल गांधी अब तक एक दो बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार प्रेस कॉन्फ्रेस करके सबूत भी पेश कर चुके हैं लेकिन इस पर चुनाव आयोग ने कोई एथेंटिक सफाई नहीं दी है, हां इतना जरुर है कि ज्ञानेश कुमार जी आए और कुछ इधर उधर की बातें करके निकल गए लेकिन जिस तरीके के सबूत राहुल गांधी ने दिए उस तरीके के जवाब चुनाव आयोग की ओर से नहीं आए। आपको बता दें अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने आलंद के लगभग 6000 वोटों की चोरी का मामला भी उठाया।
पहले इसको चुनाव आयोग ने भी चोरी माना था कि लेकिन बाद में सबूत और तथ्यों का आभाव दिखाते हुए जांच बंद कर दी थी लेकिन जब एक बार फिर से राहुल गांधी ने आलंद का मामला उठाया तो कर्नाटक सरकार ने साल 2022-23 के चुनाव में वोटों के काटे जाने के मामले पर एसआईटी गठित की थी। अब जांच में चौंका देने वाला खुलासा सामने आया है। आपको बता दें कि इस पूरे खेल अमेरिका की एक बेवसाइड एसएमएस अलर्ट और भारत में चल रही ओटीपी बाजार डाटकाम से पूरा खेल हो रहा है और एक ही या अलग अलग मोबाइल नंबर के सहारे ओटीपी को लोड करके नाम को डिलीट कर दिया जा रहा था। एसआईटी जांच में पाया गया है कि अमेरिका की वेबसाइट एसएमएस अलर्ट डाटकाम वर्चुअल सिम कार्ड बेचती है।
ये वर्चुअल सिम असली भारतीय मोबाइल नंबरों की डुप्लीकेट कॉपी बनाते हैं। जब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर किसी वोटर के नंबर पर ओटीपी भेजा जाता है, तो वह ओटीपी असली फोन के साथ-साथ एसएमएस अलर्ट के वर्चुअल सिम पर भी आ जाता है। असली फोन मालिक को समझ नहीं आता कि अचानक चुनाव आयोग का ओटीपी क्यों आया, क्योंकि उन्होंने खुद कुछ रजिस्टर नहीं किया होता है। दूसरी तरफ ओटीपी बाजार डाटकाम के जरिए ये ओटीपी रियल-टाइम में कलबुर्गी के डेटा सेंटर को मिल जाता था। डेटा सेंटर से फिर हजारों फर्जी आवेदन डाले जाते थे कि फलां-फलां वोटर का नाम हटाया जाएश्। हर ओटीपी की कीमत सिर्फ 700 रुपये होती थी।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एसआईटी को पता चला है कि कलबुर्गी डेटा सेंटर के संचालक हर हर ओटीपी के लिए ओटीपी बाजार को 700 रुपये ट्रांसफर करते थे। बंगाल का बापी आद्य यह पैसा अपने इंडसइंड बैंक खाते में लेता था, फिर छोटा-सा कमीशन रखकर बाकी क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट से एसएमएस एलर्ट को भुगतान कर देता था। रिपोर्ट के अनुसार, 13 नवंबर को एसआईटी ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के घुगरागाछी-हंसखाली इलाके से 27 साल के बापी आद्य को गिरफ्तार किया। वह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी।
पहले मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाने वाला बापी लगातार ऑनलाइन रहता था और उसे एसएमएस अलर्ट का पता चला तो उसने कमीशन के लालच में भारत में इसका इंटरफेस बनाकर ओटीपी बाजार डाटकाम के नाम से वेबसाइट शुरू कर दी और वो अब पकड़ लिया गया है। , बुधवार को 14 दिन की एसआईटी कस्टडी पूरी होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। एसआईटी ने पाया कि कुल 72 वास्तविक भारतीय मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया। ये नंबर 17 अलग-अलग राज्यों के लोगों के थे। इनके ज़रिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर लॉग-इन कर 5994 वोटरों के नाम हटाने के लिए 3000 से ज्यादा फर्जी आवेदन डाले गए थे।
चूँकि एसएमएस अलर्ट अमेरिका में रजिस्टर्ड है, इसलिए एसआईटी अब म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी के तहत अमेरिकी अधिकारियों से पूरी डिटेल मांगेगी। रिपोर्ट के अनुसार एसआईटी को सबूत मिले हैं कि कलबुर्गी क्षेत्र के कुछ बीजेपी नेताओं ने इस डेटा सेंटर की सेवाएँ ली थीं। अक्टूबर में एसआईटी ने डेटा सेंटर संचालक मोहम्मद अकरम, अशफाक और तीन अन्य के साथ-साथ 2023 में आलंद से बीजेपी उम्मीदवार रहे सुभाष गुट्टेदार और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापे मारे थे। जाँच में पता चला कि हर गैर-कानूनी वोट डिलीट करने के लिए डेटा सेंटर संचालकों को 80 रुपये मिलते थे।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वोट काटने की कोशिश उन बूथों और उन मतदाताओं पर हुई जो इसके वोटर माने जाते हैं। रिपोर्टों में तो यह भी कहा गया कि कलबुर्गी क्षेत्र की कई अल्पसंख्यक-बहुल सीटों पर 2023 चुनाव से पहले इसी तरह वोटर लिस्ट में जोड़ने-हटाने का खेल चलाया गया था। राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने अपनी ऑनलाइन सेवाओं के लिए अब आधार-लिंक्ड ओटीपी सिस्टम लागू कर दिया है। पहले सिर्फ मोबाइल नंबर पर ओटीपी आता था, जिसका इस मामले में भयानक दुरुपयोग हुआ था। यह पूरा मामला न सिर्फ चुनावी धांधली की नई तकनीक को उजागर करता है, बल्कि यह भी बता रहा है कि कैसे विदेशी वेबसाइटों का इस्तेमाल कर भारत के लोकतंत्र की जड़ों पर चोट की जा सकती है। एसआईटी की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
आपको बता दंें कि ये वोटचोरी के मामले में बहुत बड़ी सफलता है। क्योंकि पिछले दिनों पूरे देश में यह बात सामने आई थी कि बड़े पैमाने पर वोटर्स के नाम कट गए थे। यूपी में साल 2022 में विधान सभा के चुनाव हुए थे तो सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हार के बाद ये बड़ा आरोप लगाया था कि कम से कम एक विधान सभा में 10-10 हजार वोटर्स के नाम काट दिए गए और ये बात कई एजेंसियों ने अपने जांच में सही भी पाई है। आपको बात दें कि वोटर लिस्ट से अचानक वोट कटने का मामला महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश समेत पिछले विधान सभा इलेक्शन में आया था। ऐसे में जिस तरीके से कर्नाटक मामले में एसआईटी ने जांच करके पूरे मामले को उजागर किया है उससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कि पिछले विधान सभा चुनावों में जो लोगों के वोट अचानक बड़े पैमाने पर कटे थे, क्या इसमें भी यही खेल हुआ था, क्या इसी खेल से लगातार चुनाव जीता जा रहा है।
हालांकि इस बात की जानकारी जैसे ही बीजेपी और चुनाव आयोग को लगी है, चुनाव आयोग ने तो बाकायदा ओटीपी को लेकर अलर्ट जारी किया है लेकिन बीजेपी कहीं वोटचोरी का मामला जनता के तक सीधे न पहुंच जाए, इसके लिए बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी पर विदेशी जमीन से साजिश करने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन जिस तरह से कर्नाटक के मामले में एसआईटी ने जांच कर पूरा खेल साफ कर दिया है, उससे एक बात तो पूरी तरह से तय हो गई है कि अंदरखाने में कहीं न कहीं वोटचोरी का बड़ा खेल चल रहा है और ऐसे में राहुल गांधी की बात सही साबित होती दिख रही है। आपको बता दें कि कल की कांग्रेस के एक पूर्व सांसद कुमार केतकर ने दावा किया था कि बीजपी को सत्ता में लाने में अमेरिका और इजराइल का हाथ था। उनका दावा था कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद और अमेरिका की खुफिया सीआईए का बड़ा हाथ था।
कुमार केतकर का दावा था कि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 145 सीटें मिली और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 206 सीटें जीतीं। अगर यही सिलसिला रहता तो कांग्रेस 250 सीटें जीतकर सत्ता में बनी रह सकती थी। हालांकि, साल 2014 में कांग्रेस को केवल 44 सीटें मिलीं। तभी एक खेल हुआ और फैसला किया गया था कि किसी भी हालत में कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़नी नहीं चाहिए। कांग्रेस नेता कुमार केतकर ने कहा कि ऐसे संगठन थे जो इस तरह से काम करते थे कि जब तक हम कांग्रेस को 206 से नीचे नहीं लाते, तब तक हम यहां (भारत में) खेल नहीं खेल पाएंगे। इनमें से एक संगठन सीआईए था और दूसरा इजरायल का मोसाद था। दोनों ने तय किया था कि उन्हें भारत में कुछ करना है।
अगर कांग्रेस की कोई स्थिर सरकार या कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार दोबारा सत्ता में आती है, तो वे भारत में हस्तक्षेप नहीं कर पाते और अपनी नीतियां लागू नहीं कर पाते। कुमार केतकर ने दावा किया है कि दोनों जासूसी एजेंसियों ( का मानना था है कि दिल्ली में एक अनुकूल सरकार उनके कंट्रोल में होगी और वहां बहुमत की सरकार होनी चाहिए, लेकिन कांग्रेस की नहीं। केतकर ने कहा- मोसाद ने राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों पर विस्तृत डेटा तैयार किया है। सीआईए और मोसाद के पास राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों पर विस्तृत डेटा है और जब ऐसे में एसएमएस वाला कनेक्शन सीधे अमेरिका से जुड़ा है तो फिर कहीं न कहीं से यह बात तय होती दिख रही है कि शायद अमेरिका भारतीय सरकारों को बदलने का खेल चल रहा है। हालांकि अभी एसआईटी अमेरिका को लेटर लिखर पूरी बातों का ब्योरा मांगेगी, इसके जो खुलासा होगा वो फाइनल होगा लेकिन ये बात साफ है कि मोबाइल नंबर पर ओटीपी के जरिए लोगों के वोट वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। और 2022 के बाद जो हर विधान सभा के चुनावों में इस प्रकार अचानक वोटर्स कटने की शिकायत आई है, कहीं न कहीं इस पूरे खेल से जुड़ी हुई है।



