प्रदूषण के मुद्दे पर सडक़ से संसद तक संग्राम

कांग्रेस, आप से लेकर सपा तक सरकार पर बरसी, प्रियंका ने संसद में चर्चा करने को कहा, केजरीवाल ने पीएम व नेता प्रतिपक्ष को घेरा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे पर सडक़ से लेकर संसद तक संग्राम मचा है। कांग्रेस, आप से लेकर सपा तक सरकार को घेर रही है। उधर आप नेता अरविंद केजरीवाल ने भाजपा-कांग्रेस को घेरा है। उन्होंने कहा- पीएम ओमान में, नेता विपक्ष जर्मनी में हैं। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- प्रधान मंत्री ओमान में, नेता विपक्ष जर्मनी में, देश की राजधानी प्रदूषण में तबाह हो रही है।
वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इस मुद्दे पर संसद में चर्चा करने को कहा। कनिमोझी करुणानिधि और बंसुरी स्वराज दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिगड़ते वायु प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त करेंगी। सदन की कार्यवाही पूर्व सांसदों दारूर पुल्लैया, प्रोफेसर महादेवराव शिवंकर, कुसुमा कृष्ण मूर्ति और शमनूर शिवशंकरप्पा के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शुरू हुई। इसके बाद, सदस्य चर्चा के लिए निर्धारित प्रश्न प्रस्तुत करेंगे और संबंधित मंत्री उनके उत्तर देंगे।

आज पूरा देश सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा : अशोक सिंह

राज्यसभा सांसद अशोक सिंह ने कहा कि आज पूरा देश सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा है। आज दिल्ली-एनसीआर में दम घुट रहा है। फेफड़े की गंभीर बीमारियां हो रही हैं। जहरीली हवा लोगों को तमाम बीमारियों से ग्रसित कर रही हैं। हालत ऐसे हैं कि कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है।. सिर्फ दीवाली या पराली को दोष देने से काम नहीं चलेगा, इसपर सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे। सरकार का लक्ष्य होना चाहिए कि हर देशवासी को साफ़ हवा मिले और इसके लिए एक कमेटी और साझा कमांड सेंटर बनाया जाए, जहां सभी राज्य मिलकर हवा को साफ करने के लिए काम करें। सरकार इसे नेशनल हेल्थ इमरजेंसी माने, वह इसको सीजनल समस्या की तरह ट्रीट न करे।

27 दिसंबर को कांग्रेस वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर करेगी चर्चा

कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक 27 दिसंबर को होने वाली है, जिसमें पार्टी सूत्रों के अनुसार वर्तमान राजनीतिक स्थिति का आकलन किया जाएगा। आज सुबह, कांग्रेस नेताओं और कई विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा से मकर द्वार तक एमएनआरईजीए का नाम बदलकर वीबी जी राम जी किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। सांसदों ने महात्मा गांधी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे नारे वाले पोस्टर लेकर मार्च निकाला। विपक्षी सांसदों ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों का मुद्दा भी उठाया और संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। बुधवार को लोकसभा में विकसित भारत-ग्राम रोजगार और आजीविका मिशन संशोधन विधेयक पर लगभग 14 घंटे की बहस हुई। विपक्ष ने प्रस्तावित विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधेयक का जोरदार बचाव करते हुए इसे 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। कई कांग्रेस सांसदों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमएनआरईजीए) के नाम परिवर्तन और इसके वित्तपोषण पैटर्न में बदलाव का कड़ा विरोध किया। इस बीच, 18वीं लोकसभा के छठे सत्र में कई विधायी, नीतिगत और समिति से संबंधित मामलों पर चर्चा हुई, जिसमें नियम 193 के तहत दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण पर विशेष ध्यान दिया गया।

जी राम जी पर चर्चा शुरू होते ही विपक्ष ने काटा बवाल, वेल में पहुंचे सांसद

संसद में जी राम जी बिल पर चर्चा की शुरुआत हो गई है। चर्चा के दौरान विपक्ष ने इस बिल को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं और इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (जेपीसी) को भेजने की मांग की। कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि इतने अहम और व्यापक प्रभाव वाले बिल पर विस्तार से विचार होना चाहिए, इसलिए इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी को भेजा जाना जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पर्याप्त चर्चा के बिना बिल को पारित कराना चाहती है। लोकसभा अध्यक्ष ने सदन को जानकारी दी कि एक दिन पहले हुई चर्चा के दौरान 98 सांसदों ने अपनी बात रखने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इसके बावजूद विपक्ष लगातार और चर्चा की मांग करता रहा।

वीबी जी रामजी बिल राज्य सरकारों पर थोपा गया एक बोझ: स्टालिन

केंद्र सरकार पर भडक़े तमिलनाडु के मुख्यमंत्री

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चेन्न्ई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने गुरुवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीए) में प्रस्तावित बदलावों को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने नई विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन-ग्रामीण (वीबी जी आरएएम जी) को ग्रामीण गरीबों की आजीविका पर प्रहार करने वाली एक धोखाधड़ी बताया।
एक्स पर एक पोस्ट में, मुख्यमंत्री स्टालिन ने भाजपा पर एकता को बढ़ावा देने का दावा करते हुए इस प्रमुख योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री स्टालिन ने लिखा कि एकता का दावा करने वाली भाजपा गरीबों के पेट पर वार कर रही है; और थिरु पलानीस्वामी इसमें उनका साथ दे रहे हैं! वीबी जी आरएएम जीयोजना में 125 दिन का काम एक छल मात्र है! 100 दिन के काम की गारंटी देने वाला कानून होने के बावजूद, भाजपा शासन में लोगों को केवल 20 से 25 दिन का काम मिला। उन्होंने मासिक आधार पर मजदूरी और परियोजना खर्च जारी न करके लोगों को धोखा दिया। स्थिति इतनी दयनीय थी कि हमें बकाया राशि पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा।
पोस्ट में आगे कहा गया है कि अब, नियमों में बदलाव के बाद, जिसमें कहा गया है कि अधिकारी केवल अपनी इच्छा से और केंद्र सरकार के विवेकाधिकार के तहत ही काम दे सकते हैं, एक या दो दिन का काम भी मिलना दुर्लभ हो गया है। तमिलनाडु को निधि आवंटन में भारी वित्तीय नुकसान होने वाला है। राज्यों को परियोजना लागत का 40त्न वहन करना होगा, यह शर्त जीएसटी कर परिवर्तनों के बाद गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही राज्य सरकारों पर थोपा गया एक बोझ है यह एक दंड है!

पलानीस्वामी का इन बदलावों का समर्थन करना अक्षम्य कृत्य

स्टालिन ने पलानीस्वामी द्वारा कथित तौर पर इन बदलावों का समर्थन करने को अक्षम्य कृत्य करार दिया और इसे एमजीएनआरईजीए द्वारा संरक्षित ग्रामीण महिलाओं और गरीब कृषि श्रमिकों के खिलाफ हरित राजद्रोह बताया। एक्स पर पोस्ट में आगे लिखा गया, ग्रामीण महिलाओं और गरीब कृषि श्रमिकों की आजीविका की रक्षा करने वाली एमजीएनआरईजीए योजना के समापन समारोह में थिरु पलानीस्वामी द्वारा स्वागत भाषण देना एक अक्षम्य हरित राजद्रोह है!

उत्तर भारत में कोहरा बन रहा जानलेवा, लोग सतर्कता से चलें

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उत्तर भारत में कोहरा बन रहा जानलेवा होता जा रहा है। अलग-अलग घटनाओं में अब तक 30 से ज्यादा लोग कोहरे की वजह से हादसे के शिकार हो गए हंै। मौसम विभाग अलर्ट जारी करते हुए नागरिकों को सतर्कता बरतने केनिर्देश दिए हैं। उधर कुहासे की वजह से ट्रेने व हवाई सेवाएं बाधित हो रही हैं।भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने गुरुवार को उत्तर भारत में घने धुंध की स्थिति को लेकर एडवाइजरी जारी की है।
एएआई ने यात्रियों को कम दृश्यता और कई हवाई अड्डों पर उड़ानों में संभावित देरी के लिए सावधान किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक मौसम चेतावनी में एएआई ने कहा, लगातार धुंध उत्तर भारत के कई हवाई अड्डों को प्रभावित कर रही है। इससे दृश्यता कम हो रही है और उड़ानों में संभावित देरी हो सकती है। प्राधिकरण ने यात्रियों को हवाई अड्डे जाने से पहले अपनी उड़ान की स्थिति संबंधित एयरलाइन से जांचने और अतिरिक्त यात्रा समय लेने की सलाह दी।
एएआई ने आगे कहा, यात्रियों से अनुरोध है कि हवाई अड्डा जाने से पहले अपनी उड़ान की स्थिति अपनी एयरलाइन से जांच लें। हवाई अड्डे की आधिकारिक वेबसाइट या सोशल मीडिया हैंडल पर अपडेट देखें। अपनी यात्रा योजना पहले से बनाएं और अतिरिक्त समय रखें।

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड के जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी है। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीन नक्सली मारे गए हैं, जबकि गोलीबारी में कई अन्य के घायल होने की आशंका है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्हें गोलापल्ली इलाके में बड़ी संख्या में नक्सलियों के होने की खास जानकारी मिली थी।
इसी जानकारी के आधार पर डीआरजी जवानों ने गोलापल्ली जंगल में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। 18 दिसंबर की सुबह, जब सुरक्षाकर्मी उस इलाके में पहुंचे, तो माओवादियों ने कथित तौर पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद दोनों तरफ से ज़बरदस्त गोलीबारी हुई।
उन्होंने बताया कि आज सुबह से सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है और इस मुठभेड़ में अभी तक एक महिला माओवादी समेत तीन माओवादियों के मारे जाने की सूचना है। उन्होंने बताया कि अभियान पूरा होने के बाद इस संबंध में अधिक जानकारी दी जाएगी। इस कार्रवाई के साथ, इस साल अब तक छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में 284 नक्सली मारे जा चुके हैं।

अरावली की नयी परिभाषा उत्तर भारत के भविष्य के लिए खतरा: गहलोत

पूर्व मुख्यमंत्री नेकेंद्रसरकार और उच्चतम न्यायालय से बचाने की अपील की

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने अरावली संरक्षण के पक्ष में ‘सेवअरावली’ अभियान का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी ‘प्रोफाइल पिक्चर’ (डीपी) भी बदली है। उन्होंने कहा कि यह महज एक तस्वीर बदलना नहीं बल्कि उस नयी परिके खिलाफ एक सांकेतिक विरोध है, जिसके तहत 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाडय़िों को ‘अरावली’ मानने से इनकार किया जा रहा है।
गहलोत ने एक बयान में कहा कि अरावली के संरक्षण को लेकर आए इन बदलावों ने पूरे उत्तर भारत के भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वे अपनी ‘डीपी’ बदलकर इस मुहिम का हिस्सा बनें। पूर्व मुख्यमंत्री ने अरावली की नयी परिको अस्तित्व के लिए खतरनाक बताते हुए तीन प्रमुख चिंताएं जाहिर की हैं। गहलोत ने कहा कि अरावली कोई मामूली पहाड़ नहीं बल्कि प्रकृति की बनाई हुई हरित दीवार है। यह थार के रेगिस्तान की रेत और गर्म हवाओं (लू) को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के उपजाऊ मैदानों की ओर बढऩे से रोकती है। उन्होंने कहा कि यदि छोटी पहाडय़िों को खनन के लिए खोल दिया गया, तो रेगिस्तान हमारे दरवाज़े तक आ जाएगा और तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि ये पहाडिय़ां और यहां के जंगल

एनसीआर के शहरों के लिए ‘फेफड़ों’ का काम करती हैं ये पहाडिय़ां

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के शहरों के लिए ‘फेफड़ों’ का काम करते हैं। ये धूल भरी आंधियों को रोकते हैं और प्रदूषण कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं। गहलोत ने चिंता जताई कि जब अरावली के रहते हुए स्थिति इतनी गंभीर है तो अरावली के बिना स्थिति कितनी वीभत्स होगी, इसकी कल्पना भी डरावनी है।
अरावली को जल संरक्षण का मुख्य आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इसकी चट्टानें बारिश के पानी को जमीन के भीतर भेजकर भूजल भंडार करती हैं। अगर पहाड़ खत्म हुए तो भविष्य में पीने के पानी की गंभीर किल्लत होगी, वन्यजीव लुप्त हो जाएंगे और पूरी पारिस्थितिकी खतरे में पड़ जाएगी। गहलोत ने केंद्र सरकार और उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि भावी पीढिय़ों के सुरक्षित भविष्य के लिए इस परिपर पुनर्विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि अरावली को ‘फीते’ या ‘ऊंचाई’ से नहीं, बल्कि इसके ‘पर्यावरणीय योगदान’ के आधार पर आंका जाना चाहिए।

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