सऊदी के इस प्रोजेक्ट में प्रवासियों के लिए बड़े पैमाने पर खुला नौकरियों का पिटारा!
सऊदी अरब आज दुनिया की नजरों में एक चमकदार तारा बन चुका है। साल 2016 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जिन्हें हम एमबीएस कहते हैं, ने विजन 2030 नाम का एक बड़ा प्लान लॉन्च किया। यह प्लान तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था को बदलने का सपना है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सऊदी अरब आज दुनिया की नजरों में एक चमकदार तारा बन चुका है। साल 2016 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जिन्हें हम एमबीएस कहते हैं, ने विजन 2030 नाम का एक बड़ा प्लान लॉन्च किया। यह प्लान तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था को बदलने का सपना है।
पहले सऊदी अरब ज्यादातर तेल बेचकर चलता था, लेकिन अब पर्यटन, मनोरंजन, तकनीक और निर्माण जैसे क्षेत्रों में कदम बढ़ा रहा है। इसी का नतीजा है कि सऊदी अब यूएई को कई मोर्चों पर पीछे छोड़ने की राह पर है। यूएई, खासकर दुबई, लंबे समय से मिडिल ईस्ट का आर्थिक केंद्र रहा है, लेकिन सऊदी की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं जैसे नियोम सिटी और जेद्दा टावर, उसे नई दिशा दे रही हैं। हाल ही में, 2025 में, सऊदी ने गिगा-प्रोजेक्ट्स में निवेश बढ़ाकर यूएई के प्रोजेक्ट अवॉर्ड्स को पीछे छोड़ दिया है। यह बदलाव प्रवासियों के लिए भी अच्छी खबर है, क्योंकि सऊदी ने विदेशी मजदूरों के लिए ढेर सारी नौकरियां खोलने का ऐलान किया है।
सबसे पहले बात करते हैं जेद्दा टावर की, जो बुर्ज खलीफा से भी ऊंचा होगा। बुर्ज खलीफा, दुबई का गौरव, 828 मीटर ऊंचा है और दुनिया का सबसे ऊंचा भवन है। लेकिन सऊदी अरब अब 1000 मीटर ऊंचा टावर बनाने जा रहा है। इसे जेद्दा टावर कहते हैं, जो जेद्दा शहर में बन रहा है। यह टावर न सिर्फ ऊंचाई में बुर्ज खलीफा को 172 मीटर पीछे छोड़ेगा, बल्कि एक नया आइकन बनेगा। एमबीएस ने 2015 में इसकी नींव रखी थी, लेकिन कुछ सालों के रुकावट के बाद 2024-2025 में काम तेज हो गया।
अक्टूबर 2024 तक, टावर के 63 फ्लोर बन चुके हैं और ऊंचाई 250 मीटर से ज्यादा हो गई है। यह प्रोजेक्ट सऊदी की महत्वाकांक्षा दिखाता है – वे चाहते हैं कि दुनिया उनकी ओर देखे। टावर में होटल, ऑफिस, रेसिडेंशियल अपार्टमेंट्स और एक ऑब्जर्वेटरी होगी, जहां से रेड सी का खूबसूरत नजारा दिखेगा। निर्माण में हजारों मजदूर लगेंगे, और तकनीक के लिहाज से यह एक चमत्कार होगा। इंजीनियरों को हवा के दबाव, भूकंप और तापमान जैसे चैलेंजेस से निपटना पड़ेगा। लेकिन एमबीएस का विश्वास है कि यह टावर सऊदी को ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाएगा।
यह टावर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि विजन 2030 का हिस्सा है। विजन 2030 का मकसद है सऊदी को तेल-मुक्त अर्थव्यवस्था देना। पहले सऊदी की 90% कमाई तेल से आती थी, लेकिन अब वे पर्यटन से 100 बिलियन डॉलर सालाना कमाने का लक्ष्य रखे हैं। जेद्दा टावर इसी का प्रतीक है। यूएई ने बुर्ज खलीफा से दुबई को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाया, लेकिन सऊदी अब बड़े पैमाने पर सोच रहा है। नियोम प्रोजेक्ट, जो एक 170 किलोमीटर लंबी लाइनर सिटी है, भी इसी का हिस्सा है। इसमें जेद्दा टावर जैसी संरचनाएं होंगी। 2025 में, सऊदी ने 20.6 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट्स अवॉर्ड किए, जो यूएई के 31 बिलियन से कम हैं, लेकिन गुणवत्ता और स्केल में सऊदी आगे है। सऊदी अब एशिया और यूरोप से निवेश खींच रहा है, जबकि यूएई का फोकस ज्यादातर रीजनल बिजनेस पर है।
अब यूएई से तुलना करें तो सऊदी का रफ्तार तेज है। यूएई की जीडीपी ग्रोथ 2025 में 4.8% रहने का अनुमान है, जबकि सऊदी की 3.8%। लेकिन सऊदी के गिगा-प्रोजेक्ट्स जैसे किंग सलमान गेट और रेड सी प्रोजेक्ट, यूएई के छोटे-मोटे डेवलपमेंट्स को मात दे रहे हैं। दुबई ने शॉपिंग मॉल्स और बीच रिसॉर्ट्स से नाम कमाया, लेकिन सऊदी अब सस्टेनेबल सिटी और टेक हब बना रहा है। मिसाल के लिए, नियोम में सोलर पावर और जीरो-कार्बन टेक्नोलॉजी होगी। एमबीएस ने कहा है कि सऊदी अब ‘मिडिल ईस्ट का सिलिकॉन वैली’ बनेगा। निवेश के मामले में, सऊदी ने 2025 में 95 बिलियन डॉलर के आउटफ्लोज रिकॉर्ड किए, जो यूएई के इनफ्लो को चैलेंज कर रहा है। कुल मिलाकर, सऊदी यूएई को न सिर्फ ऊंचाई में, बल्कि आर्थिक विविधता में भी पीछे छोड़ रहा है।
प्रवासियों के लिए यह सबसे अच्छी खबर है। सऊदी में पहले कफाला सिस्टम था, जो मजदूरों को स्पॉन्सर पर बांधे रखता था। लेकिन 2025 में, एमबीएस ने इसे खत्म करने का ऐलान किया। अब 2.3 मिलियन भारतीय मजदूर सहित लाखों एक्सपैट्रिएट्स नौकरी बदल सकते हैं। विजन 2030 के तहत, सऊदी को 4.5 लाख नई जॉब्स चाहिए। इनमें कंस्ट्रक्शन, हेल्थकेयर, एजुकेशन और टूरिज्म शामिल हैं। डिपेंडेंट वीजा वाले एक्सपैट्रिएट्स अब एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में काम कर सकते हैं। स्किल-बेस्ड वर्क परमिट्स लॉन्च हुए हैं, जो हाई-स्किल्ड वर्कर्स को आकर्षित करेंगे। उदाहरण के लिए, जेद्दा टावर के निर्माण में इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स और लेबरर्स को लाखों जॉब्स मिलेंगी। अलात प्रोजेक्ट अकेले 39,000 डायरेक्ट जॉब्स क्रिएट करेगा।
ये सुधार सऊदी को आकर्षक बना रहे हैं। पहले मजदूरों को सैलरी देरी, खराब रहने की शिकायतें थीं, लेकिन अब लेबर रिफॉर्म्स से वर्कर राइट्स मजबूत हुए हैं। नई क्लासिफिकेशन सिस्टम एक्सपैट्रिएट वर्क परमिट्स को आसान बनाएगा। सऊदी अब ग्लोबल टैलेंट को इनवाइट कर रहा है – आईटी प्रोफेशनल्स, डॉक्टर्स, टीचर्स। इंडियन, पाकिस्तानी, फिलिपिनो और बांग्लादेशी मजदूरों के लिए खास प्रोग्राम्स हैं। 2030 तक, सऊदी की नॉन-ऑयल जीडीपी में 9.3 बिलियन डॉलर का कंट्रीब्यूशन एक्सपैट्रिएट्स से आएगा।
यह न सिर्फ जॉब्स देगा, बल्कि फैमिली रीयूनाइटमेंट भी आसान करेगा। जेद्दा टावर का निर्माण कैसे हो रहा है, आइए विस्तार से देखें। यह टावर किंग अब्दुल्लाह इकोनॉमिक सिटी का हिस्सा है। डिजाइन आइकॉनिक ग्रुप का है, जो अमेरिकी आर्किटेक्ट विन्सेंट कलेब्रेसे का काम है। टावर का शेप एक मॉडर्न मीनार जैसा है, जो इस्लामिक आर्किटेक्चर से प्रेरित है। ऊपर की ओर संकरा होता जाएगा, ताकि हवा का रेजिस्टेंस कम हो। अंदर 10 मिलियन स्क्वायर फीट स्पेस होगा। सबसे ऊपरी फ्लोर पर ‘द रिंग’ नाम का ऑब्जर्वेटरी होगा, जहां 360 डिग्री व्यू मिलेगा। निर्माण में एडवांस्ड मटेरियल्स जैसे हाई-स्ट्रेंथ कंक्रीट और स्टील यूज हो रहे हैं।
यह टावर सऊदी की सॉफ्ट पावर बढ़ाएगा। यूएई ने बुर्ज खलीफा से 1 करोड़ टूरिस्ट्स खींचे, सऊदी अब 10 करोड़ का टारगेट रख रहा है। जेद्दा टावर रेड सी डाइविंग और हज पिलग्रिमेज को कनेक्ट करेगा। आर्थिक रूप से, यह 5 बिलियन डॉलर का इनवेस्टमेंट है, जो हजारों जॉब्स क्रिएट करेगा। प्रवासियों के लिए, कंस्ट्रक्शन जॉब्स जैसे वेल्डर, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन उपलब्ध होंगे। हाई-स्किल्ड के लिए, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और डिजाइन रोल्स। सऊदी गवर्नमेंट ने ट्रेनिंग प्रोग्राम्स शुरू किए हैं, जहां एक्सपैट्रिएट्स लोकल लैंग्वेज और सेफ्टी सीख सकते हैं।यूएई से सऊदी का आगे निकलना कई वजहों से है।
पहले, सऊदी का पॉपुलेशन 3.5 करोड़ है, यूएई का सिर्फ 1 करोड़, तो मार्केट बड़ा है। दूसरा, सऊदी के पास ऑयल रिजर्व्स ज्यादा हैं, जो फंडिंग देते हैं। तीसरा, एमबीएस की रिफॉर्म्स – महिलाओं को ड्राइविंग राइट्स, सिनेमा ओपनिंग, कॉन्सर्ट्स। ये सब यूएई जैसा मॉडर्न वाइब क्रिएट कर रहे हैं। 2025 में, सऊदी की नॉन-ऑयल सेक्टर ग्रोथ 5% से ऊपर है, जबकि यूएई रुक रहा है। गल्फ काउंसिल कंट्रीज में सऊदी और यूएई लीड कर रहे हैं, लेकिन सऊदी का फोकस एशिया पर है – चाइना और इंडिया से ट्रेड बढ़ा। यूएई का सीईपीए अच्छा है, लेकिन सऊदी का विजन ज्यादा ब्रॉड है।
प्रवासियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। सऊदी की 40% पॉपुलेशन एक्सपैट्रिएट्स हैं। विजन 2030 के तहत, सऊदीकरण पॉलिसी है – लोकल्स को प्राथमिकता, लेकिन एक्सपैट्रिएट्स को स्किल्ड जॉब्स में रखा जा रहा है। नई पॉलिसी से, कंपनियां आसानी से फॉरेन वर्कर्स हायर कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, हेल्थ सेक्टर में 50,000 नई जॉब्स – नर्सेस, डॉक्टर्स। एजुकेशन में टीचर्स। टूरिज्म में होटल स्टाफ। कंस्ट्रक्शन में, जेद्दा टावर जैसे प्रोजेक्ट्स से 1 लाख जॉब्स। सैलरी पैकेज आकर्षक – एवरेज 3000-5000 रियाल मंथली, प्लस हाउसिंग अलाउंस। अब, एक्सपैट्रिएट्स फैमिली के साथ आ सकते हैं, और बच्चे फ्री एजुकेशन पा सकते हैं।
यह बदलाव सऊदी को इंडिया, पाकिस्तान जैसे देशों का फेवरेट डेस्टिनेशन बना रहा है। ऐसे में यूएई की तुलना में सऊदी ज्यादा इनक्लूसिव हो रहा है। दुबई एक्सपैट्रिएट-फ्रेंडली है, लेकिन सऊदी अब रिफॉर्म्स से मैच कर रहा है। 2026 में, जीसीसी जीडीपी 4.4% ग्रो करेगी, सऊदी लीड करेगा। सऊदी अरब का यह ट्रांसफॉर्मेशन यूएई को पीछे छोड़ रहा है। जेद्दा टावर ऊंचाई का प्रतीक, जॉब्स अवसरों का दरवाजा। एमबीएस का विजन सऊदी को ग्लोबल पावरहाउस बनाएगा।


