प्रेमानंद महाराज का बड़ा बयान,कहा- मृत्यु के बाद कोई याद शेष नहीं रहती
प्रेमानंद महाराज से एक महिला ने पूछा कि क्या मरने के बाद परिवार वालों से रिश्ता रहता है या एकदम टूट जाता है? प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का सरल उत्तर देते हुए बताया कि मृत्यु सभी संबंधों को तोड़ देती है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: प्रेमानंद महाराज से एक महिला ने पूछा कि क्या मरने के बाद परिवार वालों से रिश्ता रहता है या एकदम टूट जाता है? प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का सरल उत्तर देते हुए बताया कि मृत्यु सभी संबंधों को तोड़ देती है.
जीवन और मृत्यु दोनों इस संसार के बहुत बड़े सत्य हैं. जीवन और मृत्यु सत्य होने के साथ-साथ एक ऐसे रहस्य भी हैं, जिन्हें आज तक कोई समझ नहीं पाया है. हर व्यक्ति अपने प्रियजनों से जुड़ा रहता है. ऐसे में मन में ये सवाल अवश्य आता है कि क्या मृत्यु के बाद भी संबंध शेष रहता है? क्या आत्मा को अपना परिवार, अपनी पहचान और भावनाए याद रहती हैं.
इसी तरह का सवाल एक महिला ने प्रेमानंद महाराज से पूछा. उसने महाराज जी से पूछा कि क्या मरने के बाद परिवार वालों से रिश्ता रहता है या एकदम टूट जाता है? प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का सरल उत्तर देते हुए बताया कि मृत्यु सभी संबंधों को तोड़ देती है. मृत्यु वो स्थिति है, जो गहरी नींद से भी अधिक विस्मरण कराने वाली होती है. गहरी नींद में व्यक्ति को कुछ याद नहीं रहता.
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इसी तरह मृत्यु के बाद भी किसी तरह की याद शेष नहीं रह जाती. उन्होंने आगे कहा कि गहरी नींद में व्यक्ति को संस्कारों की वजह से कुछ सपने दिखाई देते हैं, लेकिन गाढ़ निद्रा में कुछ भी याद नहीं रह जाता है. मृत्यु इससे भी गहरी अवस्था मानी गई है, जहां सभी तरह की यादें समाप्त हो जाती हैं. मां के गर्भ में संतान नौ महीने रहती है, लेकिन बाहर आने के बाद उसको कुछ याद नहीं रह जाता.
आत्मा कर्मों के प्रभाव को अपने साथ ले जाती है
इसी तरह मृत्यु के बाद भी व्यक्ति का हर सांसारिक मोह छूट जाता है. न परिवार, न पत्नी-पुत्र, न संपत्ति, न बैंक
बैलेंस, न पद-प्रतिष्ठा, सब कुछ मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाता है. आत्मा के साथ यात्रा पर सिर्फ उसके कर्मों के
प्रभाव जाते हैं. बाकी सारे संबंध और पहचान समाप्त हो जाती है. व्यक्ति के दुनिया में आने के बाद संबंध शुरू होते हैं. प्रेमानंद महाराज ने बताया कि संबंधों का आधार शरीर और हालात होते हैं. जैसे ही व्यक्ति का शरीर खत्म होता है, वैसे ही संबंधों का बंधन भी समाप्त हो जाता है.



