उद्धव-राज ने बढ़ा दी महायुति की टेंशन, BMC चुनाव से पहले मान ली हार!
महाराष्ट्र का सियासी पारा इन दिनों सातवें आसमान पर है। एक तरफ यहां सभी दल आगामी BMC चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महाराष्ट्र का सियासी पारा इन दिनों सातवें आसमान पर है। एक तरफ यहां सभी दल आगामी BMC चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। तो वहीं ठाकरे बंधुओं ने एक साथ आकर न सिर्फ महाराष्ट्र की सियासत में भूंचाल ला दिया है बल्कि महायुति की टेंशन भी बढ़ा दी है।
अभी तक जहां महायुति को लग रहा था वो चुनाव आसानी से जीत जाएगी वहीं ठाकरे बंधुओं के साथ आने के बाद अब उनकी जीत पर ग्रहण लगता हुआ दिखाई दे रहा है। जिसे लेकर सियासी गलियारों में बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में बीते बुधवार का दिन बड़ा दिन साबित हुआ. दरअसल, 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के दलों ने गठबंधन किया.
दोनों भाइयों की पार्टियों ने आगामि बीएमसी समेत 29 नगर निगम चुनाव के लिए हाथ मिलाया है. इस दौरान दोनों नेताओं ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया. वहीं ठाकरे ब्रदर्स की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंच के पीछे लगे पोस्टर पर बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर लगाई गई. इस पोस्टर पर न तो उद्धव ठाकरे की तस्वीर लगाई गई और न ही राज ठाकरे की। दोनों पार्टी के चुनावी चिह्न के बीच में बालासाहेब ठाकरे की फोटो को लगाया गया।
इस दौरान अपने संबोधन में उद्धव ठाकरे ने कहा, “हमारे बीच इतनी सहमति बन चुकी है. हमारा गठबंधन सिर्फ बीएमसी चुनाव को लेकर नहीं हुआ है. आज मैं आप सभी का स्वागत करता हूं. संजय राउत ने संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की याद दिलाई. जो मंगल कलश लाया गया, वह किसी सत्यनारायण पूजा की तरह नहीं लाया गया था, बल्कि उसके पीछे बहुत बड़ा संघर्ष था. 105, 107 या उससे भी अधिक मराठी लोगों ने बलिदान देकर मुंबई को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाया.
आज उसकी याद आना स्वाभाविक है, क्योंकि आज हम दोनों यहां बैठे हैं ठाकरे भाई.” उद्धव ठाकरे ने कहा, “अगले साल शिवसेना को 60 साल पूरे होंगे. इतने वर्षों तक सब ठीक चला, लेकिन आज फिर हम देख रहे हैं कि मुंबई को नोचने-तोड़ने और उसके टुकड़े-टुकड़े करने की मंशा रखने वाले जिन्हें तब भी मुंबई चाहिए थी आज उनके प्रतिनिधि दिल्ली में बैठे हैं. अगर हम आपस में लड़ते रहे, तो जो संघर्ष हुआ और जो शहीदों का स्मारक है, उसका बड़ा अपमान होगा.”
उद्धव ठाकरे ने कहा, “उत्साह अपार है. आपके माध्यम से मैं पूरे महाराष्ट्र से निवेदन, आह्वान और एक चेतावनी दे रहा हूं. विधानसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ जैसा दुष्प्रचार किया था. आज मैं मराठी मानुस से कहता हूं अब अगर चूक हुई तो सब समाप्त हो जाएगा, अगर बिखरे तो पूरी तरह खत्म हो जाएंगे. इसलिए एक बार फिर न टूटें, न बिखरें, और मराठी की विरासत न छोड़ें. यही संदेश हम दोनों की युति के माध्यम से पूरे महाराष्ट्र को दे रहे हैं.”
इसके साथ ही राज ठाकरे ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि, ‘‘मुंबई का मेयर मराठी होगा और वह हमारा होगा.’’ उद्धव ने कहा कि दोनों पार्टियों ने नासिक नगर निगम के लिए सीट के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है जहां 15 जनवरी को चुनाव होने हैं, साथ ही मुंबई और राज्य के 27 अन्य नगर निगमों में भी चुनाव होने हैं. उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी में जो हो रहा है उसे सहन न कर पाने वाले हमारे साथ आ सकते हैं.’’
गौरतलब है कि एक तरफ जहाँ ठाकरे ब्रदर्स के एक होने से उनके समर्थकों में भारी उत्साह है तो वहीं दूसरी तरह बीजेपी और महयुति खेमे में खलबली मच गई है। इसे लेकर बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। इसी बीच इस पर बीजेपी नेता परिणय फुके ने कहा कि इन दोनों का गठबंधन डर के कारण हुआ है. बीजेपी नेता ने कहा कि जिस प्रकार से नगर पंचायत के चुनाव में महायुति को यश मिला है, उससे दोनों भाई घबरा गए हैं. बीजेपी नेता ने कहा कि बीएमसी चुनाव में जीरो पर आउट न हो जाएं, इसीलिए दोनों भाई डर के कारण एक साथ आकर बीएमसी में कुछ सीटें लेना चाहते हैं. कुछ सीटों पर दोनों की पार्टी तैयारी भी कर रही है.
बीजेपी नेता परिणय फुके ने कहा कि दोनों भाई केवल स्वार्थ के लिए साथ आए हैं. जनता के सरोकार से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह औरंगजेब की कब्र क्या, संभाजी नगर में मामू की पार्टी में भी जाएंगे. उन्होंने कहा कि नगर पंचायत के चुनाव में जिस प्रकार जनता ने दोनों भाइयों को धूल चटाई है, जिस प्रकार विधानसभा में धूल चटाई है, इसी डर के कारण आज दोनों साथ आए हैं. उन्होंने दावा किया है कि बीएमसी चुनाव में सात से आठ पार्टियां लड़ेंगी. सातवें और आठवें स्थान पर इन दोनों भाइयों की पार्टी रहने वाली है.
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने भी BMC चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की एमएनएस के बीच गठबंधन को नगर निगम चुनावों के लिए महाविकास अघाड़ी व्यवस्था से बाहर निकलने का कारण बताया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ गठबंधन नहीं कर सकते क्योंकि उनके विचारों में बहुत अंतर है, खासकर भाषाई पहचान और प्रवासी मुद्दों पर उसके रुख को लेकर, जिसके बारे में उनका तर्क है कि यह उनकी पार्टी की समावेशी छवि के विपरीत है।
इसको लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथला ने कहा है, ‘हम ऐसे गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकते जो विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देता है।’ पार्टी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस की रणनीति अल्पसंख्यक, दलित और प्रवासी मतदाताओं को एकजुट करने पर केंद्रित है, जो MNS के महा विकास अघाड़ी के साथ संबंधों से असहज हो सकते हैं।
भले ही यह कदम साहसिक लगे, लेकिन इसके जोखिम भी कम नहीं हैं। पिछले तीन दशकों में बीएमसी में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरा है। 2017 में पार्टी महज 31 सीटों पर सिमट गई थी। सियासी पंडितों का मानना है कि विपक्ष के बंटने का सीधा फायदा भाजपा-शिवसेना (शिंदे) गठबंधन को मिल सकता है। इस फैसले से कांग्रेस को शहर में संगठनात्मक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में जमीनी स्तर पर उसकी मौजूदगी कमजोर हुई है, जिससे सभी 227 वार्डों में मजबूत उम्मीदवार उतारने की उसकी क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि किस दल को कितना फायदा पहुंचेगा ये तो खैर आने वाले समय में ही तय हो पाएगा लेकिन इस खबर से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। अब देखना ये होगा कि महाराष्ट्र में मचे इस सियासी उथल-पुथल के बीच BMC में जीत किसकी होती है। खैर ये तो चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद ही साफ़ हो पाएगा।



